ओबीसी के लिए आरक्षित पदों पर त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव प्रकिया स्थगित

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फाइल फोटो।

*   सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला

नई दिल्ली/भोपाल। (www.radarnews.in) सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित समस्त पदों पर पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को रोक दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को रद्द करते हुए इन ओबीसी सीटों को सामान्य सीट के रूप में नोटिफाई करने का आदेश दिया था। आयोग के इस फैसले से दावेदारों की उम्मीदों को एक बार फिर झटका लगा है।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी कुमार की बेंच ने शुक्रवार को ये आदेश दिए। यानी अब सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) हेतु आरक्षित समस्त पदों को सामान्य पदों के रूप में फिर से अधिसूचित करना होगा।

हिदायत-  नया प्रयोग नहीं करें

बेंच ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, “हम नहीं चाहते कि मध्य प्रदेश में कोई नया प्रयोग किया जाए। इसे संविधान पीठ के फैसले के अनुरूप होना चाहिए, जैसा तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दोहराया भी गया था और अभी हाल में महराष्ट्र से जुड़े आदेश में भी कहा गया था। उसके अनुसार इसे बनाइए।” बेंच ने टिप्पणी की- स्थानीय निकाय के लिए ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने की आवश्यकता है क्योंकि यह संविधान पीठ के फैसले के अनुरूप नहीं है जिसे तीन न्यायधीशों की पीठ ने भी दोहराया था।

सुको की सख्ती-  हम पूरा चुनाव रोक सकते हैं

ट्रिपल टेस्ट पूर्ति के बिना ओबीसी तुरंत नहीं हो सकता है, अगर ऐसा हो रहा है तो आप इसे सही करें। हम पूरे चुनाव को रोक सकते हैं। आप वही सूचित करें जो महाराष्ट्र मामले में हुआ था। आपको तुरंत अपनी कार्यवाही में सुधार करना चाहिए। राज्य जो आपको बता रहा है, उस पर ना जाएँ। क़ानून जो कह रहा है, उस पर ध्यान दें। यदि आप अपने आपको सही करते हैं तो हम अवमानना में डाल देंगे।

जिला पंचायत अध्यक्ष आरक्षण प्रक्रिया स्थगित

प्रदेश के 52 जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया शनिवार 18 दिसम्बर को तय थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आने के बाद यह स्थगित कर दी गई। प्रदेश में 52 जिले हैं, इस हिसाब से 26 तक सीटें रिजर्व हो सकती हैं, लेकिन वर्तमान में 35 प्रतिशत सीटें रिजर्व हैं। यानी 9 सीटें सामन्य करना होंगी। इसके लिए आरक्षण प्रक्रिया नए सिरे से करनी होगी।