एमपी के बजट से कर्मचारी हुए निराश, महंगाई भत्ता और वेतन वृद्धि को लेकर करेंगे आंदोलन

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लंबित आर्थिक मांगों का बजट में उल्लेख न होने से हैं नाराज

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल का पहला बजट वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने मंगलवार 2 मार्च को विधानसभा में पेश किया। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बजट 2 लाख 41 हजार करोड़ रुपए का है। प्रदेश सरकार इस बजट को जहां जन आकांक्षाओं के अनुरूप बता रही वहीं कर्मचारी जगत ने बजट को बेहद निराशाजनक बताते हुए इसमें कर्मचारियों के आर्थिक हितों व अधिकारों की घोर उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है। बजट में महंगाई भत्ता, वेतन वृद्धि, गृह भाड़ा भत्ता जैसी जायज मांगों का उल्लेख न होने से नाराज़ सरकारी कर्मचारियों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है।
मध्य प्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जिला शाखा पन्ना के अध्यक्ष कृष्णपाल सिंह यादव ने प्रेस में जारी विज्ञप्ति में बताया कि बजट को लेकर कर्मचारियों ने जो उम्मीदें लगा रखीं थी वे पूरी नहीं हुई। इन अर्थों में मध्य प्रदेश सरकार का बजट सर्व समावेशी नहीं है। प्रस्तावित बजट 2021-22 से आस थी कि प्रदेश के कर्मचारियों को 5% महंगाई भत्ता जोकि जुलाई 2019 से देय था बजट में मिलेगा। प्रदेश सरकार ने 1 जुलाई 2020 का वेतन वृद्धि स्थगित कर दिया था बजट में उसके बारे में भी नहीं है। सातवें वेतनमान को लागू हुए 5 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं लेकिन इसके अनुसार प्रदेश के कर्मचारियों को गृह भाड़ा भत्ता दिए जाने पर ही बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया। इसलिए बजट को लेकर कर्मचारियों की निराशा स्वाभाविक है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार हमेशा यह कहती है कि हम कर्मचारियों से संवाद कर उनके अधिकारों की बात करेंगे लेकिन सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। सरकार कर्मचारी संगठनों से ना तो बात करना चाहती है और ना ही कर्मचारियों के आर्थिक हितों व अधिकारों पर अमल करना चाह रही है। पिछले 2 वर्षों से कर्मचारियों को एक बार भी बढ़ा हुआ वेतन भत्ता आज तक नहीं मिला है वहीं वेतन वृद्धि भी सरकार द्वारा रोक दी गई। गृह भाड़ा भत्ता पर भी सरकार द्वारा कोई पहल नहीं की गई है। पिछले 6 माहों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आया है, 6 माहों से जीएसटी का कलेक्शन भी पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में बढा है इसके बावजूद भी सरकार के द्वारा कर्मचारी जगत की अनदेखी की गई है। अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा इसका विरोध करता है।
मोर्चा का सरकार से आग्रह है कि 5% महंगाई भत्ता, जुलाई 2020 से वेतन वृद्धि एवं गृह भाड़ा भत्ता बढ़ाए जाने के संबंध में तत्काल निर्णय लिया जाए। कर्मचारियों की आर्थिक मांगों पर यदि निर्णय नहीं लिया गया तो प्रदेश के कर्मचारी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त मोर्चा के बैनर तले सड़क पर आकर बात करेंगे।
जिले के कर्मचारी नेता संतोष कुमार मिश्र, आर.डी. चौरसिया, बी.पी. परौहा, राजेश कुमार चौरहा, विनोद कुमार मिश्रा, महीप कुमार रावत, प्रमोद कुमार अवस्थी, कमलेश कुमार त्रिपाठी, ओमप्रकाश शर्मा, शिवकुमार मिश्रा, रामसिंह पटेल, डॉक्टर दिनेश कुमार पटेल, रविशंकर डनायक, मनोज कुमार रिछारिया, प्रमोद कुमार मिश्रा, देवेंद्र प्रताप सिंह बघेल, पुष्पराज सिंह परमार, राजेश कुमार मिश्रा, रामप्रताप प्रजापति, विक्रम सिंह, रामेश्वर खरे, सहदीप शर्मा, विनोद कुमार अवस्थी, विमल कुमार यादव, राजकिशोर शर्मा, रामप्यारे प्रजापति, सलीम खान, राजेश कुमार पटेल, अशोक कुमार पांडेय, शेषमणि दुबे, शेर सिंह कुशवाहा, रज्जब खान, आशीष रैकवार, रमेश प्रसाद पटेल, संदीप कुमार मिश्रा, लक्ष्मीकांत यादव, ध्रुव लोधी, कृष्ण कुमार यादव, महेंद्र कुमार तिवारी, हेमंत सिंह परमार, संजय कुमार शुक्ला, जयकरण पटेल, गोपाल सिंह, एम.ए. कुरैशी ने संयुक्त मोर्चा की मांग का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि कर्मचारियों की उपेक्षा को अब ओर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।