शिकारियों के निशाने पर पन्ना के वन्य जीव | जंगल में करंट बिछाने वाले शिकारी की अपने ही जाल में फंसने से मौत, एक तेंदुआ भी मृत मिला

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शाहनगर वन परिक्षेत्र की टिकरिया बीट में मिला मृत मादा तेंदुए का क्षत-विक्षत शव। जांच में पता चला कि तेंदुए का शिकार करंट के तार बिछाकर किया गया।
  • दक्षिण वन मंडल पन्ना के शाहनगर वन परिक्षेत्र की घटना

  • पुलिस ने मृत शिकारी के दो साथियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर भेजा जेल

  • शिकार की घटना का स्थानीय वन अमले को सप्ताह भर बाद चला पता

शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज   मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में बाघ समेत दूसरे वन्य जीवों पर गंभीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां के संरक्षित और सामान्य वन क्षेत्रों में स्वछंद विचरण करने वाले वन्यजीव अब जरा भी सुरक्षित नहीं है। दरअसल, यहाँ पिछले कुछ महीनों से शिकारी गिरोहों के सक्रिय होने से वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं चिंताजनक तेजी से बढ़ गई हैं। बड़े पैमाने पर पत्थर के अवैध उत्खनन के लिए बदनाम पन्ना जिले का दक्षिण वन मंडल वन्य जीवों के शिकार की सनसनीखेज घटनाओं को लेकर कुछ समय से सुर्ख़ियों में बना है। शिकार का ताज़ा मामला शाहनगर वन परिक्षेत्र की टिकरिया बीट अंतर्गत प्रकाश में आया है। यहां के वन कक्ष क्रमांक- पी-975, 976 में 12 दिसम्बर को वन्य जीवों के शिकार के लिए मैन विधुत लाइन में नंगे तार डालकर करंट प्रवाहित करने के दौरान उसकी चपेट में आने से एक शिकारी सौखीलाल चौधरी पुत्र लोटा चौधरी 38 वर्ष की मौत हो गई थी। शाहनगर थाना पुलिस ने इस घटना की मर्ग जांच बाद मृतक के दो साथियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करते हुए कुछ दिन पूर्व उन्हें जेल भेज दिया। सप्ताह भर बाद पता चला है कि करंट लगने से सिर्फ शिकारी भर की मौत नहीं हुई थी बल्कि, एक मादा तेंदुआ भी इसकी चपेट में आने से बेमौत मारा गया है।
रेंजर शाहनगर रामबिहारी खरे ने “रडार न्यूज” को जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार 19 दिसम्बर को दोपहर में उन्हें टिकरिया बीट में तेंदुए का क्षत-विक्षत शव पड़ा होने की सूचना मिली थी। मौके पर पहुँचकर जांच करने पर पता चला कि वन्य जीवों के शिकार के लिए लगाए गए करंट के तार के सम्पर्क में आने से मादा तेंदुआ की भी मौत हुई है। शव की हालत देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि तेंदुआ की मौत भी 7-8 दिन पूर्व हुई है। गुरुवार 20 दिसम्बर को मृत तेंदुए का पशु चिकित्सकों की टीम से पोस्टमार्टम कराने के बाद उसके क्षत-विक्षत शव को जला दिया गया। जबकि बिसरा आदि को जांच के लिए सागर स्थित फॉरेंसिक लैब भेजा जा रहा है। वहीं, करंट लगाकर मादा तेंदुआ का शिकार करने के मामले में वन विभाग द्वारा संदेही आरोपी बिसालिया चौधरी निवासी टिकरिया की सरगर्मी से तलाश की जा रही है।

क्या है मामला

शिकार की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगा पाने बुरी तरह नाकाम साबित हो रहे दक्षिण वन मंडल पन्ना के जिम्मेदार अधिकारी अपनी विफलताओं को छिपाने और बदनामी से बचने के लिए मीडियाकर्मियों को जानकारी से कन्नी काट रहे हैं। मादा तेंदुआ की मौत को लेकर वन विभाग के सूत्रों से हांसिल जानकारी अनुसार अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि शिकारी सौखीलाल चौधरी पुत्र लोटा चौधरी 38 निवासी टिकरिया ने वन्य जीवों के शिकार के लिए अपने स्वजातीय परचितों सुनील चौधरी 27 वर्ष व उसके पिता बिसालिया चौधरी निवासी ग्राम टिकरिया एवं बिसालिया चौधरी के ही दामाद दयाराम चौधरी पुत्र प्यारेलाल चौधरी 32 वर्ष निवासी ग्राम भिलसायं के साथ मिलकर 12 दिसम्बर को मैन विधुत लाइन में तार डालकर टिकरिया के जंगल में करंट का जाल बिछाया था। इस दौरान गलती से सौखीलाल चौधरी खुद ही करंट की चपेट में आ गया जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी। शाहनगर थाना प्रभारी अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में मृतक के साथियों सुनील चौधरी एवं दयाराम चौधरी के खिलाफ आईपीसी की 304, 34 के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए दोनों को 15 दिसम्बर को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में पवई जेल भेज जा चुका है।

जिम्मेदारों ने बरती लापरवाही

उल्लेखनीय है कि वन, वन्य प्राणियों एवं वन संपदा की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले विभागीय अधिकारी और मैदानी अमला अपने दायित्वों का निर्वहन कितनी सजगता व ईमानदारी से कर रहा है, मादा तेंदुआ के शिकार की घटना से यह साफ़ जाहिर हो चुका है। जंगल में शिकारियों की लगातार बढ़ती सक्रियता के बीच वन अमला इतना चौकस है कि तेंदुए के शिकार का पता उसे सप्ताह भर बाद चला ? शाहनगर वन परिक्षेत्र अंतर्गत कुछ समय पहले भी कई स्थानों पर शिकारियों द्वारा जंगल में करंट के तार बिछाने का पता चला था लेकिन, जिम्मेदारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसका दुष्परिणाम मादा तेंदुआ का शिकार होने के रूप सामने आया है। तेंदुए के शिकारी तो देर-सबेर पकड़े ही जायेंगे पर इस क्षति के लिए उत्तरदायी अकर्मण्य अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही होती है यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

नहीं थम रहीं शिकार की घटनायें

कुछ दिन पूर्व पवई रेंज में शिकारियों के ठिकाने और कार में मिला विस्फोटक व शिकार में उपयोग होने वाली सामग्री।
पन्ना जिले के दक्षिण वन मंडल अंतर्गत इस वर्ष शिकार के सबसे ज्यादा मामले सामने आये हैं। अभी कुछ दिन पूर्व 14 दिसंबर को रात्रि में पवई वन परिक्षेत्र अंतर्गत शिकार में लिप्त एक गिरोह के ठिकाने से वन विभाग के अमले ने 687 नग एक्सप्लोसिव डायनामाईट, शिकार में उपयोग होने वाला जीआई तार व खूटियाँ, एक एयरगन, एक कुल्हाड़ी, मृत बेजुबान वन्य जीव, सागौन की लकड़ी और इंडिगो कार को जब्त किया था। इसके आलावा शिकारियों द्वारा बिछाये गए करंट के तार के संपर्क में आने से मौके पर एक गाय जलती हुई मिली। वहीं एक जंगली बिल्ली एवं एक कबरबिज्जू करन्ट में फंसकर जली हुए अवस्था में मृत पाये गये थे। इसके पूर्व दक्षिण वन मंडल अंतर्गत ही दो तेंदुओं, एक भालू का शिकार हुआ था। वन्य जीवों के अंगों का गैरकानूनी कारोबार कर रुपये कमाने के उद्देश्य से तस्करों-शिकारियों ने नर भालू के शिकार के बाद उसका प्राइवेट पार्ट सहित उसके शरीर के कई अंग निकालकर सुरक्षित रख लिए थे। जिन्हें बाद में शिकारियों की निशानदेही पर वन अमले ने जब्त कर लिया था। पन्ना जिले के उत्तर वन मंडल में भी इस वर्ष अब तक दो तेंदुओं के शिकार की घटनाएं सामने आई हैं।

कहीं फिर बाघ विहीन न हो जाये पन्ना !

फाइल फोटो
चिंताजनक बात यह है कि कड़ी सुरक्षा वाले पन्ना टाईगर रिज़र्व में भी शातिर शिकारियों ने अपना जाल फैला रखा है। इसका खुलासा कुछ माह पूर्व पन्ना टाईगर रिज़र्व अंतर्गत एक युवा बाघिन का शिकार फंदा लगाकर किये जाने की घटना से हुआ था। बताते चलें कि वर्तमान में पन्ना टाईगर रिज़र्व में करीब तीन दर्जन बाघ हैं। जिसमें एक दर्जन बाघ टाईगर रिज़र्व से सटे पन्ना के उत्तर एवं दक्षिण वन मंडल के जंगल तथा पड़ोसी जिलों के जंगलों में अपना रहवास बनाये हुए हैं। पन्ना जिले के वन क्षेत्रों में पत्थर खनन माफिया, सागौन तस्करों और शिकारी गिरोहों की मौजूदगी के परिणामस्वरूप लगातार बढ़ती शिकार घटनाओं के मद्देनजर यह कहना गलत नहीं होगा यहां के बाघ और दूसरे बेजुबान वन्यजीव अब सुरक्षित नहीं हैं। जानकारों का मानना है कि वन्य जीवों की सुरक्षा में बरती जा रही घोर आपराधिक लापरवाही पर समय रहते यदि प्रभावी अंकुश नहीं लगा तो पन्ना के जंगल पुनः बाघ विहीन हो सकते हैं।
इनका कहना है-
“मैंने स्थानीय अधिकारियों के साथ गुरुवार को घटनास्थल का निरीक्षण किया था। मृत तेंदुए को भी देखा था, डॉग स्कवॉड से मिले सुराग के आधार शिकार के मामले में फरार एक व्यक्ति की तलाश की जा रही है। शिकार की घटनाओं की रोकथाम को लेकर वन अमला पूरी तरह सजग है, शिकारियों को पकड़ने और तार जप्त करने की लगातार कार्रवाई की जा रही है। बाघों के मूवमेंट पर भी नजर रखी जा रही है।”

राघवेंद्र श्रीवास्तव, मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर