एमपी के इस खूबसूरत वाटरफॉल में प्रदेश का पहला ग्लास ब्रिज बनेगा

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पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेहद खूबसूरत और खतरनाक बृहस्पति कुण्ड का विहंगम दृश्य।

*     पर्यटन विकास निगम की टीम ने बृहस्पति कुण्ड पहुँचकर लोकेशन का अध्ययन और सर्वे किया

पन्ना। (www.radarnews.in) बुंदेलखंड का नियाग्रा कहे जाने वाले पन्ना जिले में स्थित बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात (वाटरफॉल) की खूबसूरती निहारने के लिए ग्लास ब्रिज का निर्माण किया जाएगा। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के अधिकारियों द्वारा पन्ना के सर्किट हाउस में पर्यटन निगम की टीम के साथ बैठक कर बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात और आसपास के क्षेत्र का पर्यटन बढ़ाने के उद्देश्य से बनाये प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की गई। जिला पुरातत्व, पर्यटन और संस्कृति परिषद पन्ना के सदस्य के रूप में शामिल आबकारी उप निरीक्षक मुकेश पाण्डेय द्वारा भी बैठक में आवश्यक सुझाव दिए गए।
पर्यटन विकास निगम की तकनीकी टीम ने बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात पहुँचकर वास्तविक स्थिति लोकेशन का अध्ययन और सर्वे किया।
मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम की तकनीकी टीम द्वारा बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात पहुँचकर वास्तविक स्थिति और लोकेशन का अध्ययन और सर्वे किया गया। वास्तुविद सतीश कालान्तरे ने बताया कि बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात के आसपास फिलहाल सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना हमेशा बनी रहती है। इसलिए बृहस्पति कुण्ड जलप्रपात के चारों तरफ सुरक्षा के लिए रेलिंग लगाई जाएगी। रेलिंग भी इस तरीके से लगाई जाएगी कि स्थान की खूबसूरती भी बनी रहे और सुरक्षा भी। बृहस्पति कुण्ड आश्रम की तरफ एक मजबूत ग्लास ब्रिज बनाया जाएगा, जिस पर चढ़कर पर्यटक जलप्रपात के ठीक सामने खड़े होकर जलप्रपात की खूबसूरती को निहार सकेंगे।
यह देश का दूसरा और मध्यप्रदेश का पहला ग्लास ब्रिज होगा। कार्यपालन यंत्री श्री चौरसिया ने बताया कि जलप्रपात के आसपास लोगो को धूप-बारिश से बचने के लिए पैगोडा डिजाइन के विश्राम स्थल भी बनाये जाएंगे। दिनों-दिन पर्यटकों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए समुचित संख्या में प्रसाधन गृह और एक बड़ी पार्किंग की भी व्यवस्था होगी। जलप्रपात के पास खाली पड़े चट्टानी मैदान में खूबसूरत लैंडस्केप और उद्यान (पार्क) विकसित किया जाएगा। इस क्षेत्र के महत्व और जानकारी को दर्शाते हुए कई सूचना पट्ट लगाए जाएंगे। बृहस्पति कुण्ड क्षेत्र को विकसित करने का कार्य कई चरणों मे पूर्ण होगा। पहले चरण में जलप्रपात के चारों तरफ सुरक्षा रेलिंग, ग्लास ब्रिज, विश्राम स्थल, पार्किंग, प्रसाधन गृह, कैफेटेरिया आदि का निर्माण होगा। दूसरे चरण में जलप्रपात के नीचे की तरफ स्टॉप डैम बनाकर नौकायन और एडवेंचर गतिविधियों की व्यवस्था भी की जाएगी।