खजुराहो लोकसभा सीट : शाह आए, शिवराज आए, उमा भारती और नरेन्द्र आए लेकिन कहीं नज़र नहीं आए सांसद नागेन्द्र सिंह, भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से क्यों रहे दूर ?

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पन्ना में भाजपा प्रत्याशी के नामांकन भरने के पूर्व सम्पन्न हुई आमसभा में मंचासीन रहे अतिथिगण का फाइल फोटो।

* क्या खराब प्रदर्शन को देखते हुए सांसद को चुनाव से दूर रखा गया ?

* इसके पीछे भाजपा की क्या है रणनीति, चर्चा में रही सांसद की अनुपस्थिति

शादिक खान,पन्ना/खजुराहो। रडार न्यूज लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में सोमवार 6 को मध्यप्रदेश की जिन सात सीटों पर मतदान होना है उनमें खजुराहो संसदीय क्षेत्र क्रमांक-8 शामिल है। शनिवार शाम को यहाँ चुनावी शोर पूरी तरह थम चुका है और मतदान शुरू होने के महज कुछ घंटे पूर्व सभी प्रत्याशी जनसम्पर्क करने में जुटे हैं। खजुराहो संसदीय सीट पर पिछले कई चुनावों से लगातार भारतीय जनता पार्टी जीत दर्ज रही है, इसलिए इस सीट को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। भाजपा ने इस बार यहां से मुरैना जिले के निवासी विष्णु दत्त शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। बाहरी होने के कारण भाजपा प्रत्याशी के चुनावी मुकाबला आसान नहीं है। क्योंकि, कांग्रेस ने जनभावनाओं को देखते हुए यहाँ से स्थानीय प्रत्याशी के रूप में कविता सिंह को टिकिट दिया है। राजपरिवार से आने वालीं कविता सिंह खजुराहो की बहु और पन्ना की बेटी हैं। यहाँ से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीर सिंह पटेल भी बाहरी हैं, वे उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के निवासी हैं। इसलिए खजुराहो सीट पर चुनाव में स्थानीय(क्षेत्रीय) बनाम बाहरी का मुद्दा अब तक हावी रहा है।
खजुराहो सांसद नागेन्द्र सिंह।
लोकसभा चुनाव-2019 को देश की आजादी के बाद का सबसे अहम चुनाव बताया जा रहा है। देश की दशा और दिशा तय करने वाले इस चुनाव में एक-एक सीट का महत्व है। फलस्वरूप खजुराहो सीट की बेहद प्रतिष्ठापूर्ण चुनावी लड़ाई को जीतने के लिए भाजपा के कई बड़े नेताओं ने यहाँ कई आमसभाएँ कर न सिर्फ अपने प्रत्याशी बीडी शर्मा के लिए वोट मांगे बल्कि डैमेज कंट्रोल की कमान सम्भाल कर बागियों को बैकफुट पर लाने से लेकर बाहरी प्रत्याशी के मुद्दे पर अपनों को विरोध को शांत कराने तक में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन खजुराहो सीट के पूरे चुनावी परिदृश्य से भाजपा के क्षेत्रीय सांसद नागेन्द्र सिंह गायब रहे। उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनना स्वाभाविक है। दरअसल लोग यह जानना चाहते हैं कि, आखिर ऐसी क्या वजह रही जिस कारण वे अपनी पार्टी के प्रत्याशी का उस क्षेत्र में प्रचार करने नहीं आए जहाँ का उन्होंने सांसद के रूप में करीब 5 साल तक प्रतिनिधित्व किया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह चुनाव सांसद नागेन्द्र सिंह की अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार से अनुपस्थिति को लेकर लम्बे समय तक याद किया जाएगा।

बड़े नेताओं की सभाओं से भी रहे नदारत


नयागांव में हुई उमा भारती की आमसभा का फाइल फोटो।
उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी बीडी शर्मा के नामाँकन दाखिल करने पूर्व पन्ना में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्षद्वय प्रभात झा, विनय सहस्त्रबुद्धे, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, सांसद प्रह्लाद पटेल ने आमसभा को सम्बोधित किया था। लेकिन खजुराहो क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा के सांसद नागेन्द्र न तो इस आमसभा में शामिल हुए और न ही वे बीडी शर्मा के नामाँकन जुलुस में नजर आए। इसके बाद खजुराहो संसदीय क्षेत्र अंतर्गत राजनगर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की आमसभा से भी वे नदारत रहे। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की पन्ना जिले के नयागांव, रैपुरा में हुईं आमसभाओं से भी सांसद नागेन्द्र सिंह दूर रहे। छतरपुर जिले के लवकुशनगर में शिवराज सिंह चौहान की आमसभा में भी क्षेत्रीय सांसद नहीं दिखे।
इसी तरह पवई में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं स्वतंत्र देव सिंह की आमसभा तथा कटनी जिले में हुईं आमसभाओं-नुक्कड़ सभाओं से सांसद नागेन्द्र सिंह शामिल नहीं हुए। खजुराहो सीट से भाजपा प्रत्याशी विष्णु दत्त शर्मा के चुनाव प्रचार से क्षेत्र के सांसद का नदारत रहना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना है। सर्वविदित है कि करीब चार माह पूर्व संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में नागेन्द्र सिंह सतना जिले की अपनी पम्परागत नागौद सीट से निर्वाचित होकर विधायक बन चुके हैं। लेकिन, क्या वे सिर्फ इसी कारण से उस क्षेत्र में अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी के चुनाव प्रचार दूर रहे, जहाँ का पाँच साल तक उन्होंने सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया है। या फिर इसके पीछे कोई और वजह है ?

क्या अच्छा नहीं रहा प्रदर्शन ?

पवई में सम्पन्न हुई केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की आमसभा का फाइल फोटो।
पूर्व नागौद राजपरिवार से आने वाले नागेन्द्र सिंह का खजुराहो क्षेत्र के सांसद के रूप में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है ऐसा अधिकांश लोग मानते हैं। हैरानी की बात है कि लगभग पाँच साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने संसद में एक भी सवाल नहीं पूँछा। सिर्फ 7 बार ही बहस में हिस्सा लिया है। संसद में उनकी उपस्थिति तो 81 प्रतिशत रही लेकिन वे अधिकाँश समय खामोश ही रहे हैं। अर्थात संसद में वे अति पिछड़े खजुराहो संसदीय क्षेत्र की आवाज को बुलंद नहीं कर सके। इतना ही क्षेत्र में उनकी उपस्थिति भी कम ही रही है। फलस्वरूप सांसद से जुड़े कार्यों के लिए क्षेत्र के लोगों को नागौद जाना पड़ता था। विपक्ष के लोग आरोप लगाते हैं कि खजुराहो क्षेत्र के विकास से जुड़े अहम मुद्दों पर भी सांसद नागेन्द्र सिंह कुछ ख़ास नहीं कर सके। जनाकांक्षाओं की कसौटी पर खरा न उतरने के कारण कथित तौर पर सांसद के रुप में उनकी भूमिका को लेकर क्षेत्र के लोगों में निराशा और नाराजगी व्याप्त है।
क्या इसी कारण भाजपा के रणनीतिकारों ने खजुराहो सीट से अपने प्रत्याशी बीडी शर्मा के चुनाव प्रचार से सांसद नागेन्द्र सिंह को दूर रखा ? भाजपा के अंदरखाने की चर्चाओं पर भरोसा करें तो नागेन्द्र सिंह के आने से भाजपा प्रत्याशी नफा कम और नुकसान अधिक होने की आशंका थी। क्योंकि, सांसद खराब प्रदर्शन के अलावा खजुराहो क्षेत्र के लिए वे भी लिए बाहरी रहे हैं। सम्भवतः भाजपा के रणनीतिकारों यह सोच रही है कि सांसद नागेन्द्र सिंह को खजुराहो क्षेत्र में पार्टी के प्रत्याशी चुनाव से दूर रखने से उनके सम्बंध कोई बात न नहीं होगी और इस तरह एंटी इंकम्बेंसी का प्रभाव भी मौजूद चुनाव पर नहीं पड़ेगा। हमने सांसद नागेन्द्र सिंह से ही खजुराहो संसदीय क्षेत्र के चुनाव-प्रचार से उनकी अनुपस्थिति को लेकर वजह जानने की कोशिश की लेकिन उनसे कोई सम्पर्क नहीं हो सका।

क्या दुष्प्रचार कर रहे विपक्षी दलों के प्रत्याशी ?

सांकेतिक फोटो।
पन्ना के भाजपा जिलाध्यक्ष सतानंद गौतम ने सांसद नागेन्द्र सिंह के प्रदर्शन को उनकी चुनाव प्रचार में अनुपस्थिति से जोड़ने को अनुचित बताते हुए कहा कि नागेन्द्र सिंह नागौद से विधायक होने के नाते सतना लोकसभा सीट पर पार्टी प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं के निर्देशानुसार वहाँ काम कर रहे हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष श्री गौतम की मानें तो सांसद नागेन्द्र सिंह ने पन्ना जिले के गुनौर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत भाजपा प्रत्याशी बीडी शर्मा के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था, यह अलग बात है कि वे मीडिया की नजर में नहीं आए। आमधारणा के उलट श्री गौतम का दावा है कि नागेन्द्र सिंह एक बेहद सफल सांसद रहे हैं, उनके प्रयासों से ही पन्ना जिले में रेल लाइन का काम शुरू हुआ है। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र में कई नेशनल हाइवे निर्माणाधीन हैं। उनके अनुसार नागेन्द्र सिंह संसद की एक बेहद महत्वपूर्ण समिति के सदस्य भी रहे हैं।
रैपुरा में हुई उमा भारती की आमसभा का फाइल फोटो।
इन दावों पर अगर भरोसा किया भी जाए तो यह बात समझ नहीं आती कि चुनाव प्रचार के दौरान खजुराहो क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी और उनकी पार्टी के नेताओं ने यहाँ सांसद नागेन्द्र सिंह के कामों का उल्लेख कर वोट क्यों नहीं माँगे ? विपक्षी दलों के प्रत्याशी भाजपा के सांसद की निष्क्रियता और असफलता को क्या बेबजह मुद्दा बनाकर मतदाताओं से उन्हें एक अवसर देने की अपील करते रहे। क्या विपक्षी दलों के प्रत्याशी मतदाताओं को गुमराह कर वोट माँग रहे हैं ? किसके दावे में कितनी सच्चाई है यह मतदाता बेहतर जानते हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि खजुराहो सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे 17 उम्मीदवारों में से मतदाता इस बार किसे अपना सांसद चुनने के लिए 6 मई को वोट देते हैं। हालाँकि, सोमवार को होने वाली वोटिंग के नतीजे जानने के लिए 23 मई तक इंतजार करना पड़ेगा।