विकलांगता से बचाव के लिए फाइलेरिया रोधी दवा का अवश्य करें सेवन

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राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के संबंध में पन्ना जिले में आयोजित मीडिया एडवोकेसी एवं सामजिक जुड़ाव कार्यशाला में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी।

*     पन्ना जिले में आज से 22 फरवरी तक चलेगा सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम

*     सीएमएचओ बोले फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन पूरी तरह सुरक्षित, बिना घबराए दवा खाएं

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में फाइलेरिया रोग से सबसे अधिक प्रभावित 8 जिलों में पन्ना जिला शामिल है। मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली हाथी पांव (फाइलेरिया) की लाइलाज बीमारी का खतरा जिले में लगातार बढ़ रहा है। शारीरिक विकृति पैदा करने अथवा विकलांग बना देने वाली इस बीमारी से बचाव के लिए पन्ना जिले में रहने वाले एवं यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वर्ष में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करना जरुरी है। क्योंकि, गंदे पानी में पैदा होने वाले मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से इस बीमारी के फैलने की आशंका रहती है। यह दवा शरीर के अंदर के फाइलेरिया के परजीवी कृमि को रक्त में ही समाप्त कर हाथी पांव की बीमारी से बचाती है। फाइलेरिया उन्मूलन के लिये पन्ना जिले में मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान शुक्रवार 10 फरवरी से संचालित किया जायेगा। 10 फरवरी से लेकर 22 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान के तहत जिले की 11 लाख से अधिक आबादी को सामूहिक दवा सेवन स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा समकक्ष में कराया जायेगा। यह जानकारी पन्ना के प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. व्हीएस उपाध्याय ने दी है।
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत बुधवार 8 फरवरी को आईपीडीपी सभागार में आयोजित मीडिया एडवोकेसी एवं सामजिक जुड़ाव कार्यशाला में प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. व्हीएस उपाध्याय ने बताया कि 10 एवं 11 फरवरी को स्कूल, महाविद्यालय, कार्यालय, आंगनवाड़ी केन्द्र में बूथ लगाकर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जाएगा। 13 से 17 फरवरी तक घर-घर जाकर दवा सेवक अपने समक्ष फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराएंगे। छूटे हुए लोगों को स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा 20 से 22 फरवरी तक दवा का सेवन कराया जाएगा। आपने बताया कि फाइलेरिया दवा का सेवन पूर्णतः सुरक्षित है इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं है। अपवाद स्वरूप अगर किसी व्यक्ति को कोई समस्या उत्पन्न होती है तो घबराने की आवश्यकता नहीं है, तुरंत दवा वितरण करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या फिर एमडीए कन्ट्रोल रूम नम्बर:- 07732-252009 सम्पर्क कर आवश्यक उपचार प्राप्त कर सकते हैं।

तीन तरह की दवाईयों का उम्र के हिसाब से करना है सेवन

डॉ. जीपी आर्या ने जानकारी देते हुए बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 02 वर्ष से ऊपर की समस्त जनसंख्या (गर्भवती महिला एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर) को फायलेरिया रोधी दवा का सेवन करना आवश्यक है। कार्यक्रम अंतर्गत तीन तरह की दवाईयों का सेवन करवाया जाना है। जिसमें एलबेंडाजोल की 01 गोली सभी को चबाकर खानी है, डीईसी की गोली उम्र के अनुसार एवं आइबरमेक्टिन की गोली ऊंचाई के अनुसार खानी है। 2 से 5 वर्ष के बच्चों को डीईसी की एक गोली, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं 15 वर्ष से ऊपर के बच्चों को डीईसी. की तीन गोलियां खिलायी जानी है। इसी प्रकार 90 सेंटीमीटर से 119 सेंटीमीटर की ऊंचाई वाले बच्चों को आइवर मेक्टिन की एक गोली, 120 सेमी. से 140 सेमी. की ऊंचाई वाले बच्चों को आइवर मैक्टिन की दो गोली 141 सेंटीमीटर से 158 से.मी. की ऊंचाई वाले व्यक्तियों को आइवर मेक्टिन की तीन गोली एवं 158 सेंटीमीटर से अधिक ऊंचाई वाले व्यक्तियों को आइबर मेक्टिन की चार गोली का सेवन कराया जाना है।

दवा खाने से फाइलेरिया मुक्त होगा जिला

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के संबंध में पन्ना में आयोजित मीडिया एडवोकेसी एवं सामजिक जुड़ाव कार्यशाला में उपस्थित पत्रकारगण।
जिला मलेरिया एवं फायलेरिया अधिकारी अरुणेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि फाइलेरिया से बचाव के लिए सभी लक्षित जनसमुदाय को इस दवा का सेवन करना जरूरी है। उन्होंने आमजन से अपील है कि सभी लोग इस दवा का सेवन अवश्य करें जिससे पन्ना जिला फायलेरिया रोग से मुक्त हो सके। कार्यशाला में गुंजन सिंह, शदब खान, प्रकाश आठ्या, राजेश तिवारी, मोहम्मद सलीम खान बाबू जी, इदरीश मोहम्मद, सजनीश शर्मा सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी एवं पत्रकारगण उपस्थित रहे।

फाइलेरिया के लक्षण

आमतौर पर फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही हो जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि रोग की प्रारंभिक अवस्था में बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आसपास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं।