सुसाइड नोट में किया तनाव होने का जिक्र, सीएम ने दी श्रद्धांजलि
आध्यात्मिक संत की मौत की ख़बर से अनुयायी हतप्रभ
इंदौर। हाईप्रोफइल संत एवं आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है। भय्यू महाराज ने मानसिक अवसाद- तनाव के चलते ये कदम उठाया है। इसका खुलासा पुलिस को घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट से हुआ है। घटना के बाद उन्हें इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, बताया जा रहा है कि अस्पताल लाने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया था। राष्ट्र संत भय्यू महाराज ने अपने सिर पर दाईं गोली मारी थी। उनकी मौत पर सस्पेंस बना हुआ है और सवाल उठ रहा है कि उन्होंने खुद को गोली क्यों मारी। बीजेपी और संघ के बड़े नेताओं से नजदीकियों के चलते भय्यूजी महाराज काफी चर्चा में रहे। कुछ महीने पहले ही मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने उन्हें मंत्री का दर्जा दिया था, लेकिन उन्हें दर्जा ठुकरा दिया था। करीबी लोगों का कहना है कि वह कुछ समय से डिप्रेशन में थे। लेकिन वे इतना बड़ा कदम उठा लेंगे इसका अंदाजा भी उन्हें नहीं था। उनकी मौत पर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने शोक जताया है। सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि आज देश ने एक शख्स को खो दिया जो संस्कृति, ज्ञान और निस्वार्थ भाव सेवा के लिए जाना जाता था। नितिन गडकरी और कैलाश विजयवर्गीय सहित कई नेताओं ने उनकी मौत पर शोक जताया। पुलिस ने बताया कि उन्होंने अपने सिर पर गोली मार ली थी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
मॉडल भी रह चुके हैं संत भय्यूजी महाराज

संत भय्यूजी महाराज मॉडल भी रह चुके थे। वह सियाराम शूटिंग शर्टिंग के लिए पोस्टर मॉडलिंग कर चुके थे। उनका असली नाम उदय सिंह देशमुख था। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में लोग उन्हें भैय्यूजी महाराज के नाम से ही जानते थे। दोनों राज्यों उनके हजारों समर्थक हैं। वह अन्ना के करीबी भी रहे थे। उनका नाम पहली बार तब चर्चा में आया था जब उन्हें दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना हजारे का अनशन तुड़वाया था। वह एमपी और महाराष्ट्र में कई सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए थे। पत्नी की मौत के बाद पिछले साल ही उन्होंने दूसरी शादी की थी। उन्होंने हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने की बात भी कही थी।
बीजेपी-संघ से नजदीकियां रहीं
भय्यूजी का जन्म 29 अप्रैल 1968 को मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर में हुआ था। वह सामाजिक कार्यों के लिए भी जाने जाते थे। आरएसएस और बीजेपी के आला नेताओं के साथ उनकी नजदीकियां रही। उन्हें संकटमोचक के तौर पर देखा जाता था और कई बार उन्होंने इस साबित भी किया। गुरु दक्षिणा के रूप में वह लोगों से एक पौधा लगाने को कहते थे। ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर वह बेहद चिंतित थे। वह एक धनी व्यक्तित्व के मालिक थे और सत्ता के गलियारों में मजबूत पैठ रखने के अलावा वह खेती में दिलचस्पी रखते थे। इसके अलावा वह घुड़सवारी, तलवारबाजी में भी माहिर थे।
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