
* पन्ना के प्रवास पर आए पूर्व सांसद ने पत्रकारों से विभिन्न मुद्दों पर की चर्चा
* बोले, बुनियादी सुविधाएं हैं बदहाल, गरीबों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) कुदरत ने जिस धरती को बेशकीमती रत्न हीरों का अनमोल उपहार दिया, प्रचुर मात्रा में वन एवं खनिज संपदा के साथ छोटी-बड़ी आधा दर्जन से अधिक नदियों की विपुल जल राशि देकर प्राकृतिक संसाधनों के मामले में हर तरह से समृद्ध और संपन्न बनाया वहाँ के लोगों की बदहाली और गरीबी देखकर बहुत हैरान और दुखी हूँ। देश की आजादी के 75 साल बाद भी पन्ना के अधिकाँश गांवों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छ पेयजल, बिजली, पुल-पुलिया जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर आभाव है। जिला मुख्यालय तक में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं, पेयजल व्यवस्था और उच्च शिक्षा की स्थिति बद से बद्तर है। यह बात बालाघाट के पूर्व सांसद एवं समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता कंकर मुंजारे ने आज पन्ना में पत्रकारों से चर्चा में कही।
पन्ना जिले के अपने दो दिवसीय प्रवास के अंतिम दिन शनिवार 21 अगस्त को श्री मुंजारे ने सर्किट हाऊस में पत्रकारों से विभिन्न मुद्दों चर्चा करते हुए बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखी। उन्होंने बताया कि जिले के लोगों के आमंत्रण पर दो माह के अंदर दूसरी बार मुझे पन्ना आने मौका मिला। इस दौरान अजयगढ़ क्षेत्र सहित पन्ना के आसपास के ग्रामों का भ्रमण कर जमीनी हालात को अपनी आंखों से देखा और स्थानीय लोगों से भी रूबरू हुआ। ग्रामीण अंचल के लोग बुनियादी सुविधाओं के आभाव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। बारिश के मौसम में कई गांवों की आंतरिक सड़कें पानी और कीचड़ रुपी दलदल में तब्दील होने के कारण वहां के लोगों का घर से बाहर आना-जाना किसी सजा से कम नहीं है। मनमानी अघोषित बिजली कटौती तथा ट्रांसफर खराब होने के कारण बारिश और बीमारी के मौसम में अनेक गांव महीनों से अँधेरे में डूबे हैं।
श्री मुंजारे ने बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में भी गांवों के आरोग्य केन्द्र कागजों पर संचालित हैं और उप स्वास्थ्य केन्द्रों का महीनों ताला नहीं खुलता है। गांव के लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से पूर्णतः वंचित है, इलाज के लिए उन्हें झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में जाना पड़ता है। पूर्व सांसद ने कहा कि, वास्तविक गरीबों के नाम गरीबी रेखा की सूची में न होने के कारण उन्हें खाद्य सुरक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है, अन्य योजनाओं का भी यही हाल है। गांवों में मनरेगा एवं अन्य रोजगार मूलक काम ठप्प होने से बहुसंख्यक गरीबों का महंगाई के इस दौर में गुजारा बमुश्किल हो पा रहा है।
रेफरल अस्पताल बना पन्ना जिला चिकित्सालय
आपने कहा कि जिला मुख्यालय पन्ना की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे पन्ना के ही लोगों ने बताया, जिला चिकित्सालय में बड़ी संख्या में डॉक्टरों के पद रिक्त पड़े हैं। जिला अस्पताल के कोविड केयर सेंटर में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों का इलाज एलोपैथी चिकित्सक देखते तक नहीं हैं, उनका उपचार नौसीखिए आयुष चिकित्सकों और नर्सों के भरोसे छोड़ दिया है। ट्रामा सेंटर संचालन के नाम पर पन्ना जिले के लोगों के साथ ड्रामा करते हुए जनरल ओपीडी संचालित की जा रही है। इस कारण पन्ना जिला चिकित्सालय रेफरल अस्पताल में तब्दील हो चुका है। जिसका खामियाजा इस जिले के निर्दोष लोगों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ रहा है।
स्वीकृति के बाद भी किलकिला फीडर का काम नहीं कराया
