अंधेरगर्दी : भीषण जल संकट के बीच क्षतिग्रस्त पाइप लाइनों से बह रहा हजारों गैलन पानी

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फाइल फोटो।

*    पन्ना में पानी की बर्बादी को लेकर नगर पालिका परिषद उदासीन

*    आये दिन घटिया पाइप लाइनों के फूटने से बाधित हो रही पेयजल सप्लाई

*     क्षतिग्रस्त पाइप लाइनों को तत्परता से नहीं कराया जाता सुधार कार्य

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) राज्य सरकार के द्वारा मिनी स्मार्ट सिटी घोषित किए गए पन्ना नगर में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बद से बद्तर बनीं है। स्मार्ट सिटी के पूर्व करीब एक से डेढ़ के दरमियान पन्ना को दो ओर तमगे मिले- डस्ट बिन रहित नगर और पवित्र नगर। लेकिन इस छोटे से शहर की आंतरिक सूरत नहीं बदल सकी। इन दिनों पन्ना के लोग भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं। नगर पालिका की नई और पुरानी पाइप लाइनों से सिर्फ आधी आबादी को ही एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई बमुश्किल नसीब हो रही है। जबकि शेष आधी आबादी बूंद-बूंद पानी को तरस रही है। बेहाल करने वाली प्रचण्ड गर्मी और उमस के बीच पानी की व्यवस्था के लिए एक ओर लोग जहां दर-दर भटक रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पाइप लाइनों के आए दिन फूटने से हजारों गैलन पानी बर्बाद हो रहा है। इस मुश्किल घड़ी में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए नगर पालिका परिषद पन्ना जरा भी गंभीर नहीं है। जिम्मेदारों के द्वारा बरती जा रही इस उदासीनता का ख़ामियाजा निर्दोष शहरवासियों को दिनों-दिन भीषण होते जल संकट के रूप भुगतना पड़ रहा है। नगर पालिका में अंधेरगर्दी का यह आलम ऐसे समय पर है जब पन्ना कलेक्टर स्वयं बतौर प्रशासक वहां का कामकाज देख रहे हैं।
पिछले मानसून सीजन में जिले में अल्प वर्षा होने के कारण पन्ना शहर में पेयजल की आपूर्ती करने वाले विशाल तालाबों का पानी इस बार काफी पहले सिकुड़ कर बरसाती गड्ढों का रूप ले चुका है। इधर, शहर में स्थित अधिकांश कुओं एवं नलकूपों का जल स्तर भी तलछट में पहुँच चुका है। जिससे दिन-प्रतिदिन शहर में जल संकट गहराने से हाहाकार जैसे हालात बन रहे हैं। सबसे ज्यादा हैरानी इस की बात है कि, मौजूदा कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच शहर की क्षतिग्रस्त पाइप लाईनों से प्रतिदिन हजारों गैलन पानी बेकार बह रहा है। लोग जब बूंद-बूंद पानी के लिए पसीना बहा रहे हों तब क्या पानी की बर्बादी को बर्दाश्त किया जा सकता है ? इसका जवाब है नहीं, बिल्कुल भी नहीं। लेकिन, नगर पालिका परिषद पन्ना की मुख्य नगर पालिका अधिकारी से लेकर सहायक यंत्री, उपयंत्री तथा जल सप्लाई व्यवस्था से जुड़ा मैदानी अमला पानी की बर्बादी को तत्परता से रोकने के प्रति घोर उदासीन नजर आ रहा है।

3 दिन तक चलता रहा 20 फिट ऊँचा फव्वारा

पन्ना के धरमसागर तालाब पर स्थित इंटेक वेल की पाइप लाइन की रबर कटने से बने लीकेज से इस तरह पखवाड़े भर तक पानी बहता रहा।
विदित होकि धरम सागर तालाब के बाबा घाट के सामने गत दिनों पेयजल सप्लाई लाइन के क्षतिग्रस्त होने और वॉल्ब में खराबी आने के कारण तीन दिन तक बीस फिट ऊंचे फव्वारे के रुप में पानी बहता रहा। नगर पालिका के जिम्मेदारों ने इसके सुधार की सुध चौथे दिन ली। समीप स्थित झुग्गी बस्ती में रहने वालों के अनुसार पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने से बड़ी मात्रा में पानी बेकार बह गया जिसे देखकर बहुत दुःख हुआ। वहीं धरम सागर तालाब के मुसाब घाट में स्थित इंटेक वेल की पाइप लाइन के ज्वाइंट की पैकिंग रबर कटने के कारण बने लीकेज से पखवाड़े भर तक प्रतिदिन सैंकड़ों गैलन पानी बहता रहा। गत दिवस जब रडार न्यूज़ ने पानी की बर्बादी का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला तब कहीं जाकर इसके सुधार को लेकर नपा का अमला सक्रिय हुआ। मंगलवार 31 मई को पाइप में रबर पैकिंग के स्थान पर वैल्डिंग कराकर पानी के बहाव को रोका गया। इन उदाहरणों से स्पष्ट है, जल संकट की इस घड़ी में नपा के नुमाइंदों का बेपरवाह रवैया बरक़रार है। दायित्व के निर्वाहन को लेकर नपा के अमले की हद दर्जे की यह उदासीनता वहां व्याप्त अंधेरगर्दी की खबर देती है। उल्लेखनीय है कि, जब इस संबंध में नगर पालिका परिषद पन्ना की सीएमओ का पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किया गया तो उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ।

खुलने लगी पाइप लाइन की पोल !

पन्ना के धरमसागर तालाब के बंधान पर स्तिथ इंटेक वेल।
पन्ना नगर में यूआईडीएसएसएमटी योजना अंतर्गत दो चरणों में पेयजल व्यवस्था में करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे। इस योजना के दूसरे चरण में जल वितरण नलिकायें (पानी सप्लाई की पाइप लाइन) बिछाई गई। वर्ष 2014 से लेकर 2019-20 तक चले इस कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमितता होने को लेकर गंभीर आरोप लगे थे। बिछाई गई पाइप लाइन के पाइप मानकों के अनुरूप न होने तथा सही तरीके से निर्धारित गहराई तक पाइप न डालने से जुड़ीं ख़बरें को स्थानीय अख़बारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। लेकिन तत्कालीन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने स्वार्थपूर्ति के चक्कर में पाइप लाइन की गड़बड़ियों को रोकने का अपना फर्ज नहीं निभाया जिसका दंश आज शहर की बड़ी आबादी को झेलना पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो आधे शहर में अनुपयोगी पाइप लाइन बिछाई गई है साथ ही उपयोग किए गए पाईपों की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। इसलिए आए दिन पाइप लाइन के पाइप गुब्बारे की तरह फूट रहे हैं। जिससे शहर की पेयजल आपूर्ति बाधित हो रही है।