रिश्‍वतखोर प्रधान आरक्षक को 4 वर्ष का सश्रम कारावास, न्‍यायालय में चालान पेश करने के नाम पर ली गई थी रिश्वत

0
1980
जिला एवं सत्र न्यायालय पन्ना का फाइल फोटो।

* विशेष न्‍यायाधीश जिला पन्ना अनुराग द्विवेदी ने सुनाया फैसला

* रिश्वत के लिए दबाब बनाने फरियादी को थाना में बैठा लेता था प्रधान आरक्षक 

पन्ना। (www.radarnews.in) आपराधिक प्रकरण का चालान न्‍यायालय में पेश करने के एवज में प्रकरण के आरोपी से 800 रूपये की रिश्‍वत लेने के मामले में विशेष न्‍यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जिला पन्ना अनुराग द्विवेदी ने फैसला सुनाते हुए प्रधान आरक्षक राजेन्‍द्र गर्ग को दोषी मानकर विभिन्न धाराओं के तहत 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने घूसखोर प्रधान आरक्षक को 10 हजार रूपये का अर्थदण्‍ड से भी दण्डित किया है। अर्थदण्‍ड की राशि अदा न करने पर अभियुक्त को 1 वर्ष के अतिरिक्‍त सश्रम कारावास भुगतना पड़ेगा।
प्रकरण के संबंध में जानकारी देते हुये सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना कपिल व्‍यास ने बताया, दिनांक 16 सितम्बर 2015 को फरियादी कृपाल कुशवाहा पिता मुल्‍ला कुशवाहा 45 वर्ष निवासी ग्राम बिल्‍हा तहसील व थाना अमानगंज,जिला पन्‍ना ने रिश्‍वत मांग संबधी एक शिकायती पत्र पुलिस अधीक्षक लोकायुक्‍त सागर को दिया था। पत्र के माध्यम से कृपाल कुशवाहा ने बताया था उसके विरुद्ध एक झूठा प्रकरण थाना अमानगंज में कायम है। जिसमें सभी धाराएं जमानती है किं‍तु न्‍यायालय में चालान पेश करने के लिए थाना अमानगंज में पदस्‍थ प्रधान आरक्षक राजेन्‍द्र गर्ग उससे 4000 रूपये मांग रहा है। गरीब मजदूर कृपाल कुशवाहा द्वारा शिकायती पत्र में बताया गया कि रुपए नहीं देने पर प्रधान आरक्षक राजेन्‍द्र गर्ग रोजाना उसे थाने में दिनभर बैठाकर रखते है और शाम को छोड़ देते है। उसे दिनांक 17 सितम्बर 2015 को सुबह 10 बजे पैसे लेकर थाना बुलाया गया। कृपाल ने अपने शिकायती आवेदन पत्र में उल्लेख किया, मैं प्रधान आरक्षक राजेन्‍द्र गर्ग रुपए नहीं देना चाहता हूं बल्कि उसे रिश्‍वत लेते हुये रंगे हाथ पकड़वाना चाहता हूं।
शिकायत के सत्‍यापन के लिये कार्यालय पुलिस अधीक्षक,लोकायुक्‍त सागर के द्वारा एक डिजीटल व्‍हाइस रिकार्डर कृपाल को दिया गया। दिनांक 17 सितम्बर 2015 उसने अमानगंज थाना पहुंचकर प्रधान आरक्षक के साथ हुई रिश्वत की मांग संबंधी बातचीत को रिकार्ड कर लिया। बातचीत के दौरान आरोपी राजेन्‍द्र गर्ग रिश्‍वत में 800 रूपये की रिश्‍वत लेने के लिए सहमत हो गया तथा रिश्‍वत राशि लेकर अगले दिन थाना अमानगंज बुलाया। पूर्व निर्धारित योजना के तहत कृपाल ने 18 सितम्बर 2015 को थाना परिसर अमानगंज में पहुंचकर रिश्‍वत के 800 रूपये जैसे ही प्रधान आरक्षक राजेन्‍द्र गर्ग को दिए तभी अगले ही पल लोकायुक्त पुलिस टीम ने दबिश देकर उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में आरोपी के विरूद्ध धारा 7,13(1) डी, 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अपराध क्र.436/15 में आरोपी को गिरफ्तार किया। प्रकरण में विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्‍यायालय में प्रस्‍तुत किया गया।
सांकेतिक फोटो।
अभियोजन के द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य और न्‍यायिक-दृष्‍टांतों के आधार पर, विशेष न्‍यायालय ने आरोपी प्रधान आरक्षक राजेन्‍द्र गर्ग को दोषी पाया। न्‍यायालय से अभियोजन के द्वारा आरोपी को कठोर से कठोर दंड से दंडित किये जाने का निवेदन किया गया। न्‍यायालय द्वारा अभियोजन के तर्को से सहमत होते हुये अभियुक्‍त प्रधान आरक्षक राजेन्‍द्र गर्ग पिता स्‍व. श्री रामविश्वास गर्ग, उम्र 58 वर्ष टिकुरिया मोहल्‍ला पन्‍ना जिला पन्ना (म.प्र.) को भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में 4 वर्ष का सश्रम कारावास और 5000 रूपये का अर्थदण्‍ड व भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी, सहपठित 13(2) में. 4 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000 रूपये के अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया। इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी, पन्‍ना प्रवीण कुमार सिंह द्वारा की गई।