पहले उड़ते थे विमान, अब उड़ती है धूल

0
1566

घोर उपेक्षा के चलते सकरिया हवाई पट्टी का अस्तित्व संकट में

स्टेट टाइम में हुआ था निर्माण

पायलट प्रशिक्षण केन्द्र बनाने के वादे निकले खोखले

पन्ना। रडार न्यूज रियासत काल में पन्ना की प्रसिद्धि दूर-दूर तक थी, यहां के राजाओं द्वारा विशेष रूप से बनवाये गये भव्य मंदिर, स्मारक, महल और झीलनुमा तालाब उस दौर में पन्ना को सुंदर शहर बनाते थे। स्टेट टाइम में पन्ना कितना विकसित और समृद्ध था, इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि जब अन्य शहरों में गिनती की बसें चला करतीं थी, तब पन्ना से दिल्ली के लिये डेकोरा विमान की नियमित सेवा संचालित थी। घने जंगलों और विंध्य पर्वत श्रंखला की गौद में बसे इस सुंदर शहर मित्र राजाओं एवं अंग्रेज अफसरों के भ्रमण को सुगम बनाने के लिये महाराज यादवेन्द्र सिंह ने पन्ना के नजदीक सकरिया में 1929 में विशाल हवाई पट्टी का निर्माण कराया था। इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि रियासत काल में जिस हवाई पट्टी पर विमान उतरते रहे हैं, आज वहां धूल के गुबार उड रहे हैं। सरकारों की घोर उपेक्षा से सकरिया हवाई पट्टा अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। पन्ना से करीब 10 किलोमीटर दूर सतना मार्ग पर एनएच-39 के किनारे कई हेक्टेयर में फैली सकरिया हवाई पट्टी का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। समय के थपेड़ों की मार से ध्वस्त हो चुके एयरपोर्ट भवन और हवाई पट्टी के सपाट मैदान और कटीली झाड़ियों से पट चुका सपाट मैदान ही अब यहां शेष है। अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रही इस प्राचीन हवाई पट्टी के बारे में पन्ना की युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है। इसकी बदहाली देखकर उन नाकारा जनप्रतिनिधियों को जी भरकर कोसने का मन होता है, जोकि कई सालों तक कभी हवाई पट्टी के शुरू होने तो कभी शासन द्वारा पायलट प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने का सब्जबाग दिखाकर वोटों की फसल काटते रहे है। व्यवसायिक विमानन सेवाओं हेतु अथवा पायलट प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में ऐतिहासिक सकरिया हवाई पट्टी को विकसित किया जाना, तो दूर स्थानीय जनप्रतिनिधि हवाई पट्टी की गौरवशाली विरासत को भी नहीं संभाल सके। सतना मार्ग पर राष्ट्रीय राजमार्ग 39 के किनारे सकरिया-बहेरा ग्राम के बीच स्थित हवाई पट्टी का नामोनिशान पूरी तरह मिट चुका है। इसका विस्तृत भू-भाग में खरपतवार, कटीली झाड़ियों और घास से पट चुका है। घोर उपेक्षा और बदहाली के चलते बर्बाद हो चुकी सकरिया हवाई पट्टी को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि वहां कभी सर्वसुविधा युक्त हवाई पट्टी रही है। बुजुर्ग यदि ना बतायें तो पन्ना की युवा पीढ़ी को इसके बारे में पता भी ना चले। पन्ना की राजसी वैभव, स्वर्णिम इतिहास और रियासत काल में पन्ना के विकास से जुड़ी इस महत्वपूर्ण धरोहर को संरक्षित करने अथवा समय के साथ इसे विकसित करने में जिम्मेदारों ने कोई रूचि नहीं ली। कतिपय उम्रदराज लोगों का मानना है कि सकरिया हवाई पट्टी को लेकर हमारे जनप्रतिनिधि यदि जरा भी संजीदा होते तो शायद खजुराहो में स्थित हवाई अड्डा सकरिया में होता। पन्ना के विकास को एक महत्वपूर्ण आयाम देने में सक्षम इस धरोहर को सहेजने में दिलचस्पी न लेने के लिए किसी एक जनप्रतिनिधि को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। अपितु पन्ना विधानसभा क्षेत्र से अब तक जितने भी विधायक अथवा इस संसदीय क्षेत्र से जिस भी दल के सांसद निर्वाचित हुये वे सभी इस मामले में बराबर के दोषी है।

शिकार करने आते थे राजा-महाराजा

सकरिया हवाई पट्टी

सकरिया हवाई पट्टी के संबंध में पन्ना राज परिवार के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह ने रडार न्यूज से अनौपचारिक चर्चा में बताया कि उनके दादा महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने अपने साले जयपुर महाराजा मान सिंह के कहने पर इसका निर्माण कराया था। रियासत काल में और आजादी के शुरूआती कुछ दशकों तक सकरिया की हवाई पट्टी पूर्णतः विकसित रही है। श्री सिंह के अनुसार उन्हें अच्छी तरह याद है कि जब वे किशोर अवस्था में थे, तब पन्ना नरेश महाराज यादवेन्द्र सिंह के समय  मित्र अतिथि रियासतों के राजा-महाराजा बाघ का शिकार करने के लिये निजी विमान से सकरिया हवाई पट्टी पर उतरते थे। वे जब तक पन्ना में ठहरते थे तब तक सकरिया हवाई पट्टी में ही उनके विमान खड़े रहते थे। बकौल श्री सिंह सकरिया हवाई पट्टी उस दौर में काफी प्रसिद्ध थी क्योंकि उस समय आसपास इतनी वृहद और विकसित हवाई पट्टी कहीं नहीं थी। पन्ना से सांसद और विधायक रहे लोकेन्द्र सिंह सकरिया हवाई पट्टी की बदहाली को लेकर नाराज हैं। उनकी मांग है कि सकरिया हवाई पट्टी को पुर्न निर्माण कराकर यहां पायलेट ट्रेनिंग इंस्टीयूट प्रारंभ किया जाये।

पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह

विमान से ले गये थे बाघ

पूर्व सांसद लोकेन्द्र सिंह ने सकरिया हवाई पट्टी की चर्चा के दौरान एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि पन्ना नरेश यादवेन्द्र सिंह के साले जयपुर महाराजा मान सिंह एक बार बाघों का शिकार करने के लिये छोटे विमान से पन्ना आये। यहां के जंगलों में उनके द्वारा एक बाघ का शिकार किया गया। महाराजा मान सिंह मृत बाघ को निशानी के रूप में अपने महल जयपुर ले जाने के लिये एक बडा विमान बुलाया। उस दिन सकरिया की हवाई पट्टी से चंद मिनट के अंतर्राल में दो विमानों ने उडान भरी थी, जिसे देखने के लिये सैंकडों लोग जमा हुए थे। आप ने बताया कि बडे विमान में महाराजा मान सिंह के साथ पन्ना राज परिवार के सदस्य भी जयपुर गये थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here