* सीधी की अमानवीय घटना को लेकर मीडिया जगत में आक्रोश
* पन्ना मे जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ मध्य प्रदेश ने राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
* दोषी थाना प्रभारी समेत पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग
* पत्रकार के साथ पुलिस की बर्बरता ने बढ़ती तानाशाही प्रवृत्ति को किया उजागर
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के सीधी जिले में भाजपा विधायक के खिलाफ खबर प्रकाशित/ प्रसारित करने वाले पत्रकार कनिष्क तिवारी को पुलिस के द्वारा गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लेकर उत्पीड़न एवं अमानवीय बर्ताव करने की घटना सामने आने के बाद से देशभर के पत्रकारों में जबर्दस्त आक्रोश व्याप्त है। सत्ता का सरंक्षण प्राप्त पुलिस के द्वारा वर्दी का रौब दिखाते हुए आंतक के बल पर पत्रकारों को चुप कराने के कृत्य की चौतरफा कड़ी निंदा की जा रही है। इसी क्रम में शुक्रवार 8 अप्रैल को पन्ना में सीधी की घटना के विरोध स्वरूप तथा दोषी पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग को लेकर जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ़ मध्य प्रदेश (जम्प) जिला इकाई पन्ना के द्वारा महामहिम राज्यपाल के नाम पर कलेक्टर संजय कुमार मिश्र तहत को एक ज्ञापन सौंपा गया।
सत्ता के संरक्षण मे किया जा रहा उत्पीड़न
ज्ञापन के माध्यम से पत्रकारों ने मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश भर में मीडिया कर्मियों के बढ़ते दमन को लेकर गहरी चिंता और नाराजगी व्यक्त करते हुए इस स्थिति को असहनीय बताया है। तानाशाही की मानसिकता वाले सत्तासीनों के द्वारा पत्रकारों पर झूठे प्रकरण दर्ज कराके, जेल भेज कर, हिंसा या अन्य दूसरे हथकंडों की जरिये प्रताड़ित करके लोकतंत्र को लगातार कमजोर करने का अक्षम्य अपराध किया जा रहा है। ज्ञापन मे बताया गया है कि, सत्ता के सरंक्षण मे स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया के दमन बढ़ती घटनाओं से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल हो रही है।
निरंकुश तानाशाही चरित्र वाले सत्तसीनों के द्वारा पुलिस के आतंक के बल पर असहमति रखने वालों, शासन-प्रशासन एवं सत्तसीनों की नाकामियों, जनविरोधी नीतियों को उजागर करने वालों और सवाल पूंछने वालों को फर्जी मामलों में गिरफ्तार कर चुप कराया जा रहा है। मध्यप्रदेश और देश में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा, दमन और फर्जी आपराधिक प्रकरणों ने मीडिया की आजादी को बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। कई बार यह भी देखने में आया है कि “जो पत्रकार सरकार से सवाल करते हैं उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने का अभियान चलाया जाता है। इतना ही नहीं कई बार तो महिला पत्रकारों अथवा पत्रकारों के परिवारजनों को बलात्कार या हत्या जैसी धमकियां भी दी जाती हैं।“ पत्रकारों के तेजी से बढ़ते उत्पीड़न से समूचा पत्रकार जगत चिंतित और परेशान है।
स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए लगातार बढ़ रहा खतरा
लोकतंत्र के अघोषित चौथे स्तम्भ के क्रूरता पूर्वक दमन की प्रवृत्ति हाल के कुछ वर्षों में मध्यप्रदेश समेत देश के अनेक राज्यों में बेहद चिंताजनक तेज़ी से बढ़ रही है। फलस्वरूप अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित संगठन पोलीस प्रोजेक्ट के रिसर्च में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि, भारत में पत्रकारों को फर्जी मामलों में गिरफ्तारी से लेकर हत्या तक कई तरह की हिंसा झेलनी पड़ी है जिस कारण भारत में पत्रकारिता एक खतरनाक पेशा बन गया है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की एक रिपोर्ट में भी भारत को पत्रकारिता के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में शामिल किया गया था। जोकि मीडिया स्वतंत्रता की खराब स्थिति को जाहिर करता है। देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए स्वतंत्र व निष्पक्ष मीडिया का होना अनिवार्य है। सत्ता को जवाबदेह बनाने वाला स्वतंत्र व निष्पक्ष मीडिया तभी सम्भव है जब समस्त पत्रकारों को बगैर किसी भेदभाव के ईमानदारी से कानूनी संरक्षण प्रदान किया जाए। जिससे वे अपना कार्य पूरी निर्भीकता के साथ कर सकें।
पन्ना मे भी दर्ज किए गये फर्जी प्रकरण !
उल्लेखनीय है कि, मध्यप्रदेश के सीधी की तर्ज पर पन्ना जिले में भी बीते दो वर्षों में वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार एम.एस.खान, रामबिहारी गोस्वामी एवं रजनीश नामदेव के खिलाफ सत्ताधारी दल के नेताओं-जनप्रतिनिधियों के इशारे पर फर्जी प्रकरण पंजीबद्ध करके प्रताड़ित करने का कार्य किया गया है। अभी हाल ही में जिले की शाहनगर तहसील अंतर्गत पत्रकार चनजीत बंजारा को पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक शिशिर बाबू मण्डल के द्वारा झूठे केस में फ़ंसाने की धमकी दी गई। जिससे पीड़ित पत्रकार और उसका परिवार अत्यंत ही भयभीत है।
पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए
जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ मध्य प्रदेश (जम्प) का कहना है, सीधी जिले के पत्रकार कनिष्क तिवारी के साथ पुलिस हिरासत में क्रूरता, अमानवीयता कर मानवाधिकारों का माखौल उड़ाने, राजनैतिक आकाओं को खुश करने के लिए पद का दुरूपयोग कर पत्रकार को प्रताड़ित और अपमानित करने वाले थाना प्रभारी और पुलिस वालों के अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता के मद्देनजर उन्हें लाइन अटैच करने मात्र की कार्यवाही नाकाफी है। जम्प ने मांग की है कि, उक्त घटना के थाना में समय ड्यूटी पर तैनात रहे समस्त पुलिस कर्मियों तथा थाना प्रभारी के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए। सभी दोषियों को शासकीय सेवा से बर्खास्त करने की कार्यवाही की जाए। ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। पीड़ित पत्रकार को उसकी मानहानि का उचित मुआवजा दिलाया जाए।
पन्ना जिले के पत्रकारों के विरुद्ध पूर्व में दर्ज फर्जी मामलों की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराई जाए तथा फर्जी प्रकरण पंजीबद्ध करने वाले एवं पत्रकार को धमकाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाए। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मीडिया को कानूनी संरक्षण प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश मे पत्रकार सुरक्षा क़ानून को लागू किया जाए। पत्रकारों के खिलाफ प्राप्त वाली शिकायतों की वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की कमेटी से जांच कराने के बाद ही आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाए। साथ ही स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया को सत्ता के दमन चक्र से बचाने के लिए अन्य जरूरी कदम उठाए जाएं।