पिता को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे युवक को मिला शहरवासियों का साथ

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ज्ञापन सौंपने के बाद संयुक्त कलेक्ट्रेट के बाहर खड़े शोक संतृप्त परिजन एवं शहरवासी।

* राज्य मानव अधिकार आयोग और मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

* मुन्ना की मौत के लिए हठधर्मी चिकित्सकों एवं राजस्व अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया 

पन्ना। (www.radarnews.in) शहर के रानीगंज मोहल्ला में गाड़ीखाना के समीप रहने वाले सुरेन्द्र उर्फ मुन्ना रैकवार की असमय मौत के लिए पीड़ित पुत्र और परिजनों ने कतिपय चिकित्सकों और प्रभारी तहसीलदार पन्ना को जिम्मेदार ठहराया है। पिता को इंसाफ दिलाने के लिए कुछ दिनों से अकेले संघर्ष कर रहे वीरेन्द्र रैकवार को शहरवासियों का साथ मिला है। सोमवार को वीरेन्द्र ने शहर के कुछ लोगों के साथ नवीन संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन पहुंचकर अध्यक्ष राज्य मानवाधिकार आयोग और मुख्यमंत्री के अपर कलेक्टर जेपी धुर्वे को ज्ञापन सौंपा है। सभी लोगों ने मुन्ना रैकवार की मौत की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए पीड़ित वीरेन्द्र रैकवार एवं उसके साथ खड़े पन्ना के नागरिक।
पीड़ित पुत्र वीरेंद्र रैकवार ने आरोप लगाया है की तहसीलदार पन्ना उनके घर दिनांक 19 जुलाई 2020 को पहुंची और कहा गया कि आप लोगों का कोरोना टेस्ट होना है। वीरेंद्र रैकवार ने उन्हें बताया कि उनके पिता बीपी और शुगर मरीज हैं, वे क्वॉरेंटाइन सेंटर में नहीं रह सकते हैं। इसलिए तहसीलदार से आग्रह किया गया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम को घर से ही सैम्पल लेने के लिए निर्देशित कर दें और हम लोग होम क्वॉरेंटाइन कर लेंगे। मगर तहसीलदार पन्ना ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और कथित तौर पर दबाव डालते हुए कोरोना जांच सैम्पल देने के लिए पुरना पन्ना स्थित क्वारेंटाइन सेंटर आने के लिए दबाव डाला गया। वीरेन्द्र के अनुसार तहसीलदार ने उससे कहा कि सैम्पल देने के बाद वह अपने माता-पिता को तुरंत वापस घर ले जा सकता है। जिसके बाद पीड़ित पुत्र वीरेंद्र रैकवार अपने पिता सुरेन्द्र उर्फ मुन्ना रैकवार एवं अपनी माँ को पुराना पन्ना स्थित क्वारेंटाइन सेंटर ले गया। जहां सैम्पल देने के बाद वीरन्द्र ने अपने माता-पिता को लेकर घर जाने के लिए कहा तो वहां मौजूद चिकित्सकों एवं राजस्व अधिकारी ने कथित तौर पर मना करते हुए पुलिस बल का दबाव देकर वहीं पर रखने के लिए मजबूर कर दिया गया।
पत्रकारों को अपनी आपबीती सुनाते हुए पीड़ित वीरेन्द्र रैकवार।
पिता-पुत्र ने चिकित्सकों एवं राजस्व अधिकारी को समझाने की काफी कोशिश की लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनीं। अंततः बीपी एवं शुगर के मरीज मुन्ना रैकवार की हालत धीरे-धीरे बिगड़ती गई और दिनांक 20 जुलाई को सुबह उल्टियां करने लगे तथा बेहोशी की हालत में पहुंच गये। इस पर परिजनों के द्वारा हंगामा करने के बाद मुन्ना को वहां से निकाला गया। जिसके बाद पीड़ित परिजन लेकर मदर टेरेसा हॉस्पिटल पन्ना पहुंचे जहां पर मुन्ना रैकवार की हालत काफी नाजुक होने के चलते उन्हें जबलपुर रेफर किया गया। जहां पर मुन्ना रैकवार ने दम तोड़ दिया था। इस सम्बंध में रविवार 10 अगस्त को पीड़ित परिजनों ने एवं शहरवासियों ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गये ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कर तथा दोषी अधिकारी एवं कर्मचारियों पर प्रकरण दर्ज करते हुए सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये। ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।