* तमाशबीन बने डीएफओ ने निर्मित की विचित्र स्थिति
* उत्तर वन मंडल पन्ना के विश्रामगंज रेंज का मामला
* विवादित और भ्रष्ट रेंजर को स्थानांतरण के बाद भी नहीं किया रिलीव
* बिना प्रभारी के ठप्प पड़ीं उड़नदस्ता की गतिविधियाँ, कैसे रुकेंगे वन अपराध
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के सामान्य और संरक्षित वन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय से अराजकता पूर्ण स्थिति निर्मित है। इसके लिए काफी हद तक स्थानीय अधिकारी सीधे तौर जिम्मेदार हैं। कारण, कर्तव्य के निर्वहन के प्रति उदासीन अफसर जबाबदेही के आभाव में स्वार्थपूर्ति की नीति पर चल रहे है। इस मामले में मैदानी अमला भी वरिष्ठ अधिकारियों का अनुसरण कर रहा है। परिणामस्वरूप अब यहाँ न तो जंगल सुरक्षित हैं और न ही जानवर। हालात इतने अधिक खराब हो चुके हैं कि जिले के वन विभाग में वन और वन्यजीवों के संरक्षण-संवर्धन के लिए आने वाले बजट को ठिकाने लगाने और माफियाओं तथा शिकारियों से वन संपदा का सौदा कर तिजोरी भरने का उपक्रम चल रहा है। बजट की इस बंदरबांट में शासन के नियम-निर्देश एवं शीर्ष अधिकारियों के आदेश मजाक बन चुके है। जिले के उत्तर वन मंडल अंतर्गत आने वाली विश्रामगंज रेंज में एक माह से दो-दो रेंजर पदस्थ होना इसका एक उदाहरण मात्र है।
एक रेंज कार्यालय में जहाँ दो-दो रेंजर डटे हैं वहीं वन अपराधों की रोकथाम में अहम भूमिका निभाने वाला उड़नदस्ता की गतिविधियाँ बिना प्रभारी के ठप्प पड़ीं हैं। इससे पता चलता है कि यहाँ प्राथमिकता वन और वन्यजीवों की सुरक्षा नहीं बल्कि कुर्सी है। चिंताजनक पहलू यह है कि उत्तर वन मंडल पन्ना के डीएफओ अपने शीर्ष अफसरों के आदेश पर अमल कर व्यवस्था बनाने के बजाय निहित स्वार्थपूर्ति के चक्कर में तमाशबीन बने हैं। इनकी उदासीनता के कारण अंधेरगर्दी को बढ़ाबा मिल रहा है। उधर, दो-दो रेंज अफसर पदस्थ होने से विश्रामगंज के वनकर्मी और चौकीदार परेशान हैं, दरअसल इन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे किस रेंज अफसर का आदेश मानें। कुछ दिन पूर्व तक जिले के दक्षिण वन मंडल की शाहनगर रेंज में दो-दो रेंजर वाली स्थिति रही है।
इतनी मेहरबानी क्यों !
मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर ने 10 मार्च 2019 को एक आदेश जारी करते हुए उत्तर वन मंडल पन्ना के उड़नदस्ता प्रभारी नंदा प्रसाद अहिरवार को पन्ना रेंज में बतौर प्रभारी वन परिक्षेत्राधिकारी, पन्ना के प्रभारी रेंजर कौशलेन्द्र पाण्डेय को विश्रामगंज रेंज और विश्रामगंज के प्रभारी रेंजर मनोज सिंह बघेल की नवीन पदस्थापना उड़नदस्ता प्रभारी के रूप में की थी। तत्काल प्रभाव से जारी इस आदेश पर अमल करते हुए उसी दिन नंदा प्रसाद अहिरवार ने पन्ना रेंज का पदभार गृहण कर लिया उधर कौशलेन्द्र पाण्डेय ने विश्रामगंज रेंज में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लेकिन कुर्सी के मोह के चलते विश्रामगंज के प्रभारी रेंजर मनोज सिंह बघेल ने सीसीएफ के आदेश को नहीं माना। फलस्वरूप विश्रामगंज रेंज में दो-दो रेंजर पदस्थ होने से विचित्र स्थिति हो गई, जोकि महीने भर से बरकरार है।
गौरतलब है कि डीएफओ उत्तर वन मंडल ने बिना प्रभारी के उड़नदस्ता की गतिविधियाँ ठप्प होने की परवाह किये बगैर मनोज बघेल को पूरा मौका दिया कि वे हाईकोर्ट जबलपुर से स्थगन आदेश ले आएँ। हालाँकि, श्री बघेल को इसमें सफलता नहीं मिली। हाईकोर्ट ने उनकी रिट पिटीशन को 20 मार्च 2019 को ख़ारिज कर दिया। इसके पश्चात प्रभार देने से बचने के लिए वह मेडिकल अवकाश पर चले गए। कुछ दिन पूर्व मनोज बघेल अवकाश से वापिस लौट चुके है लेकिन अब तक उन्होंने कौशलेंद्र पाण्डेय को प्रभार नहीं दिया है।
किंकर्तव्यविमूढ़ बने बैठे डीएफओ इस मामले में सीसीएफ के आदेश पर अमल कराने के प्रति जानबूझकर उदासीनता बरत रहे है। साहब से मिल रहे इस संरक्षण का लाभ उठाकर अपात्र व्यक्ति रेंजर का प्रभार सम्भाल रहा है। मालूम हो कि कौशलेंद्र पाण्डेय और नंदा प्रसाद अहिरवार सीनियर डिप्टी रेंजर हैं, जबकि मनोज बघेल इन दोनों से जूनियर है। नियमानुसार रेंजर का प्रभार सीनियर डिप्टी रेंजर को मिलना चाहिए। लेकिन पिछली सर्कार में राजनैतिक पहुँच और वरिष्ठ अफसरों को खुश करने की व्यवस्थाओं के बलबूते श्री बघेल अपात्र होने के बाद भी पिछले कई वर्षों से विश्रामगंज रेंज के प्रभारी बने बैठे है।
विवादित और भ्रष्ट अफसर की छवि
डिप्टी रेंजर मनोज बघेल लंबे समय से पन्ना जिले में पदस्थ हैं। इनकी छवि एक विवादित और भ्रष्ट अफसर की है। विश्रामगंज रेंजर का प्रभार मिलने के बाद इन पर रुपये लेकर वन क्षेत्र में हीरा-पत्थर खदानें संचालित कराने सरीके संगीन आरोप लग चुके है। कुछ माह पूर्व श्री बघेल की पत्नी के नाम पर दर्ज ट्रेक्टर को वन क्षेत्र में अवैध तरीके से जुताई करते हुए खुद इनके ही द्वारा पकड़ा गया था। इस प्रकरण की तहक़ीत करने पर पता चला कि प्रभारी रेंजर ने उक्त ट्रेक्टर को पहले बगैर वैधानिक प्रक्रिया के एक आदिवासी को बेंच दिया और फिर उससे अतिरिक्त राशि वसूलने के लालच में ट्रेक्टर को कथित तौर पर वन भूमि में जुताई करते हुए पकड़ना बताकर वन अपराध पंजीबद्ध किया था। इसके पूर्व जिले के बृजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत शासकीय वाहन से हुए एक्सीडेंट के प्रकरण में इनके गलत बर्ताव के कारण मौके पर तनावपूर्ण स्थिति बनी थी।
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