अमृतकाल में भ्रष्टाचार | 75 साल बाद मिली सौगात, ठेकेदार के कारनामे ने ग्रामीणों से ख़ुशी छीन ली !

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पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील अंतर्गत कुड़रा-धरमपुर पहुँच मार्ग के घटिया कार्य की पोल खोलती निर्माणाधीन पुलियों की तस्वीरें।

     पन्ना जिले के सीमावर्ती दुर्गम वन ग्राम कुड़रा की सड़क घटिया निर्माण भेंट चढ़ी

*       रपटा-पुलिया के बेस में नहीं बिछाया कंक्रीट, ह्यूम पाइप रो के बीच मिट्टी की फिलिंग

*       गुणवत्ताविहीन सड़क के पहली बारिश में बहने की आशंका जता रहे ग्रामीण

*       खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के निर्वाचन क्षेत्र पन्ना विधानसभा का मामला

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) जिले के सीमावर्ती पहुंच विहीन दुर्गम ग्राम कुड़रा के वाशिंदे बीते कई दशकों से एक अदद पहुंच मार्ग के आभाव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर रहे। इस गांव में हर साल कोई न कोई गंभीर बीमार व्यक्ति सिर्फ इसलिए असमय काल कवलित हो जाता है क्योंकि, सड़क के आभाव में उसे स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचने में देर हो जाती है। कुड़रा की इस त्रासदी को स्थानीय मीडिया द्वारा अनेकों बार प्रमुखता से उठाते हुए जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया। फलस्वरूप हाल ही में इस गांव को क्षेत्रीय विधायक एवं मध्यप्रदेश शासन के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के प्रयासों से बारहमासी सुगम आवागमन सुविधा वाली पक्की सड़क की सौग़ात मिली है। बहुप्रतीक्षित पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य शुरू होने पर गांव के लोग कल तक ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे लेकिन आज वे काफ़ी गुस्से में है। इनकी नाराज़गी का कारण सड़क निर्माण कार्य में हो रहा भारी भ्रष्टाचार है। ग्रामीणों ने ठेकेदार पर गुणवत्ता विहीन सामग्री का उपयोग करते हुए अत्यंत ही घटिया सड़क निर्माण कराने का गंभीर आरोप लगाया है।

मानसून सीजन में टापू में हो जाता है तब्दील

लोक निर्माण विभाग के द्वारा 6 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन कुड़रा पहुँच मार्ग।
जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 80 की दूरी पर स्थित कुड़रा ग्राम अजयगढ़ तहसील की ग्राम ग्राम पंचायत धरमपुर के अंतर्गत आता है। मध्यप्रदेश-उत्तर प्रदेश की अंतरराज्जीय सीमा से सटे इस गांव में पहुँचने के लिए धरमपुर से होकर जाना पड़ता है। चम्बल के बीहड़ सरीखी भौगोलिक संरचना वाले इस दुर्गम गांव तक पहुंचना आसान नहीं है। धरमपुर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुड़रा का रास्ता घने जंगल से होकर जाता है। रास्ते में कई बड़े बरसाती नाले पड़ते हैं। बारिश के सीजन में नालों में पानी अधिक होने के कारण हर साल 4-5 माह के लिए कुड़रा ग्राम टापू में तब्दील हो जाता है। जिससे गांव का सम्पर्क बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट जाता है। इस छोटे से गांव में ऐसे अनेक परिवार हैं जिनके किसी सदस्य को कभी न कभी आपातकालीन स्थिति में होने पर सड़क के आभाव के कारण समय पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र न पहुंच पाने से अपनी जान गवांनीं पड़ी है। यही वजह है कि, इस गांव के लोगों लिए पहुंच मार्ग (सड़क) सिर्फ बुनियादी सुविधा तक सीमित नहीं बल्कि जीवन-मरण से जुड़ा ज्वलंत मुद्दा है। कुड़रा के ग्रामीण कई दशकों से पहुँच मार्ग निर्माण की एकमात्र मांग को पुरजोर तरीके से उठाते रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के समय गांव के अधिकांश मतदाताओं ने मतदान वाले दिन सड़क को लेकर प्रदर्शन भी किया था। एक अदद सड़क के आभाव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर स्थानीय ग्रामीणों की बदहाली को मीडिया द्वारा अनेकों बार प्रदेश स्तर पर प्रमुखता से प्रकाशित व प्रसारित किया गया।

घटिया निर्माण से ग्रामीण हुए नाराज़

सड़क निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही हाथ से तोड़ी हुई गिट्टी।
क्षेत्रीय विधायक एवं प्रदेश के खनिज साधन मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने इस साल की शुरुआत में अपने चुनावी वादे को निभाते हुए कुड़रा पहुंच मार्ग निर्माण को स्वीकृति दिलाकर खूब वाहवाही बटोरी। मुद्दतों बाद जब बारहमासी सुगम आवागमन सुविधा प्रदान करने वाली सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो कुड़रा सहित पूरे इलाके के लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। बहुप्रतीक्षित सौगात मिलने से उत्साहित ग्रामीण मंत्री जी की शान में कसीदे पढ़ते नहीं थकते थे। लेकिन अब हाल कुछ दूसरा है। 6 करोड़ की लागत से लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माणाधीन सड़क में भारी भ्रष्टाचार के चलते ग्रामीणों की ख़ुशी अब गहरी नाराज़गी में तब्दील हो चुकी है। अफसोस-नाक़ बात यह है कि सड़क के घटिया निर्माण कार्य का मामला मंत्री के संज्ञान में लाने के बाद भी भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सका।

पुलियां खोल रहीं 50% कमीशन की पोल

कुड़रा से धरमपुर मार्ग का निर्माण कार्य ठेका पर आस्था कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा गुणवत्ता के मापदंड की धज्जियां उड़ाते हुए कराया जा रहा है। सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर चल रही लीपपोती से प्रदेश की शिवराज सरकार पर लगने वाले 50 प्रतिशत कमीशन के आरोपों को बल मिल रहा है। तकरीबन साढ़े छह किलोमीटर लंबी सड़क पर दर्जन भर रपटा एवं पुलिया (सबमर्सिबल पाइप कल्वर्ट) का निर्माण किया जा रहा है। जिनमें 10 रो ह्यूम पाइप वाले दो बड़े रपटा, शेष 2 से लेकर 5 रो ह्यूम पाइप वाली छोटी पुलिया शामिल है। ग्रामीण रामकेश राजपूत का आरोप है कि, ठेकेदार के द्वारा निर्माणाधीन रपटा-पुलिया में बिछाए गए ह्यूम पाइप के नीचे यानी बेस में मजबूती के लिए कंक्रीट मटेरियल नहीं डाला गया। कम खर्च में रपटा-पुलिया तैयार कर सरकारी राशि का बंदरबांट करने के लिए ठेका कम्पनी ने जुगाड़ तकनीक को अमल में लाते हुए ह्यूम पाइप-रो के बीच फिलिंग मटेरियल में कंक्रीट की जगह स्थानीय रेतीली मिट्टी का पुराव करा दिया। रपटा-पुलिया निर्माण में रेत की जगह स्थानीय नालों की भूरे-लाल रंग की रेतीली मिट्टी का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। इसी तरह सीमेंट की गुणवत्ता से भी समझौता किया जा रहा है।
ग्रामीण वीरेन्द्र कुमार लोधी का आरोप है ठेकदार के द्वारा राखड़ युक्त सीमेंट पुलिया में लगाया है। युवा बब्लू पण्डित की मानें तो पहाड़ से निकलने वाले नालों पर भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़े किए गए रपटा तथा पुलिया के ह्यूम पाइप पहली बारिश में ही बह जाएंगे। दरअसल पहाड़ी नाले हल्की बारिश में ही भयंकर उफान पर आ जाते हैं, इनके तेज़ प्रवाह में घटिया रपटा-पुलिया कितनी देर तक टिक पाएंगे कहना मुश्किल पर समझना आसान है। निर्माण कार्य से जुड़े जानकारों मानें तो बारिश के मौसम में नालों में तेज़ प्रवाह के साथ आने वाले पानी की अत्याधिक मात्रा को देखते हुए बड़े रपटों के स्थान पर माइनर एवं मीडियम ब्रिज का निर्माण कराया जाना चाहिए था।

CRM और WMM में गड़बड़ी

धरमपुर-कुड़रा सड़क पर सब ग्रेड कार्य के बाद वर्तमान में रपटा-पुलिया निर्माण के साथ-साथ कहीं पर CRM Base ग्रेडिंग-प्रथम 53 MMऔर कहीं CRM Base ग्रेडिंग- द्वितीय- 37.5 MM मटेरियल की परत बिछाई जा रही है। कुछ जगह पर WMM की लेयर बिछाने का कार्य प्रगति पर है। गौरतलब है कि CRM और WMM मटेरियल लेयिंग पेवर मशीन के स्थान पर श्रमिकों से कराई जा रही है। सीआरएम लेयर में क्रेशर मटेरियल के स्थान पर मजदूरों से तुड़वाई गई गिट्टी का उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं CRM और WMM लेयर में पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ अच्छी तरह से रोलर भी नहीं चलाया गया। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि ठेकेदार के द्वारा निर्माणाधीन सड़क की हाइट (थिकनेस) को मेंटेन रखने के मकसद से जानबूझकर पर्याप्त वॉटरिंग और रोलिंग से परहेज किया जा रहा है। वहीं WMM लेयर में गिट्टी एवं डस्ट के सही अनुपात में न होने से मटेरियल की बॉन्डिंग अर्थात बंधन या पकड़ सीधे तौर पर प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप सड़क के जल्दी उखड़ने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। प्राप्त जानकारी अनुसार धरमपुर-कुड़रा सड़क के अधिकांश हिस्से में डामरीकरण होना है, सिर्फ रपटा एवं पुलियों के आसपास के सीसी सड़क का प्रावधान किया गया है।

PWD के तकनीकी अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

घटिया सड़क निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीणों की नाराज़गी के फलस्वररूप सड़क निर्माण के भ्रष्टाचार की पोल खोलती सचित्र ख़बरें और वीडियो मीडिया में आने के बाद कार्य एजेंसी लोक निर्माण विभाग पन्ना में थोड़ा हड़कंप तो मचा लेकिन दो-चार दिन बाद मामला शांत होने पर निर्माण कार्य फिर से पुराने ढर्रे पर चलने लगा है। घटिया कार्य को लेकर सवाल पूंछने पर लोक निर्माण संभाग पन्ना के तकनीकी अधिकारी अपना पल्ला झाड़ते हुए ठेकदार के सिर पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। इनके द्वारा घटिया कार्य को तुड़वाकर नए सिरे से गुणवत्तापूर्ण कार्य कराने की बात कही जा रही है। ग़ौरतलब है कि पिछले कई दिनों से सड़क निर्माण में खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल चल रहा था, इसलिए सहज ही यह सवाल उठता है कि, सड़क निर्माण में इतने बड़े पैमाने पर लीपापोती का खेल संबंधित तकनीकी अधिकारियों की सहमति के बगैर क्या संभव है ? सड़क निर्माण में गुणवत्ता के मानकों के साथ समझौता कर घटिया कार्य कराए जाने की बोलती तस्वीरें एवं वीडियो मीडिया में आने के पूर्व तकनीकी अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास क्यों नहीं हुआ? ऐसे अनेक सवाल है जिनके जवाब निर्माण एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों के पास नहीं है।

इनका कहना है-

“धरमपुर-कुड़रा मार्ग का कुछ दिन पूर्व मैनें अधीक्षण यंत्री मण्डल नौगांव के साथ निरीक्षण किया था, ठेकेदार के द्वारा रेतीली मिट्टी का उपयोग सड़क के सब ग्रेड में किया जा रहा क्योंकि उसका सीबीआर अच्छा रहता है। कंक्रीट मटेरियल में रेतीली मिट्टी का कहीं भी उपयोग नहीं किया गया है। रपटा-पुलिया के निर्माण में ठेकेदार ने शटरिंग को सहारा देने के बल्ली की जगह बगल में मिट्टी चढ़ा दी थी। जिससे यह भ्रम पैदा हुआ कि मिट्टी का पुराव किया गया। ठेकेदार को सम्पूर्ण मिट्टी हटाकर कंक्रीट मटेरियल डालने के निर्देश दिये हैं। सड़क के निर्माण में कोई गड़बड़ी नहीं है, कार्य गुणवत्तापूर्ण है।”

–  पीके चतुर्वेदी, अनुविभागीय अधिकारी, लोनिवि उप संभाग पन्ना-प्रथम।

“धरमपुर-कुड़रा मार्ग निर्माण कार्य पेटी ठेका पर कराया जा रहा है जिसमें बड़े पैमाने पर चल रही गड़बड़ी पर तत्काल प्रभाव से अंकुश लगाते हुए यदि निर्धारित मानक-मापदंड अनुसार गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित नहीं कराया गया तो लोक निर्माण विभाग कार्यपालन यंत्री के कार्यालय परिसर में कुड़रा के ग्रामीणों के साथ धरना दिया जाएगा। लोक निर्माण विभाग के शीर्ष अधिकारियों तथा मुख्य तकनीकी परीक्षक सतर्कता से लिखित शिकायत की जाएगी।”

–  शंकर प्रसाद द्विवेदी, पूर्व अध्यक्ष, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी धरमपुर जिला पन्ना।