MP में कोरोना संक्रमण की पॉजिटिविटी रेट के आधार पर होगी कलेक्टरों की रैंकिंग

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एवं मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता के.के. मिश्रा। (फाइल फोटो)

सीएम शिवराज के इस फैसले को सीनियर कोंग्रेस नेता ने सही ठहराते हुए यह आशंका भी जताई … !

भोपाल। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण बेहद तेजी से फ़ैल रहा है, जिससे संक्रमितों की तादाद लगातार चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य एवं उपचार सेवाएं भी चरमरा रहीं हैं। प्रतिदिन रिकार्ड संख्या में नए संक्रमित मरीज मिलने और मौतों के बढ़ते आंकड़ों से कोरोना के कहर को लेकर चिंतित राज्य सरकार ने अब जिलों में संक्रमण के नियंत्रण की पूरी जिम्मेदारी एक तरह से कलेक्टरों को सौंप दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बकायदा यह ऐलान किया है कि कोरोना संक्रमण की जिलों की पॉजिटिविटी रेट के आधार पर कलेक्टरों की रैंकिंग की जाएगी। मुख्यमंत्री ने बुधवार 21 मार्च को अपने निवास से जिला कलेक्टरों को वर्चुअली संबोधित करते हुए यह बात कही। कोंग्रेस के सीनियर लीडर के.के. मिश्रा ने सीएम शिवराज के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मौजूदा हालात में इसे सही ठहराया है। लेकिन इससे जुड़ी आशंका के साथ उन्होंने बाजिव सवाल भी उठाया है।
मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमितों की मौत के सरकारी आंकड़ों और वास्तविक स्थिति में भारी अंतर को उजागर करती दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर।
कोंग्रेस नेता के.के. मिश्रा ने रडार न्यूज़ से कहा कि, मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण भयावह स्थिति बनीं है। मुख्यमंत्री ने इसके मद्देनजर महामारी की प्रभावी रोकथाम हेतु कलेक्टरों की रैंकिंग पॉजिटिविटी रेट के आधार तय करने का जो निर्णय वह उचित है। लेकिन किसी कलेक्टर ने अपनी रैंकिंग बढ़ाने के चक्कर में अगर आंकड़ों की “बाजीगरी” की तो इसकी निगरानी कैसे होगी और इसके लिए जबावदेह कौन होगा ? यह भी स्पष्ट किया जाना जरुरी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की वास्तविक स्थिति और इससे होने वाली मौतों की सही संख्या को छिपाने की ख़बरें पहले से आती रहीं है। ऐसे में रैंकिंग के चक्कर में आंकड़ों की बाजीगरी से जुड़ी आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।