प्राचीन परंपरा | महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश राघवेन्द्र सिंह को सौंपी दिव्य तलवार

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-पन्ना राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य लोकेन्द्र सिंह खेजड़ा मंदिर में महामति श्री प्राणनाथ के चरणों में नमन करते हुए।

सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही परम्परा के साक्षी बने हजारों सुन्दरसाथ

महामति प्राणनाथ जी एवं महाराजा छत्रसाल जी के जयकारों से गूंजा नगर

पवित्र नगरी पन्ना में अंतर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव का हुआ भव्य आगाज

पन्ना। रडार न्यूज     विजयादशमी के दिन पांच पद्मावती पुरी धाम पन्ना के प्राचीन खेजड़ा मंदिर की छठा निराली थी। मंदिर के विशाल परिसर में सायंकाल 4 बजे से एकत्र महामति के हजारों अनुयायी भक्तिभाव में लीन होकर बड़ी उत्सुकता के साथ उस घड़ी और दृश्य का इंतजार करने लगे जो आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व घटी थी, तब आज के ही दिन महामति श्री प्राणनाथ जी द्वारा छत्रसाल जी को दिव्य तलवार और बीरा भेंट कर उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया था। फलस्वरूप उन्होंने मुगलों के विरुद्ध ऐतिहासिक 52 लड़ाइयां जीतकर बुंदेलखंड में अपना साम्राज्य स्थापित किया था। तभी से प्रतिवर्ष दशहरा के दिन इस परम्परा के निर्वाहन में महाराज छत्रसाल के वंशजों को तलवार व वीरा भेंट किया जाता है। शुक्रवार को खेजड़ा मंदिर में सैंकड़ों वर्ष पुरानी इस गौरवशाली परंपरा का निर्वाहन करते हुए सायंकाल 7 बजे जब मंदिर के पुजारी द्वारा पन्ना नरेश महाराज राघवेन्द्र सिंह को तिलक लगाकर चमत्कारिक दिव्य तलवार और बीरा भेंट किया गया तो पूरा नगर श्री प्राणनाथ प्यारे और महाराजा छत्रसाल के जयकारों से गूंज उठा। इस परम्परा के साक्षी बने देश-विदेश से आए हजारों सुन्दरसाथ श्रद्धालुओं ने अपने आप को धन्य महसूस करते हुए श्री जी के चरणों में मत्था टेका। इस अवसर पर पन्ना राज परिवार के वरिष्ठ सदस्य लोकेन्द्र सिंह और श्री प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी, प्रणामी समाज के धर्मोपदेशक तथा विद्वानजन उपस्थित रहे।

विद्वानों ने बताई महिमा

खेजड़ा मंदिर प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालु।

प्रणामी समाज की ऐसी मान्यता है कि महामति प्राणनाथ जी ने छत्रसाल जी को देश और धर्म की रक्षा के लिए वरदानी तलवार सौंपी थी तथा वीरा उठाकर संकल्प करवाया था।.महामति प्राणनाथ जी से मिले आशीर्वाद और चमत्कारिक दिव्य तलवार से ही छत्रसाल जी शक्तिशाली मुगलों को 52 लड़ाइयों में पराजित कर बुंदेलखंड में अपना विशाल साम्राज्य स्थापित कर पाए। और फिर पन्ना को उन्होंने अपनी राजधानी बनाया। शुक्रवार को खेजड़ा मंदिर में धर्म गुरूओं द्वारा विस्तारपूर्वक छत्रसाल जी की महिमा बताई और महामति श्री प्राणनाथ जी द्वारा दिए गए आशीर्वाद स्वरूप दिव्य तलवार व बीरा का महत्व बतलाया। धर्मोपदेशक पं. खेमराज जी ने इस स्थान की विशेषता तथा अखंड मुक्तिदाता, निष्कलंक बुद्ध अवतार, प्राणनाथ जी की महिमा सुनाते हुए कहा कि इसी स्थान से नरवीर केसरी महाराजा छत्रसाल साकुण्डल हुये थे और पूरे देश में एकता, सामाजिक समरसता का वह भाव जो उन्हें महामति प्राणनाथ जी ने दिया था उसे विस्तारित किया था। आपने कहा कि यह महामति का आर्शीवाद ही था कि छत्रसाल छत्ता हो गए और उनके तेज से सारे सुल्तान घब़राने लगे थे। इस अवसर पर धर्मोपदेशक पं. कुंजबिहारी दुबे, मनोज शर्मा, पुजारी देवकरण त्रिपाठी, डॉ. मस्तबाबा जी महाराज ने भी अपने उद्बोधन में महामति प्राणनाथ और छत्रसाल के बारे में उपस्थित लोगों को जानकारी दी।