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शासकीय राशि का गबन करने वाले सरपंच-सचिव के विरूद्ध दर्ज होगी FIR
* जिला पंचायत सीईओ ने जांच प्रतिवेदन पर कार्रवाई करते हुए दिए आदेश
* आंगनवाड़ी सहायिका को मनरेगा मजदूर बताकर और फर्जी बिल-बाउचर से किया भ्रष्टाचार
शहडोल। (www.radarnews.in) फर्जी बिल-बाउचर तैयार कर शासकीय राशि का गबन करना ग्राम पंचायत नौढिया के सरपंच एवं सचिव को बहुत महंगा पड़ने वाला है। भ्रष्टाचार के मामले को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शहडोल राजेश जैन ने गंभीरता से लेते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत ब्यौहारी को दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी किए हैं। उन्होंने जनपद पंचायत ब्यौहारी को ग्राम पंचायत नौढिया सरपंच छोटेलाल सिंह एवं सचिव दिलीप पाण्डेय के विरुद्ध नजदीकी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए है।
जानकारी अनुसार जनपद पंचायत ब्यौहारी अन्तर्गत ग्राम पंचायत नौढ़िया के शिकायतकर्ता मुकेश मिश्रा ग्राम पंचायत नौढ़िया ने अवगत कराया कि सरपंच-सचिव एवं उपयंत्री द्वारा शासकीय कर्मचारी के नाम से मनरेगा में मजदूरी आहरण करने के संबंध में अपराध दर्ज कराते हुये भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने संबंधी शिकायत की जाँच कराई गई। प्राप्त जॉच प्रतिवेदन में कार्यकारी एजेन्सी सरपंच एवं सचिव ग्राम पंचायत नौढ़िया के द्वारा कर्मचारियों के नाम से फर्जी मस्टर रोल तैयार कर राशि का गबन करना, एवं स्टेशनरी के नाम से फर्जी बिल व्हाउचर्स तैयार कर अनियमित तरीके से राशि का गबन किया जाना पाया गया है।
इस संबंध में जारी पत्र में कहा गया है कि मनरेगा योजना के तहत ग्रेवल सड़क निर्माण कार्य बराँधा मुख्य मार्ग से हनुमान मंदिर नौढ़िया तक कराये गये निर्माण कार्य में मस्टर रोल क्र. 557 एवं 814 में जॉब कार्ड क्र. 1/183 बी के सरल क्र. 10 में ललिता चतुर्वेदी, का नाम फर्जी तरीके से मस्टर रोल में नाम प्रवृष्टि की जाकर राशि रू. 2920.00 का आहरण किया गया है। जबकि ललिता चतुर्वेदी आंगनवाड़ी, सहायिका के पद पर वर्तमान में कार्यरत है। इसी तरह ग्राम पंचायत नौढ़िया में फर्नीचर व उपयोग में होने वाली स्टेशनरी क्रय की गई जिसमें दर्ज बिल में राशि रुपए 3450.00 का डिसटीबी छतरी का क्रय किया गया। किन्तु स्थल पर डिसटीबी छतरी का होना नहीं पाया गया। जिसमें सरपंच एवं सचिव द्वारा शासन के साथ धोखाधड़ी कर षड़यंत्रपूर्वक तरीके से राशि रूपए 3450.00 का गबन व प्रभक्षण किया गया है।
ग्राम पंचायत नौढिया सरपंच छोटे लाल सिंह एवं सचिव दिलीप पाण्डेय द्वारा शासन के साथ धोखाधड़ी कर षड़यंत्रपूर्वक बिल व्हाउचर्स, फर्जी मस्टर रोल तैयार की जाकर एक शासकीय कर्मचारी के नाम मस्टर रोल में नाम पृविष्ट की गई है। जिसमें ग्रेबल सड़क निर्माण कार्य बरौंधा मुख्य मार्ग से हनुमान मंदिर नौढ़िया तक निर्माण कार्य में राशि रू. 2920.00 एवं फर्नीचर व उपयोग में होने वाली स्टेशनरी क्रय की गई जिसमें दर्ज बिल में राशि रुपए 3450. 00 के नाम से डिसटीबी छतरी का बिल पाया गया किन्तु स्थल पर डिसटीबी छतरी का होना नही पाया गया है। सरपंच छोटे लाल सिंह एवं सचिव दिलीप पाण्डेय, द्वारा कुल राशि रू 6370.00 का गबन व प्रभक्षण किया गया है। जो अत्यन्त गंभीर अपराधिक प्रवृत्ति का है।
शिक्षक दिवस विशेष : शहडोल की शिक्षिका साधना जैन शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए अनेक पुरूस्कारों से हो चुकी हैं सम्मानित
* नवाचारी शिक्षण विधियों और छात्रों के सर्वांगीण विकास के अनवरत प्रयासों से बनीं अनुकरणीय शिक्षिका
शहडोल। (www.radarnews.in) शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए संभागीय मुख्यालय शहडोल के एमएलबी स्कूल में पदस्थ शिक्षिका श्रीमती साधना जैन को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनके नवाचारी शिक्षण विधियों और छात्रों के सर्वांगीण विकास में अनवरत प्रयासों ने उन्हें एक अनुकरणीय शिक्षिका के रूप में स्थापित किया है। श्रीमती जैन ने शिक्षा को केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन न मानते हुए, छात्रों के व्यक्तित्व विकास, नैतिक मूल्यों की स्थापना, और समाज में सकारात्मक योगदान के लिए प्रेरित करने का माध्यम बनाया है।
शिक्षिका श्रीमती साधना जैन का कहना है कि, मेरे माता-पिता दोनों शिक्षक थे और उन्हीं से मुझे शिक्षक बनने की प्रेरणा मिली। मैंने शुरू से ही यह सोचती थी कि मैं बच्चों को कितनी अच्छी शिक्षा दूं और कितना अच्छा सर्वांगीण विकास करूं इसके लिए मेरे द्वारा लगातार प्रयास किए गए हैं। मेरे द्वारा पढ़ाए गए अनेक विद्यार्थी इंजीनियर और डॉक्टर के पद पर हैं और भी कई अन्य सेवाओं में है तथा विद्यार्थियों को प्रतियोगिताओं में भी सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होता है कि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का सर्वांगीण विकास भी हो। बच्चे पढ़ाई भी करें सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी आगे रहे तथा खेलकूद में भी आगे रहे इसके लिए हम उनके अंदर आत्मविश्वास भरते रहते हैं। मुझे वर्ष 2018 में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के द्वारा दिया गया। इसके अलावा गुलाब सिंह कोठारी सम्मान, बिज्जू भाई शिक्षक सम्मान, विनय उजाला सम्मान आदि मिले हैं।
संभाग स्तरीय विराट कप फुटबॉल प्रतियोगिता में शामिल होंगी 16 टीमें
* 14 से 19 सितम्बर तक आयोजित होगी फुटबाल प्रतियोगिता
* प्रतियोगिता के व्यवस्थित आयोजन के संबंध में कलेक्टर ने ली बैठक
शहडोल। (www.radarnews.in) संभाग स्तरीय विराट कप फुटबाल प्रतियोगिता के आयोजन के संबंध में मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय के सभागार में कलेक्टर डॉ. केदार सिंह की उपस्थिति में बैठक आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए विराट कप फुटबॉल प्रतियोगिता के आयोजन हेतु मौसम को दृष्टिगत रखते हुए सभी तैयारियां पूर्ण कर लें।
बैठक में सहायक संचालक खेल रईस अहमद ने बताया कि 14 से 19 सितम्बर 2024 तक संभागीय स्तरीय विराट कप फुटलाब प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि फुटबाल प्रतियोगिता में 16 टीमें जिसमें रेलवे शहडोल, विचारपुर, पडमनिया, करकटी, सिरोंजा, धनपुरी, पोडी चौड़ी, यंग स्टार जमुना, मेडियारास अमलाई, देवहरा, एसएफ जी जे एंड के एरिया ,पुष्पराजगढ़ ए, बेनीबारी, उमरिया, पाली, की टीमें शामिल होगी। बैठक में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अरविंद शाह (IAS), खेल युवा कल्याण विभाग के प्रशिक्षक ब्लॉक कोऑर्डिनेटर, फुटबॉल कोच, राष्ट्रीय खिलाड़ी, रजिस्टर्ड रेफरी उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश : ‘मोहन राज’ में रेत माफिया का अमृतकाल !
* पन्ना जिले में बगैर अनुमति के खेतों और शासकीय भूमि पर आधा सैंकड़ा रेत खदानें संचालित
* रेत के विपुल भंडार पर यूफोरिया माइन्स एंड मिनरल्स कंपनी खुलेआम डाल रही डकैती
* नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध खदानों से प्रतिदिन निकाल रहे 7 से 8 करोड़ की रेत
* कलेक्टर, एसडीएम और खनिज विभाग के अफसरों पर रेत माफिया को लूट की खुली छूट देने का आरोप
* भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व खनिज मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय खनन माफिया को किसका संरक्षण?
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) सूबे के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के राज में पन्ना जिले में सक्रिय रेत माफिया के हौसले काफी बुलंद हैं। जिले के अजयगढ़ तहसील क्षेत्र अंतर्गत माफिया का दुस्साहस इतना अधिक बढ़ चुका है कि वो लोग अब खुलेआम नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए रेत की डकैती डाल रहे हैं। अजयगढ़ में केन नदी किनारे स्थित आधा दर्जन गांवों में खेतों और राजस्व भूमि पर पिछले दो माह से बगैर किसी वैधानिक अनुमति के संचालित आधा सैंकड़ा खदानों से रातदिन बेतहाशा रेत निकाली जा रही है। बहुमूल्य खनिज संपदा की बड़े पैमाने पर चल रही संगठित लूट पर जिला प्रशासन सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि पूरी निर्लज्जता के साथ तमाशबीन बने बैठे हैं। जिम्मेदारों की रहस्मयी अकर्मण्यता से आक्रोशित ग्रामीणों ने अंधाधुंध अवैध खनन की त्रासदी से अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है। साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के युवा नेताओं ने इस ज्वलंत मुद्दे पर ग्रामीणों की जायज मांग के समर्थन में आंदोलन करने का ऐलान किया है।
बुंदेलखंड अंचल की जीवनदायिनी केन नदी को अनियंत्रित रेत खनन से तबाह-बर्बाद करने वाले माफिया अब उसके तटबंध और कछार का वजूद मिटाने के एक सूत्रीय अभियान में जुटे हैं। बारिश के चलते केन नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद से ही पन्ना जिले के तराई अंचल (अजयगढ़ तहसील क्षेत्र) में नदी किनारे स्थित भानपुर, बीरा, चंदौरा, जिगनी, बरौली और रामनई गांव में रेती की खेती का खेल शुरू हो गया है। इन गांवों के खेतों (निजी भूमि) तथा राजस्व भूमि पर पिछले दो माह से बगैर किसी लीज स्वीकृति के आधा सैंकड़ा रेत खदानें खुलेआम संचालित हो रहीं है। एक अनुमान के मुताबिक अवैध खदानों से माफिया रोजाना 7-8 करोड़ की रेत निकाल रहे हैं।
रेत की लूट के मामले में ब्लैक लिस्ट कंपनी यूफोरिया माइन्स एंड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड भोपाल (म.प्र.) का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। कथित तौर पर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में ब्लैक लिस्टेड इस कंपनी की पर्दे के पीछे से कमान संभालने वाले कतिपय बड़े खिलाड़ी पिछले 5-6 साल से लगातार एमपी के पन्ना व छतरपुर तथा यूपी के बांदा जिले में अलग-अलग व्यक्तियों एवं कंपनियों के नाम पर केन नदी की रेत का ठेका और रेत भंडारण की अनुमति लेकर इसकी आड़ में बड़े ही सुनियोजित तरीके से खनिज संपदा की डकैती डाल रहे हैं। भोपाल के श्यामला हिल्स इलाके के पते पर रजिस्टर्ड इस कंपनी से जुड़े लोगों की सीधी पहुंच प्रदेश के सत्ता प्रतिष्ठान में शीर्ष तक होने की आमचर्चा है।
खेतों और राजस्व भूमि को कर रहे खोखला
अजयगढ़ तहसील में केन नदी पट्टी (केन प्रवाह) क्षेत्र के अनेक गांवों में चंबल के बीहड़नुमा मिट्टी के टीलों की भौगोलिक संरचना है। जानकारों का मानना है, सैंकड़ों सालों में बाढ़-अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण नदी के तटबंध में कटाव होने से प्रवाह में आए बदलाव के फलस्वरूप निर्मित ऊँचें-नीचे मिट्टी के टीलों के अंदर धीरे-धीरे रेत का विपुल भंडार जमा हो गया। इस इलाके में नदी के अंदर और बाहर भूमि में मौजूद रेत भंडार को लूटने का खेल काफी लंबे समय से चल रहा है। यहां जून माह तक यानी मानसून के सक्रिय होने के पूर्व तक रेत माफिया केन नदी की जलधारा को जगह-जगह रोककर प्रतिबंधित मशीनों को नदी में उतारकर रेत के लिए केन की कोख और सीना खुलेआम छलनी कर रहे थे। लेकिन बारिश शुरू के बाद नदी का जल स्तर बढ़ने से माफिया अब रेत के लिए नदी किनारे स्थित खेतों और राजस्व भूमि को खनन से खोखला करने में जुट गए हैं।
नदी किनारे स्थित भानपुर, बीरा, चंदौरा, जिगनी और रामनई गांव के खेतों तथा शासकीय भूमि पर बिना किसी अनुमति के पिछले दो माह से तकरीबन आधा सैंकड़ा खदानों से रातदिन रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। अति पिछड़े इस इलाके में वृहद पैमाने पर खुलेआम चल रही रेत की डकैती का हाल यह है, मानों जिला प्रशासन ने माफिया को अघोषित तौर पर खुली छूट दे रखी है। नियम-कानून और व्यवस्था यहां पूरी तरह बेमानी बन चुकी है। नदी किनारे स्थित गांवों को बारिश के सीजन में जल भराव से सुरक्षा प्रदान करने वाले मिट्टी के टीलों और नदी तटबंध को अंधाधुंध तरीके से खदान में तब्दील किए जाने कारण स्थानीय ग्रामीणों को अतिवृष्टि की स्थिति में बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ सकता है।
अनियंत्रित रेत खनन से बढ़ रहा जलसंकट
बताते चलें कि, पन्ना जिले का अजयगढ़ तहसील क्षेत्र जल संकट की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। जिसे दृष्टिगत रखते हुए तहसील क्षेत्र में अटल भूजल योजना संचालित की जा रही है। विडंबना यह है कि एक ओर अजयगढ़ क्षेत्र में 50 से लेकर 100 फिट गहरी खदानें खोदकर रेत का अनियंत्रित दोहन किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अटल भूजल योजना के तहत भूजल प्रबंधन पर पानी की तरह सरकारी पैसा बहाया जा रहा है। विशेषज्ञों द्वारा किए गए अनेक अध्ययनों से यह साफ़ हो चुका है कि अजयगढ़ क्षेत्र में जारी रेत की अंधाधुंध लूट केन नदी के वजूद को मिटाने के साथ केन पट्टी क्षेत्र में भूजल स्तर को लगातार पाताल की ओर धकेल रहा है। इसका दुष्प्रभाव अवैध रेत खनन वाले गांवों में गर्मी के मौसम में साल दर साल गंभीर होते जल संकट के रूप में देखा जा सकता है।
रामनई में अवैध खनन के खिलाफ आक्रोश
सीमावर्ती रामनई गांव वर्तमान में रेती की अवैध खेती का केन्द्र बनकर उभरा है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की सीमा से सटे पन्ना के इस अंतिम गांव में तकरीबन 3 किलोमीटर के दायरे में दो दर्जन गहरी खाईनुमा खादानों से रोजाना 250-300 डंपर रेत निकाली जा रही है। रामनई में सैंकड़ा भर पोकलेन मशीनें निजी कृषि भूमि और राजस्व भूमि को रातदिन रेत खदान में तब्दील करने में जुटी हैं। नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए यहां अवैध खनन का खेल यहां खुलेआम चल रहा है। रेत के अनियंत्रित दोहन से गांव के प्रसिद्ध झरने के अस्तित्व पर गंभीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह बारहमासी प्राकृतिक झरना गांव के लोगों की पेयजल व्यवस्था, निस्तार, खेतों की सिंचाई और मवेशियों की प्यास बुझाने का मुख्य स्रोत है।
जमीन के अंदर से फूटे झरने की जलधारा पर गांव की बड़ी आबादी निर्भर है। लेकिन रामनई की जमीन के अंदर से ज्यादा से ज्यादा रेत निकालने की होड़ में माफिया के द्वारा झरने के ऊपरी भाग और अगल-बगल में एलएनटी मशीनों से अंधाधुंध खुदाई कराई जा रही है। जिससे प्राकृतिक झरने की जलधारा को काफी क्षति पहुंची है। धार्मिक स्थल के नजदीक स्थित प्राकृतिक झरना रामनई के ग्रामीणों की आस्था से भी जुड़ा है। स्थानीय लोग बारहमासी झरने को ईश्वर द्वारा उन्हें विशेष रूप प्रदत्त सौगात के तौर पर देखते हैं। ग्रामीण रमाशंकर, रामकेश, कल्लू, राजबहादुर (राजू) यादव जिगनी आदि ने बताया कि भारी विरोध के बावजूद रेत माफिया के द्वारा झरना के आसपास अवैध रेत खनन कराया जा रहा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन माफिया की विनाशलीला पर तमाशबीन बने बैठे हैं। ग्रामीणों के विरोध करने पर माफिया द्वारा उन्हें झूठे आपराधिक प्रकरण में फंसाने की धमकी दी जा रही है। माफिया की मनमानी से आक्रोशित ग्रामीणों ने अपने जलस्रोत को बचाने के लिए आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दे रहे हैं।