दिल्ली के एम्स में चल रहा था इलाज, राजनीति के युग का हुआ अंत
नई दिल्ली। रडार न्यूज देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का इलाज के दौरान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में निधन हो गया। उनकी हालत पिछले कुछ दिनों से नाजुक बनी थी और उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा था। 93 वर्षीय श्री वाजपेयी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। आज शाम पांच बजकर पांच मिनट पर उन्होंने अंतिम साँस ली। एम्स ने इस संबंध प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी है। इसके पूर्व एम्स प्रबंधन ने गुरुवार सुबह 11 बजे मेडिकल बुलेटिन जारी कर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत काफी नाजुक बताई थी। उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार पुनः अटल बिहारी वाजपेयी को देखने के लिए एम्स पहुंचे। बुधवार को भी वे एम्स गए थे।
श्री वाजपेयी की हालत नाजुक होने की खबर आने के बाद एक-एक कर कई बड़े नेता उन्हें देखने के लिए एम्स पहुंचे। वाजपेयी से मिलने पहुंचने वालों में भाजपा के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन प्रमुख हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी श्री वाजपेयी की हालत जानने एम्स पहुंचे। मालूम हो कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को इसी वर्ष जून में किडनी में संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से एम्स में भर्ती कराया गया था। भाजपा के संस्थापकों में शामिल अटल जी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। अटल जी के निधन से देश में शोक की लहर देखी जा रही। कई नेताओं ने उनके निधन को भारतीय राजनीति के एक युग का अंत बताया।
वर्ष 1996 में पहली बार बने थे प्रधानमंत्री
दस बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए अटल बिहारी वाजपेयी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। एक लोकप्रिय वक्ता होने के साथ-साथ वे अच्छे कवि और पत्रकार भी थे। वे दूसरी लोकसभा से चौदहवीं लोकसभा तक सांसद रहे। वर्ष 1996 में श्री वाजपेयी पहली बार सिर्फ 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने थे। लेकिन बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 1998 तक लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे। वर्ष 1998 के आमचुनावों में सहयोगी दलों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत साबित किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। लेकिन एआईएडीएमके द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण उनकी सरकार गिर गई और इस तरह वर्ष 1999 एक बार फिर आम चुनाव हुए। यह चुनाव एनडीए ने साझा घोषणापत्र पर लड़ा जिसमें बहुमत मिलने पर वाजपेयी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी।