रिश्वत लेने वाले जिला शिक्षा अधिकारी व लिपिक को 4-4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा

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जिला एवं सत्र न्यायालय पन्ना का फाइल फोटो।

* शिक्षक से पदस्थापना के नाम पर मांगी थी दस हजार की रिश्वत

* बहुचर्चित रिश्वत मामले में विशेष न्‍यायाधीश पन्ना ने सुनाया फैसला

पन्ना। रडार न्यूज  भ्रष्टाचार के एक बहुचर्चित मामले में आज मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के विशेष न्यायालय ने अहम् सुनाया है। रिश्वत लेते हुए पकड़े गए प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पन्ना महेंद्र दिवेदी व लिपिक खुमान प्रजापति को न्यायालय ने 4-4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया है। इसके अलावा 10-10 हजार रूपये के जुर्माने से भी दण्डित किया गया। पन्ना के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी रहते हुए आरोपी ने शिक्षक रवि शंकर डनायक से पदस्थापना करने के नाम पर दस हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर ने प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पन्ना व लिपिक को रिश्वत लेने के मामले मे गिरफ्तार किया था। रिश्वत में ली गई राशि को लिपिक खुमान प्रजापति अपनी पैंट की जेब से निकालकर कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर रख दिया था। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में रिश्वत की राशि समेत साक्ष्य के रूप में लिपिक की पैंट को भी जब्त किया था। दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला किया गया। रिश्वत लेने के इस बहुचर्चित मामले में 3 साल बाद आया विशेष न्यायालय पन्ना फैसला आज जिले प्रशासनिक हलकों समेत शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बना रहा।

ये है मामला

प्रकरण के संबंध में सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने जानकारी देते हुये बताया कि 31 दिसम्बर 14 को शिक्षक रवि शंकर डनायक पिता के.आर. डनायक निवासी धाम मोहल्‍ला पन्‍नाने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्‍त सागर को एक शिकायती पत्र दिया था। जिसमें बताया था कि वह करीब 4 माह से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अध्‍यापक के पद पर संबद्ध है किन्‍तु उसकी पदस्‍थापना किसी विद्यालय में नहीं की गई है। वह अपनी पदस्‍थापना के लिये तीन पत्र जिला शिक्षा अधिकारी को दे चुका है। इसके बावजूद भी उसकी पदस्‍थापना किसी भी विद्यालय में नहीं की जा रही है। इस संबंध में जब वह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के स्‍थापना लिपिक खुमान प्रजापति से मिला तो उसने बताया कि विद्यालय में पदस्‍थापना के लिये उसे 10,000 रूपये की रिश्‍वत जिला शिक्षा अधिकारी को देनी पड़ेगी, तभी पदस्‍थापना होगी। शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस टीम दिनाँक 2 जनवरी 2015 को दोपहर के समय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पन्ना पहुँची जहाँ पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार शिक्षक रवि शंकर डनायक ने जैसे ही रिश्वत की राशि लिपिक को देने का इशारा किया तुरंत लोकायुक्त पुलिस ने दबिश देकर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी महेंद्र दिवेदी और लिपिक खुमान प्रजापति को गिरफ्तार कर लिया। दोनों के विरुद्ध भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया।

इन धाराओं में हुई सजा

सांकेतिक फोटो।
इस प्रकरण में अभियोजन के द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य और तर्कों को सुनने के बाद न्‍यायालय ने तत्कालीन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी महेन्‍द्र दिवेदी व लिपिक खुमान प्रजापति को रिश्वत मांगने व लेने का दोषी मना है। न्‍यायालय ने दोनों अभियुक्‍तगणों को धारा 7 भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम में व धारा 13 (1) डी में 4-4 साल का सश्रम कारावास और 10000-10000 रूपये के अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्‍ना प्रवीण कुमार सिंह द्वारा की गई।