गंभीर संकट | पन्ना टाईगर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक ! पार्क के अंदर तालाब में घोला जहर, बड़ी तादाद में बेमौत मरीं मछलियाँ, खतरे में बाघों का संसार

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पन्ना टाईगर रिजर्व के वनकर्मियों की अभिरक्षा में आरोपी राजेश आदिवासी एवं उससे जब्त मछलियाँ।

एक आरोपी कट्टा समेत गिरफ्तार, दो अन्य साथी हुए फरार

घटना को दबाने पीटीआर प्रबंधन ने जारी नहीं की प्रेस विज्ञप्ति

मृत मछलियों की मात्रा को लेकर अलग-अलग दावों से मामला हुआ संदिग्ध

बाघ और दूसरे वन्यजीवों को जहरीला पानी पीने से रोकने तालाब पर बैठाया पहरा

शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज   मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व में विचरण करने वाले बाघ और दूसरे बेजुबान वन्यजीव सुरक्षित नहीं हैं। बेहद लचर सुरक्षा व्यवस्था के चलते इनके ऊपर गम्भीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिले में शिकारियों और तस्करों की बढ़ती सक्रियता के मद्देनजर पन्ना के पुनः बाघ विहीन होने का खतरा बढ़ गया है। दरअसल, पिछले कुछ समय से पन्ना टाईगर रिजर्व एवं जिले के सामान्य वन क्षेत्रों में जिस तरह की बेहद चिंताजनक घटनाएँ लगातार सामने आ रहीं है, उससे इस आशंका को बल मिल रहा है। टाईगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र अमानगंज बफर के अंतर्गत आने वाले रामपुरा ग्राम के तालाब के पानी में जहर घोलने की सनसनीखेज घटना का उजागर होना भी इस बात का संकेत है कि पार्क के अंदर शिकारियों का जाल बिछ चुका है। उल्लेखनीय है कि पन्ना से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर पार्क के अंदर रमपुरा ग्राम में जल संसाधन विभाग का प्राचीन सिंचाई तालाब स्थित है। रविवार 21 अप्रैल को अज्ञात अपराधी ने इस विशाल तालाब के पानी में कथिततौर पर जहरीला पदार्थ घोल दिया। परिणामस्वरूप तालाब की मछलियाँ और जलीय जीव बेमौत मरने लगे। इसकी भनक जब वहाँ तैनात वनरक्षक को लगी तो उसके द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई। मछलियों की मौत का सिलसिला जारी रहने के बीच बाघ सहित दूसरे वन्यजीवों को इसका पानी पीने से रोकने के लिए तालाब में वनकर्मियों को तैनात किया गया। साथ ही इलाके की निगरानी बड़ा दी गई।

इस बीच रमपुरा के समीप तालाब के दूसरे किनारे पर स्थित ग्राम कण्डवाहा के कुछ युवकों ने बाँधी ग्राम के युवकों को मछलियों की मौत होने की सूचना देकर पार्टी करने के लिए बुलाया। मंगलवार 23 अप्रैल राम सिंह आदिवासी, बलीराम रजक पिता मुन्नीलाल रजक निवासी बांधीकलां रात्रि के समय मोटरसाइकिल से जंगल के रास्ते से होते हुए ग्राम कण्डवाहा पहुँचे और वहाँ से राजेश आदिवासी पिता किलाइयाँ आदिवासी को साथ लेकर तालाब में उतर गए। रात के अँधेरे में पानी में जब ये बड़ी मछलियाँ एकत्र कर रहे थे तभी वहाँ पहुँचे गस्ती दल ने इन्हें घेर लिया। इस बीच बलीराम रजक और राम सिंह आदीवासी अँधेरे का लाभ उठाते हुए मोटरसाइकिल लेकर फरार हो गए। जबकि राजेश आदिवासी पिता किलाइयाँ आदिवासी को वनकर्मियों ने धर दबोंचा। तलाशी लेने पर उसके पास से एक 315 बोर का कट्टा बरामद हुआ है। इस मामले में तीनों आरोपियों के विरुद्ध वन अपराध पंजीबद्ध कर राजेश आदिवासी को पन्ना न्यायालय में पेश किया गया जहाँ उसे जेल दिया है। इस घटना के 48 घंटे बाद भी दोनों फरार आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। साथ ही तालाब के पानी में जहरीला पदार्थ घोलने वाले अज्ञात अपराधी का सुराग नहीं पाया है।

एक ट्राली से अधिक मछलियाँ मरीं ?

जब्तशुदा मृत मछलियों को जलाते वनकर्मी
रामपुरा तालाब के पानी में कथित तौर पर डाले गए जहरीले पदार्थ के दुष्प्रभाव के कारण एक से ड़ेढ़ ट्रेक्टर-ट्राली मछलियों एवं जलीय जीवों के मरने की जानकारी मिली है। जबकि पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन ने मृत मछलियों की मात्रा दो तगाड़ी (तशला) बताई है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस मामले में अपनी घोर लापरवाही और नकारेपन को छिपाने के लिए पार्क प्रबंधन जानबूझकर घटना की आधी-अधूरी सच्चाई को स्वीकार कर रहा। इसकी वास्तविकता का पता लगाने के लिए पन्ना के पत्रकारों का एक दल बुधवार को पार्क के अंदर स्थित ग्राम रमपुरा पहुँचा जहाँ तैनात स्थाईकर्मी बद्री प्रसाद क़ुररिया ने सच्चाई बयान करते हुए बताया कि पानी में मिलाए गए जहरीले पदार्थ के असर से बड़ी-छोटी मछलियाँ मिलाकर करीब एक से डेढ़ ट्राली मछलियाँ असमय काल-कवलित हुई हैं। लगभग 30 एकड़ में फैले इस तालाब में वर्तमान में 4-5 एकड़ में पानी भरा है। स्थाईकर्मी बद्री प्रसाद क़ुररिया के की मानें तो पूरा तालाब मृत मछलियों से पट गया था। और भीषड़ दुर्गंध उठ रही थी।

तीन दिन चली तालाब की सफाई

तालाब किनारे मृत मछलियों को बीनते वनकर्मी।
गहदरा नाका में तैनात फायर वाचर छन्नू खान के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर मृत मछलियों को पानी से निकालकर नष्ट करने के लिए 3 दिन तक 12-15 श्रमिकों से काम कराया गया। छोटी मछलियों को तालाब के किनारे-किनारे लगभग 200 गड्ढे खोद कर दफ़न कराया गया। जबकि बड़ी मछलियों को नष्ट करने के लिए जलाने की बात सामने आई है। इसके अलावा गर्मी के समय इस जहरीले पानी को बाघ एवं दूसरे वन्यजीवों को पीने से रोकने के लिए वनकर्मियों को तैनात किया गया है। स्थाईकर्मी बद्री प्रसाद क़ुररिया और फायर वाचर छन्नू खान के साथ रहे अन्य वनकर्मियों ने भी इसकी पुष्टि की है। दोनों वनकर्मियों ने बड़ी ही निर्दोषिता के साथ कैमरों पर भी पूरी कहानी बताई है। गौर करने वाली बात यह है कि मैदान में तैनात उम्रदराज वनकर्मी इतने नासमझ तो नहीं हैं कि, इन्हें दो तगाड़ी और एक से ड़ेढ़ ट्रेक्टर-ट्राली मछलियों की मात्रा के अंतर का पता न हो। उधर, रमपुरा के ग्रामीण भी दबी जुबान बड़ी तादाद में मछलियों के मरने की बात कह रहे है। मृत मछलियों की मात्रा को लेकर अलग-अलग दावे संभवतः इसलिए सामने आए हैं क्योंकि, मैदानी अमले को पत्रकारों के रमपुरा पहुँचने तक इस बात की खबर ही नहीं थी कि उनके आला अधिकारियों इस प्रकरण की आधी-अधूरी सच्चाई को अपनी सुविधानुसार बताया है।

तालाब में प्यास बुझाने आते हैं बाघ

सांकेतिक फोटो।
मालूम हो कि गर्मी के दिनों में पन्ना टाईगर रिजर्व में जल संकट बड़ी तेजी से गहराने लगता है। इस विपरीत समय में बाघ और दूसरे वन्यजीवों को पेयजल सुगमता से उपलब्ध करने के लिए टैंकरों से पानी का परिवहन कर पार्क के अंदर निर्मित संरचनाओं में आपूर्ति की जाती है। इस वर्ष पन्ना में अल्प वर्षा के चलते जल संकट की स्थिति काफी गम्भीर बनी है। इसके मद्देनजर वर्तमान में पन्ना टाईगर रिजर्व में प्रतिदिन कई टैंकर पानी परिवहन कर सौंसरों में भरा जा रहा है। पार्क के अंदर रमपुरा में स्थित सिंचाई विभाग का तालाब आसपास के इलाके में विचरण करने वाले बाघ और दूसरे वन्यजीवों के लिए गर्मी के दिनों प्यास बुझाने में मददगार साबित होता है। यहाँ ठंडक और हरी घास के चक्कर में भी बड़ी तादाद में वन्यजीव आते हैं। तालाब के पानी में कथित तौर पर अज्ञात अपराधी द्वारा जहरीला पदार्थ मिलाने से बड़ी तादाद में मछलियों की मौत को देखते हुए इसका पानी पीने वाले दूसरे वन्यजीवों पर भी जहर का असर होने का खतरा बना है। यदि समय रहते तालाब के पानी को उपचारित नहीं कराया गया तो इसका पानी पीने वाले वन्यजीवों के साथ कुछ भी हो सकता है। प्रचंड गर्मी के समय जब जल संकट गंभीर रूप ले रहा है तब विशाल तालाब का पानी जहरीला होने से इस इलाके वन्यजीवों की मुश्किलें बढ़ना स्वाभाविक है। वन्यजीवों को इस जहरीले पानी को पीने को रोकने के लिए भले ही मौके पर वनकर्मियों को तैनात किया गया है पर यह पर्याप्त नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि तालाब के आसपास कृतिम जल संरचनाएँ बनाकर उनमें टैंकर से पानी की आपूर्ति सुनिचित की जाए ताकि वन्यजीवों को जहरीले पानी को पीने से रोका जा सके।

सच बोलने की मिल सकती है सजा !

पन्ना टाईगर रिजर्व के अंदर से ही मृत मछलियों की मात्रा को लेकर अलग-अलग दावों के सामने आने से और उनके बीच के विशाल अंतर को देखते हुए सच्चाई उजागर करने वाले निचले स्तर के कर्मचारी बद्री प्रसाद क़ुररिया, फायर वाचर छन्नू खान और इनके साथी बड़े अफसरों के कोप का भाजन बन सकते हैं। ऐसी ख़बरें मिल रहीं है कि पत्रकारों को सच बताने से हुई बदनामी को लेकर साहब लोग इनसे बेहद नाराज़ हैं। इनके खिलाफ किसी भी समय कोई भी गम्भीर आरोप लगाकर इन्हें नौकरी तक से निकाला जा सकता है। दरअसल, पन्ना टाईगर रिजर्व के उप संचालक जरांडे ईश्वर रामहरी को पन्ना से पत्रकारों का रमपुरा पहुँचकर वास्तविकता की पड़ताल कर उसे उजागर नागवार गुजरा है। इस मामले में पार्क प्रबंधन की बड़ी चूक सामने आने और आधी-अधूरी सच्चाई को सुविधानुसार उजागर करने की कवायद का भंडाफोड़ होने से अधिकारियों की तीखी आलोचना हो रही है। सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में शर्मिंदगी का सबब बने छोटे कर्मचारियों से नाराज अफसर किसी भी समय उन पर कार्यवाही की गाज गिराकर पत्रकारों को सच बताने का दण्ड दे सकते हैं।

लापरवाही को छिपाने लीपापोती

इस गेट के अंदर से जाता है रमपुरा ग्राम का रास्ता।
उल्लेखनीय है कि पन्ना-अमानगंज मार्ग से करीब 5 किलोमीटर अंदर घनघोर जंगल के बीचों-बीच बफर जोन क्षेत्र में स्थित रमपुरा ग्राम में आने-जाने पर कोई रोक नहीं है। यहाँ पहुँचने के लिए पार्क के प्रवेश द्वार से होकर गुजरना पड़ता है। पत्रकारों के वहाँ जाने से पार्क के अंदर की हकीकत निकलकर बाहर आई है। इससे अधिकारी असहज महसूस कर रहे हैं जो कि उनकी बातों से भी झलक रहा है। बताते चलें कि इस मामले को दबाने के लिए पार्क प्रबंधन की ओर से राजेश आदिवासी की गिरफ़्तारी का प्रेस नोट तक जारी नहीं किया गया। छोटी-छोटी सी गतिविधियों की खबर मीडियाकर्मियों तक पहुँचाने वाला पार्क प्रबंधन इतनी बड़ी घटना को अगर छिपाए तो उसकी मंशा पर संदेह तो होगा ही, खासकर तब जब कि मामला गंभीर चूक और बड़ी क्षति का हो। गौर करने वाली बात यह कि रमपुरा तालाब के पानी में जहरीला पदार्थ मिलाने वाला अज्ञात अपराधी कौन है, वह कहाँ से और कब आया ? पार्क के निगरानी तंत्र को इसकी भनक नहीं लगी। पाँच दिन बाद भी उसका सुराग तक नहीं लग सका। इसी तरह बाँधीकलां के युवकों के कट्टा लेकर मोटरसाइकिल से पार्क क्षेत्र के अंदर घुसने का पता भी कई घण्टे बाद चला। पार्क की कथित चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बड़े-बड़े दावों की वास्तविकता को इस घटनाक्रम से भलीभाँति समझा जा सकता है। विदित हो कि पन्ना टाईगर रिजर्व में पिछले वर्ष एक बाघिन का फंदा लगाकर शिकार हो चुका है। लेकिन, इसके बाद भी पार्क क्षेत्र अपराधों की रोकथाम और वन्यजीवों सुरक्षा लेकर जिम्मेदार तनिक भी संजीदा नहीं हैं।

इनका कहना है –

“रमपुरा के तालाब के पानी में जहरीला पदार्थ मिलाए जाने की आशंका है, इससे एक-डेढ़ ट्राली मछलियाँ नहीं मरीं बल्कि महज दो तगाड़ी मछलियों की मौत हुई है। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। शेष फरार आरोपियों की तलाश जारी है। तालाब में एक ही प्रजाति की मछलियाँ मरीं हैं इसलिए अन्य कोई कारण भी हो सकता है, हमने तालाब के पानी को और मृत मछलियों का सैम्पल जाँच के लिए भेजा है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।”

– जरांडे ईश्वर रामहरी, उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व

“रमपुरा के तालाब के पानी में जहरीला पदार्थ मिलाया गया है अभी यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता, जब तक कि जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती। एक-डेढ़ ट्राली मछलियाँ नहीं मरीं बल्कि महज कुछ किलो मछलियाँ ही मरीं हैं। मैं अभी बाहर हूँ पन्ना आकर आपसे बात करूँगा।”

– के.एस. भदौरिया, क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व