दंगल में जोर आजमाइश | पहलवानों ने दिखाया दमखम, ठोंकी ताल

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पन्ना जिले के पर्यटक ग्राम मड़ला में आयोजित हुई कुश्ती दंगल प्रतियोगिता के मुकाबलों का शुभारंभ समाजसेवी मनोज केसरवानी द्वारा कराया गया।

  विजेता प्रतिभागियों को अतिथियों ने नकद राशि देकर किया सम्मानित

*    पर्यटक ग्राम मड़ला में हुआ इनामी कुश्ती दंगल प्रतियोगिता का आयोजन

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के प्रसिद्ध पर्यटक ग्राम मड़ला में हर साल की तरह इस साल भी रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर कुश्ती दंगल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जिसमें बुंदेलखंड अंचल सहित मध्यप्रदेश के अन्य जिलों तथा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के पहलवानों ने अखाड़े में उतरकर ताल ठोंकते हुए अपना दमखम दिखाया। पहलवानों ने एक से बढ़कर एक दावपेंच आजमाते हुए जब एक-दूसरे पटखनी दी तो उपस्थित दर्शकों का रोमांच तालियों की गड़गड़ाहट व शाबाशी की बुलंद आवाज़ के रूप प्रकट हुआ। मुकाबलों के दौरान पूरे समय लोग पहलवानों का उत्साहवर्धन करते रहे।
पर्यटक ग्राम मड़ला में आयोजित हुई कुश्ती दंगल प्रतियोगिता के दौरान पहलवानों ने एक से बढ़कर एक दावपेंच दिखाए।
कुश्ती दंगल प्रतियोगिता को देखने के लिए आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी मड़ला पहुंचे थे। ईनामी दंगल प्रतियोगिता का आयोजन राकेश तिवारी पहलवान के द्वारा किया गया। प्रतियोगिता में अतिथि के रूप में समाजसेवी एवं कांग्रेस के युवा नेता मनोज केसरवानी, दशरथ यादव पहलवान और रामनरेश यादव मौजूद रहे। इनामी दंगल प्रतियोगिता के मुकाबलों का शुभारंभ कांग्रेस नेता मनोज गुप्ता (केसरवानी) के द्वारा परम्परानुसार पहलवानों का परिचय कराने के बाद आपस में उनके हाथ मिलवाकर कराया गया। प्रतियोगिता के अंत में अतिथियों ने विजेताओं को नकद राशि सम्मानित किया।

खेलों में करियर बनाकर नाम रोशन करें : मनोज 

कुश्ती दंगल प्रतियोगिता के मुकबलों के दौरान पहलवानों का उत्साहवर्धन करने के लिए नगड़िया की थाप के बीच दर्शक तालियां बजाते रहे।
इस अवसर पर समाजसेवी मनोज केसरवानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि, कुश्ती दंगल भारत के सबसे प्राचीन खेलों में से एक है। इसका उल्लेख हमारे हजारों वर्ष पुराने धर्मग्रथों में मल्लयुद्ध के रूप में मिलता है। अनेक भारतीय पहलवानों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में देश का नाम रोशन किया है। कुश्ती दंगल प्रतियोगिता को बल-बुद्धि से मजबूत लोगों का खेल माना जाता है। क्योंकि शारीरिक सौष्ठव मात्र से कोई पहलवान अपने प्रतिद्वंदी को पटखनी नहीं दे सकता है। यदि शारीरिक मजबूती के साथ पहलवान मानसिक रूप से भी मजबूत है और उसमें तुरंत सही निर्णय लेने की क्षमता है, अर्थात कब-कौन सा दांव चलना है तो निश्चित ही उसे विजय श्री प्राप्त होती है।
विजेता पहलवानों को समाजसेवी मनोज केसरवानी, पहलवान दशरथ यादव व जयराम यादव के द्वारा नकद राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया।
उन्होंने युवाओं से आव्हान करते हुए कहा कि, वह अपनी रुचि अनुरूप खेलों हिस्सा लें, क्योंकि खेलों से तनमन स्वस्थ रहता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास होता है। खेल को करियर बनाकर आप स्वयं का और देश का नाम रोशन कर सकते हैं। इस अवसर पर किसान एवं आदिवासी नेता जयराम यादव ने सभी उपस्थित लोगों आभार प्रकट किया।