आख़िरकार मासूम अनिरूद्ध ने जीती मौत से जंग

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माँ की गोद में खिलखिलाता मासूम अनिरुद्ध

बचपन में ही हार्ट सहित हुई दो सर्जरी और कुपोषण, इतना कुछ सहा है अनिरूद्ध ने

उचित परामर्श और समय पर समुचित इलाज से बची जिंदगी

पन्ना। रडार न्यूज अनूप के घर खुशियां तो आईं पर जैसे किसी की नजर लग गई हो। विवाह के बाद जब अनूप और सुष्मिता की पहली संतान अनिरूद्ध ने जन्म लिया तो उनका पूरा परिवार खुशियों से भर उठा। अनूप सोनी पन्ना शहर के वार्ड क्रमांक 12 सिंचाई काॅलोनी के निवासी हैं। अनिरूद्ध अपने दादा विनोद सोनी का पहला पोता है। उसके आने से जैसे उसके दादा का बचपन भी लौट आया था। मासूम अनिरूद्ध को जन्म के बाद से अपनी जिंदगी के लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ा। लेकिन आज अनिरूद्ध मौत से जंग जीतकर पूरी तरह स्वस्थ हो चुका है। जिसमें माता-पिता के साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सुपरवाईजर, परियोजना अधिकारी और जिले के डाॅक्टर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बहू सुष्मिता के गर्भवती होेते ही सासू मां बिना देर किए अपने नजदीकि आॅगनवाडी केन्द्र पहुंच गई थीं। वहां उन्होने बहू का स्वास्थ्य परीक्षण कराया एवं पंजीयन भी करवा दिया। जिसके बाद मंगलवार के दिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमति कुसुम शुक्ला द्वारा धूम-धाम से गोद भराई की रस्म निभाई गई। कार्यकर्ता द्वारा आगे भी समय-समय पर सुष्मिता की जांच कराई गई और सभी टीके भी लगवाये गये। जिसके बाद वह दिन आया जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था। जिला स्वास्थ्य केन्द्र पन्ना में 14 अप्रैल 2017 को सुष्मिता ने परिवार के नए सदस्य अनिरूद्ध को जन्म दिया। पूरा परिवार नए मेहमान के आने की खुशियां मना रहा था। तभी पता चला कि अनिरूद्ध के शरीर में मल द्वार ही नही हैं। इससे उनका परिवार चकित रह गया। चिंतित होकर उन्होंने आॅगनवाडी कार्यकर्ता से संपर्क किया।

जबलपुर में हुई पहली सर्जरी

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सलाह पर डाॅक्टरों से संपर्क कर वे बच्चे को जबलपुर ले गये जहाॅ आॅपरेशन कर अनिरूद्ध का मल द्वार खोला गया। बच्चे के जन्म के बाद से ही कार्यकर्ता द्वारा अनिरूद्ध का पंजीयन आॅगनवाडी केन्द्र में कर दिया गया था जिसके बाद वह लगातार संपर्क में बनी रहीं। कार्यकर्ता द्वारा

मौत से जंग जीतने के बाद पूर्णतः स्वस्थ्य मासूम अनिरुद्ध

बच्चे व परिवार के साथ घटित पूरा वाक्या परियोजना अधिकारी श्रीमती रेखा बाला सक्सेना एवं पयवेक्षक श्रीमति किरण खरे को बताया गया। जिसके बाद से परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक ने अनिरूद्ध पर हमेशा विशेष ध्यान रखा। बच्चे पर सत्त निगरानी रखी। इस दौरान उन्होंने पाया कि अनिरूद्ध की आयु के हिसाब से उसका वजन नही बढ़ रहा है और अनिरूद्ध कुपोषण ग्रस्त होता जा रहा हैं। इससे कार्यकर्ता एवं समस्त अधिकारियों ने चिंतित हो कर अनिरूद्ध के परिजनों से भेंट की। परिजनों को कई बार समझाईश और प्रेरणा देकर नन्हें अनिरूद्ध को पोषण पुर्नवास केन्द्र पन्ना में भर्ती कराया गया। जहाॅ डाॅ. पीके गुप्ता द्वारा स्वास्थय परीक्षण कर बताया कि अनिरूद्ध को गंभीर समस्या है। किसी बडे शहर-हाॅस्पिटल में स्वास्थ्य परीक्षण कराने की आवश्यकता है।

हार्ट में थे दो छेद

परिजनों ने सतना में अनिरूद्ध की जाॅच कराई। जांच के बाद पता चला कि उसके हार्ट में 2 छेद हैं। एक के बाद एक परेशानी के सामने आने से अनिरूद्ध के परिजन घबराने लगे थे। बिना देर किये उन्होने बैंगलोर में रह रहे अपने रिश्तेदारों से संपर्क कर एनएच नारायण हाॅस्पिटल में 23 फरवरी 2018 को अनिरूद्ध का आॅपरेशन कराया। आॅपरेशन सफल रहा। पिछले माह 8 अप्रैल 2018 को नन्हा अनिरूद्ध मौत से जंग जीत कर अपने घर वापिस आ गया है। आज अनिरूद्ध पूरी तरह से स्वस्थ हैं। अपने लाड़ले अनिरूद्ध को खुशहाल और स्वस्थ देख पूरा परिवार खुश हैं और परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक, कार्यकर्ता एवं पूरे महिला बाल विकास विभाग को दुआएं देते नही थकता और कहता है कि आप सभी के सहयोग और समय पर जानकारी देने से ही नन्हें अनिरूद्ध को नया जीवन मिला सका है।

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