* नयापुरा-मुड़िया पहाड़ का मामला बीजेपी के लिए गले की फांस बना
* बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के करीबी नेता पर है आदिवासियों की जमीनें हड़पने का आरोप
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में नयापुरा-मुड़िया के गरीब आदिवासियों की बेशकीमती जमीनों को स्थानीय भाजपा नेता द्वारा हड़पने का बहुचर्चित मामला प्रदेश की शिवराज सरकार और भाजपा संगठन के लिए बदनामी का सबब बन चुका है। कोंग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता एवं राज्य रभा सांसद दिग्विजय सिंह इस मुद्दे पर शिवराज सरकार को घेरने और प्रभावित आदिवासियों को इंसाफ दिलाने के लिए आज पन्ना में आयोजित आदिवासी सम्मलेन से संघर्ष का शंखनाद करेंगे। दिग्विजय सिंह के मुख्य आतिथ्य में शुक्रवार 9 अप्रैल को दोपहर 12 बजे से पन्ना जिला मुख्यालय से सटे नयापुरा-मुड़िया पहाड़ ग्राम में विशाल आदिवासी सम्मलेन आयोजित किया गया है। इस सम्मलेन को लेकर भारतीय जनता पार्टी के खेमे जबरदस्त खलबली मची है।
दरअसल, नेशनल हाइवे क्रमांक-39 के दोनों तरफ स्थित नयापुरा-मुड़िया पहाड़ की लगभग 15 एकड़ से अधिक आदिवासियों की बेशकीमती जमीनों को हड़पने का आरोप स्थानीय दबंग भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी पर है। आपराधिक रिकार्ड वाले दबंग नेता अंकुर त्रिवेदी को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा का करीबी माना जाता है। आदिवासियों की जमीनों को छल-कपट पूर्वक हड़पने के मामले में सांसद विष्णु दत्त शर्मा पर अंकुर को कथित तौर पर संरक्षण देने के आरोप पीड़ित झुग्गीवासी लगाते रहे हैं। हालांकि, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त ने इस मामले में हमेशा ही स्वयं पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें असत्य और बेबुनियाद बताया है। लेकिन पन्ना के नागरिक और भाजपा संगठन से जुड़े लोग सांसद विष्णु दत्त शर्मा एवं अंकुर त्रिवेदी की नजदीकी का सच भलीभांति जानते हैं। हाल ही में पन्ना के सर्किट हाउस में आयोजित हुई सांसद विष्णु दत्त शर्मा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंकुर उपस्थित रहा है।
आदिवासियों की भूमि को हड़पने के हैरान करने वाले मामले में लगभग 2 माह पूर्व तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व तहसील पन्ना शेर सिंह मीना (आईएएस) ने भू-माफिया अंकुर त्रिवेदी के खिलाफ महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए संबंधित भूमियों को उनके मूल भूमि स्वामियों (आदिवासियों) के नाम पर पुनः दर्ज करने का आदेश दिया था। सत्ता और संगठन में पैठ रखने वाले भाजपा नेता के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाने के तुरंत बाद शिवराज सरकार ने ईमानदार युवा आईएएस अधिकारी शेर सिंह मीना को पन्ना से हटाते हुए उनका तबादला शहडोल जिले के लिए कर दिया था। युवा आईएएस पर ट्रांसफर की ग़ाज उस समय गिराई गई थी जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंच से माफियाओं को ललकार रहे थे। माफियाओं को 10 फिट नीचे जमीन में गाड़ने की बेहद सख्त चेतावनी दे रहे थे।
इस बीच पन्ना से आईएएस मीना का तबादला होने की टाइमिंग व समूचे घटनाक्रम को राज्य सरकार की माफियाओं के खिलाफ जारी मुहिम को दोहरी नीति के तौर देखा गया। एसडीएम कोर्ट से आए फैसले पर तत्काल प्रभाव से पूरी तरह अमल न कर जिम्मेदारों के द्वारा जानबूझकर शिथिलता बरती गई। फलस्वरूप उक्त फैसले के खिलाफ भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी ने अपर कलेक्टर के न्यायालय में अपील कर स्थगन प्राप्त करने में कामयाब हो गया। माफिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सत्ता के दोहरे चरित्र को उजागर करने वाले इस प्रकरण में कोंग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह शुरू से ही पीड़ित आदिवासियों एवं झुग्गी बस्ती के प्रभावित लोगों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ खड़े रहे हैं। उन्होंने समय-समय पर इस प्रकरण को मुखरता के साथ उठाया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को इस संबंध में उनके द्वारा कई पत्र भी लिखे गए।
बहरहाल दिग्विजय सिंह के द्वारा आदिवासी सम्मलेन के जरिए शिवराज सरकार को घेरने की रणनीति के तहत नयापुरा-मुड़िया पहाड़ की लड़ाई अदालत से इतर अब सड़क पर लम्बी चलने के आसार है। आने वाले समय में यह मुद्दा जितना तूल पकड़ेगा उससे शिवराज सरकार के साथ-साथ मध्यप्रदेश के भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की मुश्किलें उतनी ही बढ़ेंगी। सर्विदित है कि मध्यप्रदेश के महाकौशल एवं मालवा अंचल में आदिवासियों की बड़ी आबादी है। कभी कोंग्रेस के समर्थक रहे आदिवासियों को पिछले 15 वर्षों में भाजपा ने अपने पाले में लाने के लिए बड़े जतन किए हैं, इसमें वह काफी हद तक सफल भी रही है। लेकिन भाजपा नेता के द्वारा अपनी राजनैतिक पहुँच के दम पर आदिवासियों की भूमि हड़पने का मुद्दा उठाए जाने से भाजपा को जहां राजनैतिक नुकसान होगा वहीं मुख्य विपक्षी दल कोंग्रेस को इसका दूरगामी लाभ मिल सकता है।