* मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की विश्वनीयता एक बार फिर कटघरे में
* इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता पंकज प्रजापति ने लगाए गंभीर आरोप
* मुख्यमंत्री कमलनाथ और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी को भेजी शिकायत
भोपाल।(www.radarnews.in) उच्च शिक्षा विभाग में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती पिछले वर्ष-2018 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित हुई। शुरू से ही विवादों से घिरी रही इस भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनिमितता एवं फर्जीवाड़ा होने के बेहद गंभीर आरोप लग रहे हैं। जिससे व्यापमं के बाद एमपी पीएससी की विश्वसनीयता कठघरे में है। तकरीबन तीन हजार चार सौ पदों पर आनन-फानन में हुई इस भर्ती की इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता एवं संवाद क्रांति आंदोलन के संयोजक पंकज प्रजापति ने शनिवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी सहित शासन के उच्च अधिकारियों को प्रमाणित लिखित शिकायत भेजकर इस पर शीघ्र कार्यवाही करने की मांग की।
शिकायत में क्या है पूरा मामला …
प्रेस में जारी विज्ञप्ति में सामाजिक कार्यकर्ता पंकज प्रजापति ने बताया है कि, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2017 में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत सहायक प्राध्यापक के विभिन्न विषयों के कुल 2968 पद की पूर्ति के लिए विज्ञापन क्रमांक 07/2017/ दिनांक 12/12/2017 जारी किया जिसमें आयोग ने बैकलॉग के रिक्त 707 पदों, पदोन्नति /सेवानिवृत्त से रिक्त 1040 पदों, और नवीन सृजित 1221 पद, कुल 2968 पदों की पूर्ति करना बताई गई। लेकिन बाद में पुनः आवदेन पत्र भरने की दिनांक 16/04/2018 से 30/04/2018 तक घोषित की गई और इस बार तीनों ही प्रकार के रिक्त पदों में बढ़ोत्तरी हुई और कुल पद 3422 किये गए । विज्ञापन क्रमांक 07/2017 दिनांक 12/12/2017 जिसमें आवेदन की अंतिम तिथि 24/01/2018 थी परन्तु आयोग द्वारा पुनः आवेदन पत्र जमा करवाने के लिए पत्र जारी किया। जिसके तरह दिनांक 16/04/2018 से 30/04/2018 तक आवदेन जमा करने की छूट दी गई ।
विस चुनाव के कारण हटाया गया साक्षात्कार
विज्ञापन क्रमांक 07/2017 दिनांक 12/12/ 2017 में चयन हेतु महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश व शर्तें जैसे- अनिवार्य शैक्षणिक अर्हता, लिखित परीक्षा, साक्षात्कार, आरक्षण, सामान्य प्रशासन नियम, विश्विद्यालय अनुदान आयोग की मार्गदर्शिका, मध्यप्रदेश विश्विद्यालय अधिनियम 1973, मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा भर्ती नियम 1990 सहित कई नियम व कानूनों के अंतर्गत जरूरी योग्यता अनिवार्य होना बताई गई थी और उक्त प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा होने में कम से कम 1से 2 वर्ष समयावधि लगने की उम्मीद थी। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर साक्षात्कार आयोजित करने में समय लगना स्वभाविक था ।
मध्यप्रदेश की तत्कालीन बी.जे.पी.सरकार द्वारा भर्तियों में फर्जीवाड़ा किया जा सके इस उद्देश्य से मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा भर्ती नियम 1990 जो मूल है उसमें सिर्फ इस भर्ती के लिए साक्षात्कार हटाने का संशोधन कर बड़ी अनिमितता की गई। ये सीधे तौर पर विश्विद्यालय अनुदान आयोग विनियम 2010 के विरुद्ध होकर उसका सीधा उलंघन है। जोकि अपने आप अपने मे एक बड़े घोटाले को इंगित करता है ।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 में विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बी.जे.पी. व संघ से जुड़े कुछ बड़े भ्रष्ट नेताओं के संरक्षण में पल रहे लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर भर्ती प्रकिया में भ्रष्टाचार व अपने से जुड़े व्यक्तियों को फायदा पहुचाने के उद्देश्य से प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूर्ण करने की जल्दबाजी दिखाई और भर्ती प्रक्रिया का महत्वपूर्ण भाग (अर्हता) साक्षात्कार को एक सुनियोजित तरीके से शुद्धिपत्र क्रमांक 11/07/2017 दिनांक 09/05/2018 जारी कर हटा दिया गया ।
साक्षात्कार को भर्ती प्रक्रिया से हटाने के लिए शासन का आदेश क्रमांक एफ 1/03/2018/30-1 दिनांक 04/05/2018 जो डॉ बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्विद्यालय महू संदर्भ था को गलत तरीके से आधार बनाकर शुद्धिपत्र क्रमांक 11/07/2017 दिनांक 09/05/2018 के बिंदु “3” में साक्षात्कार को विलोपित किया जाना बताया गया। जोकि अपने आप में तत्कालीन बी.जे.पी.सरकार की नियुक्ति में भ्रष्टाचार घोटाला करने की मंशा को साफ जाहिर करती है ।
उच्च अधिकारियों को है फर्जीवाड़ा की जानकारी !
सहायक प्राध्यापक भर्ती के परिणाम सामने आने के बाद कई तरीके की अनिमितता व फर्जीवाड़े के प्रमाण सामने आये है, जिसे लेकर अलग -अलग प्रभावित योग्य अभ्यर्थियों द्वारा शासन व न्यायालय समक्ष प्रकरण प्रस्तुत गए। जिनमें कई प्रकरणों की जांच भी शासन स्तर पर की गई। श्री प्रजापति का दावा है कि, वर्तमान में मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों ने भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनिमितताएं व भ्रष्टाचार होने की पुष्टि भी विभागीय स्तर पर की है।
ज्वाइनिंग के लिए दबाव बना रहे हैं अभ्यर्थी
सामाजिक कार्यकर्ता पंकज प्रजापति का आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया घोटाले में भारतीय जनता पार्टी व संघ से जुड़े बड़े नेता शामिल है। जिनके द्वारा बड़े पैमाने पर अनिमितताएं व भ्रष्टाचार कर भाजपा एवं संघ से जुड़े अयोग्य व्यक्तियों को फायदा पहुँचाया गया है। अब ये लोग वर्तमान सरकार पर पदस्थापना देने के लिए दबाव डालने के उद्देश्य के प्रायोजित आंदोलन करवा रहे है। जिसमें उक्त भ्रष्ट नेताओं द्वारा पूरा सहयोग दिया जा रहा है। ताकि इस बड़े घोटाले से सबका ध्यान हटाकर सभी को पदस्थ कराया जा सके और इस घोटाले को दबाया जा सके। इन आरोपों के सम्बंध में जब एमपी पीएससी का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।