* न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) पन्ना ने सुनाया फ़ैसला
पन्ना। (www.radarnews.in) नाबालिग़ लड़की को अगवा कर अपनी हवस का शिकार बनाने वाले बलात्कारी रोहित कुमार साहू को न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) पन्ना ने अंतिम सांस तक जेल में रहने की सज़ा सुनाई है। न्यायालय ने अभियुक्त को चार हजार रुपए के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया है। बलात्कार का यह मामला जिले के देवेन्द्रनगर थाना क्षेत्र का है। सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना ऋषिकांत द्विवेदी ने अभियोजन के मामले की जानकारी देते हुए बताया कि, दिनांक 27 अक्टूबर 2019 को नाबालिग़ लड़की की दादी ने थाना देवेन्द्रनगर में उपस्थित होकर लिखित आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। जिसमें बताया गया कि, दिनांक दिनांक 26 अक्टूबर 2019 को सुबह करीब 4 बजे उसकी बड़ी नातिन उम्र15 वर्ष शौंच करके घर वापस नहीं लौटी। अचानक गायब हुई नातिन की तलाश आसपास गांव व रिश्तेादारी में की गई लेकिन कहीं कोई पता नहीं चला। वृद्धा ने आवेदन में उल्लेख किया, उसे शंका है कि उसकी नातिन को कोई बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है। घटना की लिखित सूचना के आधार पर पुलिस थाना देवेन्द्रनगर में दिनांक 27 अक्टूबर को ही अपराध कमांक- 260/2019 धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता का मामला अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध पंजीबद्ध किया गया।
नाबालिग़ लड़की के घर लौटने (दस्तयाब होने) पर विवेचना के दौरान साक्ष्य के आधार पर प्रकरण की धाराओं में वृद्धि की गई। पूर्व से दर्ज मामले में धारा 366, 376 (2)(एन), 376(3) भारतीय दण्ड संहिता धारा 3/4, 5/6 पाक्सो एक्ट, धारा 3(2-v) 3(2-va) 3(1-w)(i) एससीएसटी एक्ट की धाराओं को जोड़ने तथा सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग-पत्र (चालान) न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण का विचारण न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) पन्ना के न्यायालय मे हुआ। जहां दिनेश खरे,सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना द्वारा शासन का पक्ष रखते हुये साक्षियों की साक्ष्य को बिंदुवार तरीके से न्या्यालय के समक्ष लेखबद्ध कराकर आरोपी के विरूद्ध अपराध संदेह से परे प्रमाणित किया गया। साथ ही आरोपी के कृत्य को गंभीरतम अपराध मानते हुये न्यायालय से अधिकतम दण्ड से दंडित किये जाने का निवेदन किया। न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने, अभिलेख पर आए साक्ष्यों, अभियोजन के तर्को तथा न्यायिक-दृष्टांतो से सहमत होते हुए अभियुक्त रोहित कुमार साहू को धारा 363, 366 भादवि एवं धारा 5एल/6 लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम के आरोप में क्रमश: 3 वर्ष, 5 वर्ष एवं आजीवन कारावास (शेष प्राकृत जीवनकाल तक) तक की सज़ा सुनाई है। न्यायालय ने अपने फैसले में अभियुक्त को उपरोक्त धाराओं में कुल चार हजार रूपये के अर्थदण्ड से भी दंडित किया है। अर्थदण्ड की राशि अदा ना करने पर अभियुक्त को अतिरिक्त कठोर कारावास से दंडित करने का आदेश दिया है।