* आदिवासी-वनवासी महासंघ के आव्हान पर पन्ना में जुटे सैंकड़ों आदिवासी
* आदिवासियों को कब्जे की भूमियों से नहीं किया जाएगा बेदखल
* वनाधिकार के निरस्त दावों का पुनः परीक्षण कर पात्रों को बांटे जाएँगे पट्टे
* जिला प्रशासन के प्रतिनिधि पन्ना एसडीएम ने प्रदर्शन स्थल पर की घोषणा
पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल में आदिवासियों एवं पराम्परागत वनवासियों को उनके कब्जे की भूमि का वनाधिकार अधिनियम के तहत मालिकाना हक़ रुपी पट्टा दिलाने के लिये आदिवासी-वनवासी-दलित-अल्पसंख्यक महासंघ बुंदेलखड विगत एक दशक से भी अधिक समय से सतत संघर्षरत है। इस संगठन के प्रयासों से सिर्फ पन्ना जिले में ही करीब तीन हजार वनवासी वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत अपने कब्जे की वन भूमि का पट्टा प्राप्त कर चुके हैं। बुंदेलखंड के अन्य जिलों में भी कई पीढ़ियों से वन भूमि में काबिज सैंकड़ों लोगों को इसका लाभ मिला है। प्रत्येक सुपात्र आदिवासी एवं अन्य परम्परागत वनवासी को उसका हक़ दिलाने के लिए संकल्पित इस संगठन के आव्हान पर शुक्रवार 9 जुलाई को विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य पर सैंकड़ों की संख्या में गरीब-भूमिहीन आदिवासी भाई-बहिनें बारिश के बीच जिला मुख्यालय पन्ना में एकत्र हुए। अपने संसाधनों से पहुँचे आदिवासियों ने यहाँ छत्रसाल पार्क में वनाधिकार पट्टों के लिये आवाज बुलंद करते हुए पट्टे दो या जेल दो जैसी तीखी नारेबाजी की गई।
अन्य योजनाओं का भी मिले लाभ
आदिवासी-वनवासी-दलित-अल्पसंख्यक महासंघ के पदाधिकारियों ने यहाँ मंच से अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि जब तक बुंदेलखंड अंचल के प्रत्येक सुपात्र आदिवासी एवं अन्य परम्परागत वनवासी को उनके कब्जे की वन भूमि का पट्टा नहीं मिलता, तब तक हमारा संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। पट्टेधारियों को प्रधानमंत्री आवास योजना, उनकी कृषि भूमि में कपिलधारा योजना अंतर्गत कुँआ स्वीकृत कराना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत कृषि ऋण एवं खाद-बीज सहित उन तमाम योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा जिसकी वे पात्रता रखते हैं। इसके माध्यम से हमारा उद्देश्य समाज के सबसे कमजोर तबकों को उनका हक़ दिलाकर खुशहाल बनाना है।
महासंघ के नेताओं के इस ऐलान से वंचित और शोषित वर्गों में उनका हक मिलने की उम्मीद जागी है। इस अवसर प्रदर्शनकारियों से उनकी माँगों के सम्बंध में चर्चा करने के लिए कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित रहे पन्ना एसडीएम बी.बी. पाण्डेय ने मंच से आदिवासियों को आश्वस्त किया कि किसी भी आदिवासी भाई-बहिन को उनके कब्जे की भूमि से बेदखल नहीं किया जायेगा। वनाधिकार अधिनियम के तहत निरस्त किए गए समस्त दावों का सहानुभूतिपूर्वक पुनः परीक्षण कर सुपात्रों को वनाधिकार के पट्टे प्रदान किए जायेंगे।
किसने क्या कहा
कार्यक्रम को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवजीत सिंह ने सम्बोधित करते हुये कहा कि वनवासियों को पट्टे दिलाने के साथ-साथ वनों का संरक्षण-संवर्धन भी हमारी प्राथमिकता में शामिल है। महासंघ के संरक्षक आनंद मोहन पटैरिया ने ग्राम डोहली के साथ-साथ पन्ना जनपद की ग्राम पंचायत बराछ के विधाताहार में काबिज बख्तरी के वनवासियों को भी वनाधिकार पट्टा प्रदान करने की मांग की है। ताकि आदिवासी परिवार सम्मानपूर्वक निवास करते हुये अपनी खेती-किसानी कर सके।
आदिवासी-वनवासी-दलित-अल्पसंख्यक महासंघ के संयोजक अनीस खान ने कार्यक्रम में उपस्थित आदिवासी भाईयों को बताया कि वर्ष 2006 में कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के विशेष प्रयासों से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वनाधिकार कानून को लागू किया था। इसके पीछे मंशा वन भूमि पर कई दशकों से काबिज आदिवासी भाईयों एवं अन्य परम्परागत वनवासियों को उक्त भूमि का पट्टा प्रदान करना था। ताकि वन विभाग के द्वारा उन्हे बेदखल न किया जाये। श्री खान ने बताया कि संगठन के विशेष प्रयासों से पन्ना जिले के तकरीबन 3 हजार आदिवासी भाईयों को उनके कब्जे की वनभूमि का पट्टा मिला है। जिनके दावों को प्रशासन ने निरस्त कर दिया है उनका पुनः परीक्षण कराकर पट्टा दिलाने के प्रयास लगातार किए जा रहे है। किसी के भी साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
महासंघ के जिला प्रभारी के.पी. सिंह बुन्देला ने विद्युतविहीन आदिवासी ग्राम कोटा गुंजापुर, गहदरा, छापर का विद्युतिकरण कराने एवं सलेहा से कल्दा के लिये हैवी विद्युत लाईन डालने में वन विभाग द्वारा उत्पन्न की जा रही बाधाओं का जनहित में तत्परता से निराकरण कराकर अनुमति दिलाये जाने की मांग की है। श्रीसिंह ने कहा कि इससे पठारी क्षेत्र का कोना-कोना रोशन हो जाएगा और पठार के लोगों का जीवन आसान बनेगा।
ये रहीं प्रमुख मांगें –
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वनाधिकार अधिनियम के तहत पूर्व में प्रस्तुत समस्त निरस्त किए गए दावों का सहानुभूतिपूर्वक पुनः परीक्षण कराते हुए सुपात्र व्यक्तियों को पट्टे प्रदान किए जाएँ। नए दावों पर भी गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए ताकि किसी के भी साथ अन्याय न हो
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पन्ना विकासखंड अंतर्गत बृजपुर पहाड़ीखेरा क्षेत्र के कई गांव आदिवासी बाहुल्य है, शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लाभ से वंचित इस इलाके के आदिवासी भाइयों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए इस क्षेत्र में आदिवासी उपयोजना प्रारंभ की जाए। इसी तरह शाहनगर एवं पवई विकासखंड अंतर्गत रैपुरा-मोहन्द्रा क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य ग्रामों के लिए आदिवासी उपयोजना शुरू करने हेतु शासन को प्रस्ताव भेजा जाए।
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जिले के पवई एवं शाहनगर विकासखंड अंतर्गत आने वाले कल्दा-श्यामगिरी पठार के आधा सैकड़ा ग्रामों में 95 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी को दृष्टिगत रखते हुए आदिवासियों के समग्र विकास, कला, संस्कृति भाषा एवं उनके संरक्षण संवर्धन तथा पठारी इलाके के जंगल और जैव विविधता के संरक्षण-संवर्धन हेतु इसे शाहगिरी नाम से नया आदिवासी ब्लाॅक घोषित करने हेतु राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा जाए।
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भोले-भाले गरीब आदिवासी भाईयों को मामूली सी रकम उधार देकर उन्हें कर्ज के कुचक्र में फंसाते हुए उन से मनमाना ब्याज वसूल रहे सूदखोरों से उन्हें मुक्ति दिलाई जाए। कर्ज की आड़ में उनकी कृषि भूमि और घरों पर अवैध कब्जा जमाने वालों से आदिवासी भाईयों की भूमियों को मुक्त कराकर उन्हें सौंपा जाए।
पन्ना जिले में आदिवासी आबादी में क्षय रोग टीबी तथा सिलिकोसिस के प्रकोप को देखते हुए जिले के आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में ऐसे रोगियों को चिन्हित करने के लिए ग्राम स्तर पर ही विशेष जांच शिविर आयोजित किए जाएं और चिन्हित रोगियों को बेहतर उपचार मुहैया कराया जाए।
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जिला मुख्यालय पन्ना में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए प्री-मैट्रिक एवं पोस्ट-मैट्रिक छात्रावासों का इसी सत्र से संचालन शुरू कराया जाए। शासन से इसके लिए विशेष अनुमति प्राप्त करने हेतु आवश्यक पत्राचार किया जाए ताकि आदिवासी समाज के जो भी बच्चे उच्च शिक्षा अर्जित करना चाहते हैं वे जिला मुख्यालय पन्ना में रहकर बगैर किसी आर्थिक बोझ के उच्च शिक्षा सुगमता से अर्जित कर सकें।