* झाँसी के ज्वेलर्स राहुल अग्रवाल ने सर्वोच्च बोली लगाकर हीरा खरीदा
* 57 साल बाद मजदूर मोतीलाल को मिला था दूसरा सबसे बड़ा हीरा
* पन्ना में एक और मजदूर को मिला उज्जवल क़िस्म का हीरा
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज हीरों के खनन लिए विश्व विख्यात मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में करीब ढ़ाई माह पूर्व मजदूर मोतीलाल प्रजापति को मिला उज्जवल किस्म का बेशकीमती नायाब हीरा 2 करोड़ 55 लाख रुपये में बिका है। 42 कैरेट 59 सेंट वजन के इस हीरे को पन्ना में चल रही हीरों की नीलामी में झाँसी, उत्तर प्रदेश के ज्वेलर्स राहुल अग्रवाल ने सर्वोच्च बोली लगाकर खरीदा है। इस हीरे के लिए 6 लाख रुपये प्रति कैरेट की दर से बोली लगाई गई। उधर, नीलामी में उम्मीद से अधिक राशि मिलने से मजदूर मोतीलाल और उसके भाई रघुवीर प्रजापति करोड़पति बन गए हैं। हीरे की चमक से दुर्दिन रुपी अँधेरा मिटने और सम्मानपूर्वक खुशहाल जिंदगी की तमन्ना पूरी होने की ख़ुशी दोनों भाईयों के चेहरों पर साफ़ झलक रही है। इनकी जिंदगी ने जिस तेजी से करवट ली है, उससे एक बार फिर यह यह साबित हुआ है कि “रत्नगर्भा वसुंधरा पन्ना में लोगों की किस्मत चमकते देर नहीं लगती, यहां किस्मत जब किसी पर मेहरबान होती है तो वह एक झटके में ही रंक से राजा बन जाता है।”
महीने भर की मेहनत में हुए मालामाल

मालूम होकि जिला मुख्यालय पन्ना के समीप ग्राम कृष्णा कल्याणपुर में पट्टा लेकर हीरे की उथली खदान लगाने वाले मजदूर मोतीलाल प्रजापति और उसके भाई को महज महीने भर की मेहनत में ही 9 अक्टूबर 2018 को 42 कैरेट 59 सेंट का उज्जवल किस्म का बेशकीमती नायाब हीरा मिला था। पन्ना जिले की उथली हीरा खदानों में पिछले 57 साल में मिले नायब हीरों की सूची में यह दूसरा सबसे बड़ा और जैम क्वॉलिटी का हीरा है। जिला मुख्यालय पन्ना में स्थित देश के एकमात्र हीरा कार्यालय के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार पूर्व में 15 अक्टूबर 1961 में पन्ना के ही रसूल मोहम्मद को महुआटोला की उथली खदान में 44 कैरेट 55 सेंट का सबसे बड़ा हीरा मिला था।
सम्मानपूर्वक करेंगे जीवन यापन

बहुमूल्य हीरे को अच्छा भाव मिलने की खबर फैलने के बाद से मोतीलाल प्रजापति और उसके भाईयों के घर पर उत्सव जैसा माहौल है। रंक से राजा बने प्रजापति परिवार के सदस्यों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है। पन्ना के बेनीसागर मोहल्ला स्थित इनके घर पर दोपहर से ही परचितों और रिश्तेदारों का आना-जाना लगा है। श्रमिक मोतीलाल ने “रडार न्यूज” को बताया कि ईश्वर की असीम अनुकंपा उसे बहुमूल्य हीरे के रूप में छप्पर फाड़कर मिल गया है। वह खुद को भाग्यशाली मानता कि उसे महज महीने भर की मेहनत में ही बेशकीमती बड़ा हीरा मिल गया जबकि अधिकांश लोग पूरी जिंदगी खदान खोदते रहते हैं और उन्हें एक अदद हीरा नहीं मिलता। मोतीलाल ने कहा कि हीरे की बिक्री से जो राशि प्राप्त होगी उसे वह और उसके भाई आपस में बांट लेंगे। अपने बच्चों का विवाह करने के बाद शेष राशि से वह कोई व्यवसाय करेंगे ताकि मजदूरी छोड़कर सम्मानपूर्वक जीवनयापन संभव हो सके।
एक और मजदूर की चमकी किस्मत
