पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के सतना जिला अंतर्गत चित्रकूट के जंगल में मझगंवा रेंज के अमिरती बीट के कक्ष क्रमांक 108 में अज्ञात शिकारियों द्वारा करंट लगाकर एक वयस्क नर बाघ का शिकार करने का मामला प्रकाश मे आया है। सोमवार को सुबह से ही ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि मृत बाघ पन्ना टाईगर रिजर्व का है। सोशल मीडिया में आ रहीं खबरों के बीच पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन ने स्थिति स्पष्ट करते हुये यह दावा किया है कि जिस बाघ का शिकार हुआ है वह पन्ना का नहीं है। पन्ना टाईगर रिजर्व के उप संचालक ईश्वर रामहरि जरांडे ने बताया कि सोशल मीडिया पर आईं मृत बाघ के फोटो का पन्ना में उपलब्ध बाघों के फोटो आईडी से मिलान करने पर यह पाया गया कि उक्त बाघ पन्ना टाईगर रिजर्व का नहीं हैं। रडार न्यूज से चर्चा में उन्होने बताया कि सोमवार देर शाम तक सतना जिले के वन विभाग की ओर से पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन को बाघ के शिकार की सूचना एंव बाघ की पहचान हेतु फोटोग्राफ्स नहीं भेजे गए हैं। पन्ना के पत्रकारों से मिले एंव सोशल मीडिया उपलब्ध मृत बाघ के फोटो का पन्ना टाईगर रिजर्व के बाघों की फोटो आईडी से मिलान करने पर यह निष्कष निकला है कि उक्त बाघ पन्ना का नहीं है। उधर, पार्क प्रबंधन के इस दावे पर कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि शिकार बने बाघ का सीधा सम्बंध पन्ना टाईगर रिजर्व से है।
पन्ना की बाघिन ने दिया था जन्म !
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाईगर रिजर्व के बाघ विहीन होने पर वर्ष 2009 में यहां बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम लागू किया गया था। इस कार्यक्रम की आपार सफलता के फलस्वरूप महज 10 वर्ष से कम समय मे पन्ना टाईगर रिजर्व मे बाघों की संख्या 40 के पार पहुंच गई। इस दौरान पन्ना टाईगर रिजर्व में जन्मे कुछ बाघ-बाघिन पड़ोसी जिलों के जंगलों में विचरण कर रहे हैं। बाघ पुर्नास्थापना कार्यक्रम के क्रियान्वयन के दौरान पन्ना से कुछ बाघ-बाघिनों के पड़ोसी जिला सतना, सीधी, दमोह के जंगलों में डेरा जमाने की खबरें आती रहीं हैं। कुछ जानकारों का मानना हैं कि चित्रकूट के जंगल में करंट लगाकर जिस बाघ का शिकार किया गया है, उसे पन्ना की बाघिन पी-213 ने जन्म दिया था। मालूम हो कि पन्ना टाईगर रिजर्व की बाघिन पी-213 ने चित्रकूट के जंगल में अपना रहवास बना लिया था। वहीं पर इस बाघिन ने दो शावकों को जन्म भी दिया था, जो अब वयस्क हो चुके हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मृत बाघ पी-213 की ही संतान है।
क्योंकि, पी-213 के चित्रकूट के जंगलों में डेरा जमाने के पूर्व वहां पिछले कुछ सालों से बाघ की दहाड़ नहीं सुनी गई थी। जानकार यह भी सवाल उठा रहे है कि मृत बाघ यदि पन्ना की बाघिन से जन्मा नहीं है तो फिर वह आया कहां से इसकी विस्तृत पड़ताल होनी चाहिये। बहरहाल पड़ोसी जिले मे बाघ का शिकार होने की खबर आने के बाद पन्ना के वन विभाग मे हड़कम्प मचा है। इस घटना से पन्ना के संरक्षित और सामान्य वन क्षेत्रों में विचरण करने वाले बाघों को लेकर चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। क्योंकि जिले में पिछले दो वर्ष में आधा दर्जन तेंदुओं समेत एक भालू और एक बाघिन के शिकार की घटना घटित हो चुकी है। बाघिन का शिकार तो पन्ना टाईगर रिजर्व के अंदर ही हुआ था। इस घटना से यह साबित हो गया था कि शिकारियों ने अपना जाल पार्क के अंदर भी बिछा रखा है।
हिरासत मे लिये गये संदिग्ध
सतना जिले का फॅारेस्ट अमला बाघ के श्किार के संबध में अभी जानकारी देने मे कतरा रहा है। सूत्रों के अनुसार चित्रकूट अंतर्गत सरभंगा आश्रम के पास फाॅरेस्ट नर्सरी मे पानी की तलैया के नजदीक करेंट लगाया गया था। देर रात्रि पानी पीने केे लिए जब बाघ पहुंचा, उसी समय करेंट की चपेट में आ गया और उसकी दर्दनाक मौत हो गई। जानकारी मिलते ही वन अमले के साथ पुलिस भी मौके पर पहुंच गई है। पता चला है कि कुछ संदिग्धों को हिरासत में भी लिया गया है, जिनसे पूंछतांछ जारी है। बहरहाल व्यस्क नर बाघ के शिकार की घटना को बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।