पन्ना में टाईगर रिजर्व के बाद घड़ियाल सेंचुरी भी पुनः हुई आबाद, मुरैना से 25 घड़ियाल लाकर केन नदी में छोड़े गए

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केन घड़ियाल सेंचुरी, खजुराहो के मोहारी घाट में घड़ियालों को केन नदी में छोड़ते वनकर्मी।

* प्रजनन केन्द्र देवरी से लाए गए 20 मादा व 5 नर घड़ियाल

* कई वर्षों से केन घड़ियाल सेंचुरी में एक मात्र मादा घड़ियाल की रही मौजूदगी

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in)  मध्य प्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों के उजड़े हुए संसार को पुनः आबाद करने की ऐतिहासिक सफलता के बाद यहां की केन घड़ियाल सेंचुरी को पुनः आबाद करने का कार्यक्रम शुरू हो गया है। मुरैना जिले के देवरी स्थित घड़ियाल प्रजनन केन्द्र से 25 घड़ियालों को लाकर केन नदी के मोहारी घाट में सुरक्षित तरीके से छोड़ा गया। इनमें 20 मादा व 5 नर घड़ियाल शामिल हैं। देशी और विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहने वाली पन्ना टाईगर रिजर्व की केन घड़ियाल सेंचुरी में अब पर्यटक आसानी से घड़ियालों का दीदार कर सकेंगे।
विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खजुराहो के नजदीक स्थित रनेह फॉल एवं केन घड़ियाल सेंचुरी को देखने के लिए बड़ी तादाद में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से से यहां पर एक मात्र मादा घड़ियाल ही नजर आती रही है। नर घड़ियाल के आभाव में प्रजनन न होने से पन्ना की केन घड़ियाल सेंचुरी का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर पहुँच गया था। पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लेते हुए घड़ियाल सेंचुरी को पुनः आबाद करने की दिशा में ठोस प्रयास शुरू किए गए। करीब एक वर्ष के सतत प्रयास के फलस्वरूप मुरैना जिले के देवरी स्थित घड़ियाल प्रजनन केन्द्र से 25 घड़ियाल प्राप्त करने में कामयाबी मिली है। शनिवार 21 दिसम्बर को विशेषज्ञों की एक टीम 20 मादा व 5 नर घड़ियालों को लेकर पन्ना पहुँची, जिन्हें केन नदी के मोहारी घाट में सफलतापूर्वक छोड़ा गया।
पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बताया कि यहाँ आने के बाद मुझे पता चला कि केन घड़ियाल सेंचुरी, खजुराहो में सिर्फ एक मात्र मादा घड़ियाल की ही मौजूदगी है। सेंचुरी में घड़ियालों को पुनः बसाने के लिए प्लान तैयार कर मुरैना से घड़ियाल प्राप्त करने के प्रयास शुरू किए गए। करीब एक वर्ष की मेहनत के बाद आखिरकार हम घड़ियाल प्राप्त करने में कामयाब रहे। श्री भदौरिया ने कहा कि नर व मादा घड़ियाल पर्याप्त संख्या में मिल जाने से अब सूनी पड़ी केन घड़ियाल सेंचुरी भी आबाद हो गई है। आपने बताया कि शनिवार को केन घड़ियाल सेंचुरी के मोहारी घाट में मुरैना से प्राप्त घड़ियालों को रिलीज करने के लिये सभी अनुमतियां व आवश्यक तैयारियां पार्क प्रबन्धन द्वारा पूर्व से ही कर ली गई थीं। घड़ियालों के यहां आने पर उन्हें सुरक्षित तरीके से सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया है। अब इनकी सतत निगरानी की जा रही है।

इसलिए संकट में आए घड़ियाल

पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बताया कि केन घड़ियाल सेंचुरी, खजुराहो में आखिरी बार वर्ष 2007 में घड़ियाल लाकर छोड़े गए थे। महज 12 वर्ष में यहाँ पुनः घड़ियालों का वजूद खतरे में क्यों आया ? इस सवाल पर वे कहते हैं, केन नदी के दोनों किनारों पर रेत का आभाव होने तथा बारिश के मौसम नदी के तेज बहाव में घड़ियालों के बहकर उत्तर प्रदेश चले जाने के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी है। विदित हो कि घड़ियालों के प्रजनन हेतु नदी के दोनों किनारों पर पर्याप्त मात्रा में रेत होना आवश्यक है, क्योंकि घड़ियाल रेत में ही अपने अण्डे देते हैं। पिछले कुछ वर्षों से केन नदी के दोनों किनारों पर बड़े पैमाने में रेत का वैध-अवैध खनन होने का दुष्परिणाम घड़ियालों के सदियों पुराने प्राकृतिक रहवास पर पड़ा है। नदी के बड़े क्षेत्र को रेत खनन के लिए मशीनों से जिस तरह खोखला किया गया उससे घड़ियालों के लिए हालात काफी मुश्किल हो गए। सूत्र बताते हैं, घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में भी चोरी-छिपे रेत का अवैध उत्खनन लम्बे समय तक जारी रहा। इस विनाशलीला के चलते घड़ियालों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर पहुँच गया।

8-10 वर्ष बाद शुरू होगा प्रजनन

क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने केन नदी पर रेत के बड़े पैमाने पर होने वाले अवैध उत्खनन पर चिन्ता प्रकट करते हुये कहा कि केन नदी के किनारों पर रेत नहीं रह गई है। रेत के अभाव में घड़ियालों का लम्बे समय तक जीवित रह पाना बड़ा कठिन हो जाता है। केन घड़ियाल सेंचुरी,खजुराहो के आस-पास नदी के किनारों से रेत मिल ही नहीं रही, जो चिन्ता की बात है। केन घड़ियाल सेंचुरी में छोड़े गये घड़ियालों को अनुकूल व सुरक्षित परिस्थितियां मिलें, इसके लिये जरूरी उपाय किए जा रहे हैं, ताकि प्रजनन की प्रक्रिया बिना बाधा के जारी रहे। आपने बताया कि केन नदी में छोड़े गए घड़ियाल अभी दो से ढाई वर्ष की आयु के है। ये लगभग 8-10 वर्ष बाद प्रजनन के लिए तैयार हो जाएंगे। यानी घड़ियालों की नई पीढ़ी को आने में अभी काफी वक्त लगेगा।