MP : एसआई की गुंडई के खिलाफ पत्रकारों ने दी सामूहिक गिरफ्तारी, सड़क पर उतरकर किया संघर्ष का शंखनाद

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पत्रकार के साथ मारपीट करने वाले एसआई व पुलिस आरक्षक के खिलाफ आपराधिक मामला पंजीबद्ध न होने पर आंदोलन कर रहे पन्ना के पत्रकारों द्वारा शुक्रवार 25 अक्टूबर को सामूहिक गिरफ्तारी दी गई।

*      पत्रकार के साथ सरेआम मारपीट करने वाले एसआई के खिलाफ FIR न होने से आक्रोश

*      पुलिस एवं प्रशासन की हठधर्मिता से सूबे की मोहन सरकार की जमकर हो रही फ़जीहत

*      जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी ने गलत जानकारी देकर शासन-प्रशासन को किया गुमराह

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) खाकी वर्दी का रौब दिखाकर ग्रामीण पत्रकार के साथ सरेआम गुंडई करने वाले पुलिस उप निरीक्षक भानु प्रताप सिंह के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग को लेकर आंदोलनरत पन्ना के पत्रकारों द्वारा शुक्रवार को सामूहिक गिरफ़्तारी दी गई। पैदल मार्च करते हुए गिरफ़्तारी देने कोतवाली थाना पहुंचें पत्रकारों ने इंसाफ मिलने तक लोकतांत्रिक तरीके से अपने संघर्ष को जारी रखने का ऐलान किया। पुलिसवाला गुंडा की तरह बर्ताव करने वाले एसआई का पुलिस एवं प्रशासन के द्वारा पूरी निर्लज्जता के साथ बचाव करने और इस ज्वलंत मुद्दे पर जिले के जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये को लेकर पत्रकार बिरादरी के साथ-साथ आमजन में भी जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। लोकहित के सजग प्रहरी की तरह आमजन की आवाज़ बुलंद करने वाले पत्रकारों को शुक्रवार को जब लोगों ने अपने लिए न्याय की गुहार लगाते हुए देखा तो वह निरंकुश हो चुकी अफसरशाही को कोसने से खुद को रोक नहीं सके। एसआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज न करके इंसाफ का गला घोंटने पर आमादा कतिपय अफसरों के हठधर्मी रवैये को देखते हुए पत्रकारों ने न्यायलय की शरण लेने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। साथ ही भोपाल जाकर इस मामले को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष प्रमुखता से उठाने पर भी सहमति बनीं है।
पत्रकारों के साथ आदतन अभद्रता करने वाले पन्ना पुलिस के उप निरीक्षक भानु प्रताप ने विगत दिनों टिकरिया ग्राम में एक दुकानदार को क़ानूनी प्रक्रिया का मखौल उड़ाते हुए गिरफ्तार करने की कोशिश की थी। इस दौरान मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। स्थानीय पत्रकार सतीश विश्वकर्मा ने वहां पहुंचकर अपना परिचय देते हुए दुकानदार को गिरफ्तार करने का जब सबब पूंछा तो अपनी हनक में रहने वाला एसआई उखड़ गया। दुकान से बाहर निकलकर पत्रकार पुलिस की कार्यवाही का वीडियो बनाने लगा तो एसआई और एक अन्य पुलिसकर्मी अपना आपा खो बैठे। दोनों सरेआम वर्दीवाले गुंडे जैसा बर्ताव करते हुए बेबस और निरीह पत्रकार पर टूट पड़े। अपने मोबाइल फोन पर ‘जन-सेवा की है निष्‍ठा और निर्बल की ताकत हैं हम’ की रिंगटोन बजाने वालों का असली चरित्र सबके सामने आ चुका था। दोनों पुलिसवालों ने पत्रकार के साथ गाली-गलौंज, मारपीट करते हुए उसके हाथ की उंगली तोड़ डाली। और अपने आपराधिक कृत्य का साक्ष्य मिटाने के लिए पत्रकार सतीश विश्वकर्मा का मोबाइल फोन छुड़ा ले गए थे।
हद तो तब हो गई जब सरेआम गुंडई करके पुलिस महकमे की छवि धूमिल करने वाले एसआई ने शाहनगर थाना में पीड़ित पत्रकार के ही खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने का फर्जी प्रकरण पंजीबद्ध करवा दिया। पत्रकार की पिटाई करने का वीडियो वायरल होने के बाद भी आनन-फानन में उल्टा उसी के खिलाफ आपराधिक मामला पंजीबद्ध किये जाने से हर कोई हैरान है। उधर, इस मामले में कतिपय पुलिस अफसर अपने दोनों अधीनस्थों का बेशर्मी के साथ बचाव करते हुए पीड़ित पत्रकार की रिपोर्ट दर्ज करने को तैयार नहीं है।

कानून के शासन और लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत

कोतवाली थाना पन्ना के बाहर सामूहिक गिरफ्तारी देने के लिए जमीन पर बैठे पत्रकारों ने पुलिस अधिकारियों पर मारपीट के आरोपी एसआई व पुलिस आरक्षक का बचाव करने का आरोप लगाया।
पुलिस अफसरों के अन्यायपूर्ण एवं पक्षपाती रवैये से आहत और आक्रोशित पन्ना जिले के पत्रकार अपने साथी को न्याय दिलाने के एक सप्ताह भर से चरणबद्ध तरीके से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। पत्रकार के साथ अभद्रता करने वाले एसआई व पुलिस आरक्षक के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की मांग को लेकर गत दिनों पत्रकारों के द्वारा सामूहिक रूप से पुलिस अफसरों को ज्ञापन सौंपा गया था। पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह और भाजपा जिलाध्यक्ष बृजेन्द्र मिश्रा को घटनाक्रम की जानकारी देकर ज्ञापन सौंपे गए। फिर भी एसआई के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध नहीं हो सका। लोकतंत्र के अघोषित चौथे स्तंभ के अपमान पर कार्यवाही की जायज मांग को भी पूरा न करवा पाने को माननीयों का नाकारापन समझा जाए या फिर यह माना जाए कि पुलिस स्टेट को उनकी मूक सहमति प्राप्त है? अथवा इसे भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं के कमजोर होने के कारण तेजी से बढ़ती निरकुंशता को लेकर वैश्विक चिंता से जुड़े संकेत के तौर देखा जाए। कारण चाहे जो भी हो पर एक बात स्पष्ट है कलमकार (पत्रकार) को अपना काम करने की स्वतंत्रता न होना, नागरिक अधिकारों पर व्यवस्था की मनमर्जी हावी होना कानून के राज और लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत है।

पुलिस की छवि धूमिल करने वाले का बचाव

जिले भर के पत्रकार पैदल मार्च निकालकर पुलिस एवं प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पन्ना कोतवाली थाना पहुंचे। जहां पन्ना एसडीओपी को पुलिस के अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ सामूहिक गिरफ़्तारी दी गई।
विदित हो कि, पत्रकार के साथ कथित मारपीट और लूटपाट के आरोपी एसआई भानु प्रताप की रिपोर्ट पर पीड़ित के खिलाफ जिस तत्परता से आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया गया उसने पन्ना पुलिस के अफसरों की निष्पक्षता और कार्यशैली की पोल खोलकर रख दी है। विडंबना यह है कि आरोपी की रिपोर्ट दर्ज करने वाले पुलिस अफसर पीड़ित का मामला दर्ज करने के लिए किसी भी सूरत में तैयार नहीं है। दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम की सच्चाई की जानकारी होने के साथ तथ्यों से भलीभांति अवगत होने के बाद भी एसआई और उसके सहयोगी पुलिसकर्मी को बचाने के लिए जिम्मेदार अफसर पत्रकारों को गुमराह करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। कुछ दिन पूर्व पुलिस अधिकारियों के द्वारा इस मामले को शांत कराने के लिए अजयगढ़ एसडीओपी को जांच सौंपकर जांच उपरान्त कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया था। साथ ही यह भी बताया गया कि एसआई एवं थाना प्रभारी बृजपुर भानु प्रताप को बृजपुर से हटाकर तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच किया जायेगा। लेकिन इस संबंध में आदेश जारी न किए जाने से पुलिस अफसरों का आश्वासन झूठा निकला। इससे आहत पत्रकारों ने अपने साथी को इंसाफ मिलने तक आंदोलन करने का ऐलान किया है। पन्ना के पुलिस महकमे के अंदरखाने चर्चा है कि, एसआई खिलाफ कार्यवाही की मांग से कतिपय विभागीय अफसरों के अहंकार को चोट लग रही है। क्योंकि वे इसे अपने खिलाफ और महकमे के अपमान के तौर पर देख रहे है। वास्तविक पीड़ित के साथ खड़े न होकर पुलिस अफसर अपनी हठधर्मिता से जाने-अनजाने सूबे की सरकार की फजीहत कराने के साथ पुलिस के दोहरे रवैये को उजागर कर रहे हैं।

झूठी जानकारी देकर जनसम्पर्क प्रभारी ने किया गुमराह

आंचलिक पत्रकार सतीश विश्कर्मा के संबंध में शाहनगर थाना प्रभारी के द्वारा जानकारी मांगे जाने पर जिला जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी देवेन्द्र सिंह पर अपनी आपराधिक लापरवाही को छिपाने के लिए असत्य जानकारी देकर शासन-प्रशासन को गुमराह करने का गंभीर आरोप लग रहा है। बता दें कि, सतीश ने उन्हें संवाददाता नियुक्त किए जाने संबंधी मीडिया संस्थान का नियुक्ति पत्र जिला जनसम्पर्क कार्यालय में देकर बकायदा पावती प्राप्त की थी। इसके बाद भी जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी ने उनका नाम आंचलिक पत्रकार की सूची में दर्ज नहीं किया। और फिर दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के बाद पुलिस के द्वारा जानकारी मांगे जाने पर सतीश का नाम जनसम्पर्क कार्यालय में दर्ज न होने का पत्र जारी कर दिया। गत दिवस पत्रकारों ने जिला जनसम्पर्क कार्यालय पहुंचकर प्रभारी देवेन्द्र सिंह को सतीश का नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के बाद भी उसके संबंध में असत्य और भ्रामक जानकारी देने का कारण पूंछा तो वह कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया। बहानेबाजी करते हुए देवेन्द्र सिंह ने बताया कि, सतीश पन्ना आकर मुझसे मिलता नहीं है इसलिए उसका नाम दर्ज नहीं किया। इस जवाब से भड़के पत्रकारों ने सवालों की बौछार करते हुए शिकायत करने की बात कही तो जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी ने बिना किसी लागलपेट के अपनी गलती स्वीकर कर ली। देवेन्द्र सिंह ने पुनः नियुक्ति पत्र मांगते हुए नाम दर्ज करने की बात कही लेकिन पत्रकार इसके लिए राजी नहीं हुए। पत्रकारों ने इस मामले में जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी के खिलाफ भी मोर्चा खोलने का निर्णय लिया है।