स्मृति शेष : कैप्टन जयपाल सिंह (पूर्व मंत्री) | सत्ता के केन्द्र में रहे लेकिन कभी विनम्रता, सादगी और ईमानदारी नहीं छोड़ी

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अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व गृह मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कैप्टन जयपाल सिंह।
(शादिक खान)
विभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कैप्टन जयपाल सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। काफी समय से अस्वस्थ चल रहे 82 वर्षीय जयपाल सिंह ने आज सुबह पन्ना स्थित अपने निज निवास पर अंतिम सांस ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे जयपाल सिंह के दुखद निधन के साथ ही जनसेवा और सिद्धातों पर अटल रहने वाली राजनीति के एक युग का अंत हो गया। कैप्टन साहब का निधन कांग्रेस पार्टी के साथ बुंदेलखंड अंचल और पन्ना के लिए निःसंदेह अपूर्णीय क्षति है जिसकी भरपाई हो पाना संभव नहीं है। अपने चार दशक के लंबे राजनीतिक और सार्वजानिक जीवन में वे योग्य, कुशल और अनुभवी कैप्टन की तरह अपनी दूरदृष्टि, अदम्य साहस, संयम से हर जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करने के लिए जाने जाते रहे है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री राजीव गाँधी जी के साथ पूर्व गृह मंत्री स्व. कैप्टन जयपाल सिंह।
मौजूदा युवा पीढ़ी को उनके संबंध में भले ही कुछ ख़ास जानकारी न हो पर जिनकी आयु 50 वर्ष या फिर इससे अधिक है वे भलीभांति जानते है! 80 के दशक में जब देश में विषम परिस्थितियों के बीचकी राजनीति में राजीव गांधी का पदार्पण हुआ तो वे अपने साथ अपने कई दोस्तों को भी ले आए थे। राजीव गांधी का दौर कांग्रेस में युवा नेतृत्व का दौर था। उस दौर में कई उच्च शिक्षित युवा, पायलट, बिजनेसमैन और फिल्म स्टार राजीव जी की प्रेरणा से राजनीति में आये थे। कैप्टन जयपाल सिंह भी उन्हीं में से एक थे। अपने पायलट के पेशे को छोड़ वह कांग्रेस से जुड़कर मध्यप्रदेश की सक्रिय राजनीति में कूद पड़े। चुंबकीय व्यक्तित्व और बहुमुखी प्रतिभा के धनी जयपाल सिंह ने महज कुछ साल में ही सूबे के राजनीतिक फलक पर ऐसी उड़ान भरी कि सब देखते ही रह गए।
वर्ष 1980 में जयपाल सिंह ने पन्ना जिले की पवई सीट से कांग्रेस के टिकिट पर अपना पहला चुनाव लड़ा और बड़े अंतर जीत दर्ज करके विधानसभा पहुंचे। चुनावी राजनीति में सफल इंट्री से चमके जयपाल यहां से लगातार नई ऊंचाइयों को छूते गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री कुंवर अर्जुन सिंह ने कैप्टन की प्रतिभा को सम्मान देते हुए उन्हें सर्वप्रथम संसदीय सचिव बनाया फिर अपने मंत्रिमण्डल के दूसरे विस्तार में उप मंत्री बाद में गृह राज्यमंत्री का दायित्व सौंपा। वर्ष 1985 में पवई सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने पर जयपाल सिंह को तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा ने अपने मंत्री मण्डल में गृह मत्रीं बनाया साथ ही आधा दर्जन अन्य महत्वपूर्ण विभाग भी सौंप रखे थे। तब तक सम्पूर्ण मध्य प्रदेश सहित कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पन्ना के नायाब हीरे कैप्टन की कार्यकुशलता और बहुमुखी प्रतिभा की चमक का कायल हो चुका था। यह वह दौर था जब अविभाजित मध्य प्रदेश में निर्विवाद रूप से कैप्टन जयपाल सिंह का ओहदा नंबर दो का था। मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा की सरकार में उनका गजब का दबदबा रहा। जिसकी आज के समय कल्पना करना भी मुश्किल है। राजीव गांधी के साथ कैप्टन की कैमिस्ट्री को देखते हुए कांग्रेस के अंदर और विपक्ष समेत प्रशासनिक हलकों में तब तक यह चर्चा होने लगी थी कि एमपी का अगला सीएम जयपाल सिंह होंगे। गृह मंत्री होते हुए भी हर कोई उन्हें भावी मुख्यमंत्री के तौर पर ही देखता था।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह से मुलाकत करते पूर्व मंत्री कैप्टन जयपाल सिंह (दाईं तरफ) बीच में उनके सुपुत्र जगतपाल सिंह बॉबी।
कांग्रेस के नेतागण पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ कैप्टन जयपाल सिंह की निकटता के किस्से सुनाते हुए बताते हैं कि, अपनी हत्या के कुछ वर्ष पूर्व राजीव जी भोपाल में विशाल रैली को संबोधित करने आए थे। तब वे एयरपोर्ट से सभा स्थल तक जिस कार से पहुंचे थे उसे कैप्टन ड्राइव कर रहे थे। इस दौरान राजीव जी पीछे की सीट पर नहीं बल्कि कैप्टन के बगल में बैठे और रास्ते में उनसे प्रदेश के संबंध में बात करते रहे। उन्हें वापस एयरपोर्ट छोड़ने के दौरान भी कैप्टन साहब ही कार चला थे। कैप्टन जयपाल सिंह की सबसे अनूठी बात यह थी कि उनके धुर विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। सूबे की सत्ता के केंद्र में रहने के बाद भी सत्ता का अहंकार कभी उन पर हावी नहीं हो हुआ। जीवन पर्यन्त वह विनम्र, शालीन, मृदुभाषी रहे। उनका राजनैतिक जीवन सादगी, ईमानदारी और सहजता की खुली किताब है।
छत्रसाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय पन्ना में छात्र संघ के एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष डीके दुबे का अभिवादन स्वीकार करते हुए पूर्व मंत्री कैप्टन जयपाल सिंह।
राजीव गांधी के असामयिक दुखद निधन के बाद कांग्रेस में मची उथल-पुथल से उभरी गुटीय राजनीति के चलते कैप्टन की उड़ान पर अचानक पावर ब्रेक लग गया। लेकिन अर्श से सीधे हांसिये पर जाने के बाद भी वह जरा भी विचलित नहीं हुए। बदली हुई परिस्थितियों-चुनौतियों का सहजता के साथ सामना करते हुए रिटायरमेंट की उम्र में भी वे पूरी ऊर्जा के साथ कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के साथ मिलकर काम करते रहे। आज की पीढ़ी के नेतागण-जनप्रतिनिधि कैप्टन साहब के जीवन संघर्ष से बहुत कुछ यह प्रेरणा ले सकते है मसलन, सत्ता के केंद्र में रहते हुए भी इसके दंभ से दूर रहकर जनसेवा के पथ पर पूरी प्रतिबद्धता के साथ किस तरह से आगे बढ़ा जाए। और जब सत्ता की चकाचौंध से दूर हों जाएं तो निराश या नाउम्मीद हुए बगैर स्वीकार्य भाव से जीवनपथ पर कर्मयोगी की तरह निरंतर आगे बढ़ते रहें।
(लेखक रडार न्यूज़ के संपादक है। सम्पर्क – 8770221005)