पड़ताल : बेटे की चाहत में चौथी बार माँ बनी महिला को मिली मौत, जुड़वा बेटियों को जन्म देते ही थम गईं साँसें, अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई सावित्री

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पोस्टमार्टम के बाद सावित्री के शव को अंतिम संस्कार के लिए पवई ले जाते परिजन।

* पन्ना जिले में 24 घण्टे में दूसरी प्रसूता ने दम तोड़ा

* मातृ-शिशु मृत्यु दर की अधिकता का कैसे मिटेगा कलंक

* पति का आरोप पवई में डिलेवरी के बाद मौत होने पर किया रिफर

* नॉर्मल डिलीवरी के बाद अत्याधिक ब्लड बहने के कारण हुई मौत

* पहले से हैं दो बेटियाँ, कुछ वर्ष पूर्व जन्म के बाद बेटे का हो गया था दुखान्त

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in)  सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के लिए बदनाम मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में जुड़वा बेटियों को जन्म देने वाली प्रसूता सावित्री सोनी की मौत अपने पीछे कई ज्वलंत सवाल छोड़ गई। जिले में 24 घण्टे के अंदर मातृ मृत्यु की यह दूसरी दुखद घटना है। इसके पूर्व गुरुवार की रात पन्ना जिला चिकित्सालय में प्रसव हेतु भर्ती बृजपुर निवासी रेनू लखेरा और उसके गर्भ में पल रहे शिशु का दुखांत हो गया था। प्रसूता सावित्री का असमायिक निधन कथिततौर पर इलाज में लापरवाही बरतने के साथ-साथ हमारे समाज में आज भी मौजूद लैंगिक असमानता की संकीर्ण सोच और सुरक्षित मातृत्व के उद्देश्य से चलाए जा रहे महत्वकाँक्षी सरकारी कार्यक्रमों का धरातल पर सही तरीके से क्रियान्वयन न होने का दुष्परिणाम है। इस मामले की गहन पड़ताल करने से पता चलता है न्यू इंडिया में लड़कियों की अपेक्षा लड़कों की अधिक चाह आज भी बरकरार है। एक बेटे की खातिर लोग कोई भी जोखिम उठा रहे हैं, इसके लिए फिर चाहे खुद को ही दाँव पर क्यों न लगाना पड़े। अत्यंत ही चिंताजनक यह स्थिति बताती है कि तमाम जागरूकता कार्यक्रमों और जननी सुरक्षा से जुड़ीं योजनाओं पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है।

नर्सों ने डिलीवरी कराई, डॉक्टर ने देखा तक नहीं

जिला चिकित्त्सालय पन्ना के बाहर खड़े शोकसंतृप्त परिजन।
पवई निवासी सावित्री पति केदारनाथ सोनी 41 वर्ष बुधवार 3 जुलाई को प्रसव हेतु अपना परीक्षण करवाने के लिये पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आई थी। डाॅक्टर ओम हरी शर्मा ने बताया कि सावित्री का परीक्षण बीएमओ डाॅक्टर एम.एल. चौधरी के द्वारा करने के पश्चात उसके शरीर में ब्लड की कमी होने एवं गर्भ में दो बच्चे होने के मद्देनजर उसे पन्ना जिला चिकित्सालय में प्रसव कराने का परामर्श दिया गया। शुक्रवार 5 जुलाई को देर रात 3 बजे सावित्री सोनी को असहनीय प्रसव पीड़ा होने की स्थिति में परिजन उसे लेकर पुनः सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पवई पहुँचे। पति केदारनाथ सोनी ने बताया कि प्रसव की स्थिति को देखते हुये नर्सों के द्वारा उसकी पत्नी की नॉर्मल डिलीवरी कराई गई। दो बच्चियों को जन्म देने के एक घण्टे बाद सावित्री बाई को ब्लीडिंग होने उसकी हालत अचानक तेजी से बिगड़ने लगी। पति ने आरोप लगाया कि इस बीच डॉक्टर ओम हरी शर्मा स्वास्थ्य केन्द्र में आए लेकिन उन्होंने सावित्री को देखा तक नहीं, उल्टा मुझे उलाहना देते हुए बोले कि जो कुछ हो रहा है उसमें तुम्हारी गलती है। तभी अत्याधिक ब्लीडिंग होने के कारण सावित्री पवई में ही दम तोड़ दिया।

खुद को बचाने मृत अवस्था में किया रेफर

पत्नी की मौत के बाद जिला चिकित्त्सालय पन्ना के बाहर विलाप करता केदारनाथ सोनी।
केदारनाथ का आरोप है कि इलाज में लापरवाही बरतने से मौत होने के मामले में लीपापोती कर खुद को बचाने के लिए ड्यूटी डॉक्टर व नर्सों ने उसकी पत्नी को मृत अवस्था में ही ऑक्सीजन मास्क पहनाकर जिला चिकित्सालय पन्ना के लिए रिफर कर तुरंत 108 एम्बुलेंस रवाना कर दिया। पूर्णतः अचेत अवस्था में पन्ना लाई गई सावित्री सोनी का जिला चिकित्सालय में ड्यूटी डॉक्टर ने गहन परीक्षण करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। इससे प्रसूता की मौत पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में होने सम्बंधी उसके पति के आरोप को बल मिलता है। उधर, डॉक्टर ओम हरी शर्मा ने इन आरोपों को नकारते हुए बताया कि इलाज किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती गई। उनका दावा है कि सुबह सावित्री को जब रेफर किया गया तब ब्लीडिंग की वजह से उसकी हालत काफी नाजुक थी लेकिन वह जीवित थी।

बेटे के लिए हाई रिस्क डिलीवरी का जोखिम

सावित्री की मौत की रिश्तेदारों को सूचना देते परिजन।
जुड़वा कन्या शिशुओं को जन्म देने के कुछ ही समय बाद असमय काल-कवलित हुई सावित्री सोनी की यह चौथी डिलेवरी थी। पहले से उसकी दो बेटियाँ है, जिसमें बड़ी बेटी की उम्र 18 वर्ष, दूसरी बेटी की उम्र 9 वर्ष है। इसके पश्चात वर्ष 2011-12 में उसे एक पुत्र हुआ था, जिसकी मृत्यु हो गई थी। ऐसी आमचर्चा है कि सोनी परिवार को वारिस के रूप में एक बेटे चाहत थी। पितृ सत्तात्मक समाज के ढ़ाँचे, परिजनों की भावनाओं के मद्देनजर और बेटे की मौत के गम को भुलाने के लिए सावित्री खुद भी एक पुत्र चाहती थी। सम्भतः इसीलिए उसने इस उम्र में चौथी बार माँ बनने का जोखिम उठाते हुए खुद को दाँव पर लगाया था। प्रसव में कोई समस्या न हो इसलिए कटनी में भी उसका इलाज कराया गया। इस बीच स्थानीय स्तर पर उसकी प्रसव पूर्व हुई जाँच में उसके शरीर में खून की कमी पाई गई। लेकिन इसकी पूर्ति के लिए सम्बंधित आशा कार्यकर्ता, एएनएम ने क्या किया यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
बहरहाल इस स्थिति के मद्देनजर ही बीएमओ डाॅक्टर एम.एल. चौधरी ने 3 जुलाई को सावित्री का परीक्षण कर हाई रिस्क डिलीवरी की जानकारी देते हुए पन्ना में प्रसव कराने का परामर्श दिया था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार 5 जुलाई को सावित्री को देर रात असहनीय प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पवई ले जाना ही उचित समझा। नॉर्मल डिलीवरी में जुड़वा कन्या शिशुओं का जन्म होने से जहाँ कथिततौर पर सोनी परिवार की पुत्र प्राप्ति की तीव्र आकांक्षा अधूरी रह गई वहीं प्रसव के महज घण्टे भर बाद ही पवई में सावित्री ने दम तोड़ दिया। जुड़वा बेटियों के दुनिया में आते ही उनके सिर से माँ का साया उठने से सोनी परिवार में गहरे सदमे में है।

कागजों पर चल रहे महत्वकांक्षी कार्यक्रम

उल्लेखनीय है लैंगिक असमानता को दूर करने, बेटियों के पक्ष में सकारात्मक माहौल का निर्माण करने, उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से शासन दवारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, लाड़ली लक्ष्मी योजना, सुकन्या समृद्धि योजना आदि कार्यक्रम जोर-शोर से चलाए जा रहे हैं। अति पिछड़े पन्ना जिले में इन कार्यक्रमों का जमीनी स्तर पर ईमानदारी से क्रियान्वयन न होने का ही यह नतीजा है कि पुत्र की चाहत में आज भी कई दम्पत्ति अपना परिवार बढ़ाते जा रहे हैं या फिर इसके लिए खुद को जोखिम में डाल रहे हैं। सावित्री सोनी की मौत का मामला इसका एक उदाहरण मात्र है।
फाइल फोटो।
इसके अलावा मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, महिलाओं के सुरक्षित प्रसव एवं खून की कमी की रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग तथा महिला बाल विकास विभाग संचालित योजनाएँ एवं जागरूकता कार्यक्रम जैसे कि- गर्भधारण से लेकर प्रसव पूर्व तक जाँच, खून की मात्रा बढ़ाने आवश्यक दवाओं का वितरण, गर्भावस्था में समुचित पोषण उपलब्ध कराने पोषण आहार वितरण, मातृ वंदना योजना, लालिमा अभियान आदि कागजी खानापूर्ति तक ही सीमित है। परिवार नियोजन कार्यक्रम की हालत भी काफी ख़राब है। शासन की प्राथमिकता वाले इन कार्यक्रमों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने के कारण पर जिले में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के खर्च के बाबजूद सार्थक नतीजे नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि सावित्री सरीकी एनीमिक महिलाएँ न सिर्फ लगातार सामने आ रहीं हैं बल्कि जागरूकता के आभाव और सिस्टम की नाकामी के कारण वे अपनी जान भी गवाँ रही है।

इनका कहना है –

“प्रसूता सावित्री सोनी की मौत अत्याधिक ब्लीडिंग के कारण होने की जानकारी मिली है, शव का पोस्टमार्टम कराया गया है जिसमें मौत का कारण पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा। यह उसकी चौथी डिलेवरी थी, उसे पवई में समुचित इलाज न मिलने और उसके एनीमिक होने की जाँच कराई जाएगी, जाँच के जो भी नतीजे आएँगे उसी के अनुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी।”

– डॉ. एल. के. तिवारी प्रभारी सीएमएचओ जिला पन्ना।