शिक्षक भर्ती-2018 के चयनित अभ्यर्थियों की मांग- “महामहिम, अब नियुक्ति दे दो या इच्छा मृत्यु की अनुमति”

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शीघ्र नियुक्ति प्रदान करने की मांग को लेकर अजयगढ़ में ऱाज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपते हुए शिक्षक भर्ती में चयनित युवा।

* चुनावी वर्ष में निकाली गई शिक्षक भर्ती 2 साल बाद भी नहीं हो पाई पूर्ण

* नियुक्ति न होने से मध्य प्रदेश के 30594 बेरोजगार युवा हैं प्रभावित

* शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री की चुप्पी से हताश और निराश है चयनित शिक्षक

* शिक्षक दिवस को मनाएंगे काला दिवस और भूख हड़ताल से शुरू करेंगे आमरण अनशन

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में राजनैतिक लाभ के लिए चुनावी वर्ष 2018 में निकाली गई शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया 2 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। भर्ती में चयनित शिक्षक नियुक्ति के इंतजार में कई माह से बैठे हैं। लेकिन इनका इंतजार ख़त्म होने के बजाए लगातार लम्बा होता जा रहा है। इस अनिश्चितता से उपजी बैचेनी के कारण प्रभावित बरोजगार युवा काफी हताश और निराश हो चुके हैं। इन्हें सबसे ज्यादा जो बात चुभ रही है वह प्रदेश के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री की ख़ामोशी है, जोकि प्रदेश के 30594 चयनित शिक्षकों के सवाल पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस उपेक्षा और छलावे से आहत चयनित शिक्षकों ने प्रदेश के ऱाज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर उनसे शीघ्र नियुक्ति दिलाने या फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करने की पुरजोर मांग की है।
पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड के चयनित शिक्षकों ने सोमवार 1 सितम्बर को अजयगढ़ एसडीएम के माध्यम से ऱाज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें बताया गया है कि प्रदेश में वर्ष 2011 के 8 वर्ष बाद 2018 में सितम्बर माह से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन 2 साल बाद भी यह भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों का दिनांक 1 जुलाई 2020 से दिनांक 3 जुलाई 2020 तक वेरिफिकेशन कराया गया। मगर, बाद में कोरोना वायरस संक्रमण का बहाना बनाकर इस प्रक्रिया को रोक दिया गया। इससे प्रदेश के 19200 उच्च माध्यमिक तथा 11374 माध्यमिक के चयनित शिक्षक सीधे तौर पर प्रभावित हैं। काफी समय से इनके द्वारा सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म के माध्यम से और ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्या की ओर शासन का ध्यान आकृष्ट कराया जा रहा है। पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखते हुए ज्वाइनिंग के लिए आवाज़ बुलंद की जा रही है लेकिन स्वयं को युवाओं का हितैषी बताने वाली प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री इस ज्वलंत मुद्दे मौन साधे हुए हैं। हजारों युवाओं के भविष्य से जुड़े सवाल पर प्रदेश सरकार की चुप्पी न सिर्फ हैरान करने वाली है बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है।

शिक्षक दिवस से करेंगे आमरण अनशन

पिछले दो वर्ष से नियुक्ति को लेकर परेशान शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन की कॉपी।
चयनित शिक्षकों ने ऱाज्यपाल के नाम सौंपे गए ज्ञापन में यह उल्लेख किया है कि वे आगामी 5 सितम्बर शिक्षक दिवस को काला दिवस के रूप में मनाते हुए अजयगढ़ में अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल के साथ आमरण अनशन पर बैठेंगे। उनके द्वारा यह कदम मौजूदा परिस्थितियों में बेरोजगारी से तंग आकर और प्रदेश सरकार की बेरुखी के चलते उठाने की बात कही जा रही है। प्रभावित युवाओं का कहना है कि अब कोरोना का बहाना और नहीं चलेगा क्योंकि कोरोना काल में जब प्रदेश में सरकार बन सकती है, मंत्रिमण्डल का विस्तार हो सकता और वे सभी कार्य हो रहे हैं जो सकरार चाहती है तो फिर शिक्षकों की नियुक्ति क्यों नहीं हो सकती ? न्याय पाने के लिए संघर्षरत चयनित शिक्षकों ने ऐलान किया है कि, वे आमरण अनशन पर तब तक डटे रहेंगे जब तक कि शिक्षक भर्ती हेतु सम्पूर्ण शेड्यूल के साथ आदेश या मृत्यु प्राप्त न हो जाए। ज्ञापन में ऱाज्यपाल से मांग की गई है कि हमें शीघ्र नियुक्ति प्रदान करें या फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दें।
ज्ञापन सौंपने वालों में कमल प्रजापति, किशोरी लाल, हरीचरण यादव, अरविन्द प्रजापति, धर्मेन्द्र कुमार सुनकर, सुशील कुमार, आरती अहिरवार, प्रशंसा विश्वकर्मा, राजाजी बुंदेला, निशा प्रजापति, कविता प्रजापति, दीपक मिश्रा, रिंकू अहिरवार एवं राजकरण प्रजापति शामिल रहे।