* ठेकेदार के द्वारा लिखित शिकायत करने के 2 माह बाद भी नहीं की गई कार्रवाई
* जल संसाधन विभाग के राज्यमंत्री रामकिशोर कांवरे के प्रभार वाले पन्ना जिले का मामला
* ठेकेदार का आरोप एसडीओ ने मांगे थे 3 लाख, 2 लाख रुपए एडवांस दिए तो बिल में कर दी कटौती
* पन्ना जिले के जल संसाधन संभाग पवई में व्याप्त भ्रष्टाचार को जानबूझकर नजर अंदाज कर रहे जिम्मेदार
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में जल संसाधन विभाग बीते डेढ़ दशक से भ्रष्टाचार का पर्याय बना हुआ है। पहले जल संभाग पन्ना घपले-घोटालों और घूसखोरी के लिए बदनाम था लेकिन पिछले 6-7 वर्षों में जल संसाधन संभाग पवई ने आर्थिक अनियमितताओं के मामले में पन्ना को पीछे छोड़कर यह ख़िताब अपने नाम कर लिया है। यहां के तकनीकी अफसर भ्रष्टाचार के नित नए कीर्तिमान स्थापित करके मनचाहे मलाईदार प्रभार और प्रमोशन प्राप्त कर रहे हैं। जल संसाधन संभाग पवई में भ्रष्टाचार की गंगा कितने वेग के साथ प्रवाहित हो रही इसका अंदाजा एक ठेकेदार की शिकायत से लगाया जा सकता है।
ठेकदार ने जल संसाधन उप संभाग पवई के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ/सहायक यंत्री) पर सिंचाई तालाब-नहर निर्माण कार्य का अंतिम बिल भुगतान करवाने के एवज में 2 लाख रुपए की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगाया है। घूसखोरी से परेशान ठेकेदार ने अधीक्षण यंत्री छतरपुर के कार्यालय में लिखित शिकायत की है। दो माह गुजरने के बाद भी इस शिकायत पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामला जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता मदन सिंह डाबर के संज्ञान में होने के बाद भी जांच के नाम पर शिकायत ठण्डे बस्ते में पड़ी है। दुर्भाग्य से यह विडंबना पूर्ण स्थिति तब है जब सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू होने के दावे करते हैं। लेकिन उनके ये दावे जमीनी हक़ीक़त से ज़रा भी मेल नहीं खाते है।
पन्ना जिल के जल संसाधन संभाग पवई के अंतर्गत तहसील रैपुरा के ग्राम इमलिया में 8,82,73,000 की लागत से पटपरा सिंचाई तालाब (बांध) एवं नहर का निर्माण कार्य हाल ही में पूर्ण हुआ है। निर्माण कार्य कराने वाले ठेकेदार सुखपाल सिंह बुन्देला निवासी सिमरिया जिला पन्ना ने जल संसाधन उप संभाग पवई के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ/सहायक यंत्री) एके दोहरे पर पर घूस के रूप में मोटी रकम लेने के बावजूद आर्थिक क्षति पहुंचाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग मण्डल छतरपुर के कार्यालय में ठेकेदार ने दिनांक 16 दिसंबर 2022 घूसखोरी के मामले की लिखित शिकायत कर एसडीओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में ठेकेदार ने बताया है कि, पटपरा बांध-नहर निर्माण कार्य का अनुबंध क्रमांक- 04/2013-14 दिनांक 26 सितम्बर 2013 को निष्पादित किया गया था। जल संसाधन विभाग के तकनीकी अधिकारियों की देखरेख में समय सीमा के अंदर कार्य पूर्ण कराया गया। जिसका अंतिम बिल भुगतान करने के एवज में जल संसाधन उप संभाग पवई के अनुविभागीय अधिकारी एके दोहरे द्वारा ठेकेदार से 3 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी।
अंतिम बिल के रूप में निर्माण कार्य की बची हुई राशि और सुरक्षा निधि के रूप में जमा राशि का भुगतान होना था। रिश्वत की मांग से परेशान ठेकेदार सुखपाल सिंह बुन्देला के अनुसार, तत्कालीन एसडीओ एके दोहरे को उनके द्वारा रिश्वत के रूप में 2 लाख रुपये नकद देकर शेष 1 लाख रुपए भुगतान होने के बाद देने का निवेदन किया गया था। कथित तौर पर रिश्वत की पूरी राशि (3 लाख रुपए) एडवांस में न देने के कारण नाराज़ एसडीओ ने एमबी में दर्ज किए गए माप का ठेकेदार को बिना अवलोकन कराए एवं बिना माप स्वीकार करवाकर अंतिम बिल का त्रुटिपूर्ण भुगतान करा दिया।
घूस की पूरी राशि एडवांस न देने पर पहुंचाई आर्थिक क्षति

ठेकेदार सुखपाल सिंह का आरोप है कि, एसडीओ की डिमांड अनुसार कमीशन रुपी रिश्वत की पूरी राशि (3 लाख रुपए) एडवांस में न देने के कारण उसे जानबूझकर आर्थिक क्षति पहुंचाते हुए पूर्ण भुगतान नहीं किया गया। बिल में करीब 5 लाख रुपए की मनमानी कटौती कर दी है। ठेकेदार ने इस संबंध में तत्कालीन एसडीओ एके दोहरे से बात की और जल संसाधन संभाग पवई की कार्यपालन यंत्री उमा गुप्ता को भी पूरे मामले से अवगत कराया। लेकिन किसी ने उसकी पीड़ा को नहीं समझा। कमीशन रुपी रिश्वत को अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझने वाले पवई के तकनीकी अधिकारी एक-दूसरे को बचाने और रिश्वत के खेल को उजागर होने के रोकने के लिए ठेकेदार पर दबाव बनाकर कई महीने तक उसे चुप कराए रहे। इस बीच सहायक यंत्री एके दोहरे का पवई से अशोकनगर के लिए तबादला हो गया। अशोकनगर में प्रभारी कार्यपालन यंत्री के रूप में अपनी सेवायें दे रहे कथित तौर पर भ्रष्ट तकनीकी अधिकारी दोहरे को सबक सिखाने के लिए बिल भुगतान के एवज में उसके द्वारा 2 लाख की रिश्वत लेने की लिखित शिकायत अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग मण्डल छतरपुर से की है। शिकायती आवेदन पत्र में ठेकेदार ने घूसखोर अफसर के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने तथा स्वयं का पूर्ण भुगतान करवाने की मांग की है।
एसडीओ लेते है 3 प्रतिशत कमीशन
ठेकेदार सुखपाल सिंह ने रडार न्यूज़ से चर्चा में कहा कि, रिश्वत लेना और रिश्वत देना बेशक अपराध है। इस बात को वह भलीभांति जानते हैं। लेकिन पन्ना जिले के निर्माण विभागों में संबंधित तकनीकी अधिकारियों, लिपकीय स्टॉफ का रिश्वत रुपी तयशुदा कमीशन दिए बगैर ठेकेदार का बिल भुगतान होना असंभव है। पूरी व्यवस्था ही जब भ्रष्टाचार में लिप्त है तो मैं अकेला क्या कर सकता हूँ। अपनी पीड़ा बताते हुए वे कहते हैं एसडीओ की शिकायत किए दो माह गुजर गए लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधीक्षण यंत्री ने उक्त शिकायत के संबंध में मुझसे बात करना तक उचित नहीं समझा। सुखपाल के अनुसार जल संसाधन संभाग पवई में वर्तमान में निर्माण कार्यों के बिल भुगतान हेतु लगभग 15 प्रतिशत राशि फिक्स कमीशन रुपी रिश्वत के रूप में देनी पड़ती है। जिसमें एसडीओ के हिस्से में 3 प्रतिशत राशि आती है। बताते चलें कि माह नवंबर 2022 के प्रथम सप्ताह में लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने लोक निर्माण विभाग संभाग पन्ना के उपयंत्री मनोज रिछारिया को ठेकेदार से 7 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए ऑफिस में रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। रिश्वत की यह राशि सड़क निर्माण कार्य का मूल्यांकन करने और बिल भुगतान करवाने हेतु एडवांस में मांगी थी। लोकायुक्त पुलिस की इस ट्रैप कार्रवाई के मद्देनजर जल संसाधन विभाग के ठेकेदार सुखपाल सिंह के आरोप काफी गंभीर माने जा रहे हैं।
मैडम ने सवालों पर साधी चुप्पी
बिल भुगतान के एवज में एसडीओ एके दोहरे द्वारा ठेकेदार से 2 लाख रुपए की रिश्वत एडवांस में लेने का मामला जल संसाधन संभाग पवई की प्रभारी कार्यपालन यंत्री उमा गुप्ता के कार्यकाल का बताया जा रहा है। रिश्वत के शेष एक लाख रुपए एडवांस में न देने के कारण एसडीओ के द्वारा जानबूझकर आर्थिक क्षति पहुंचाने ठेकदार के बिल में कटौती कर भुगतान करवाने से उपजे विवाद की कथित तौर पर मैडम को पूरी जानकारी है। बावजूद इसके घूसखोरी की शिकायत से जुड़े सवालों पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री ने गहरी चुप्पी साध रखी है। अपनी हनक और तनुक मिजाजी के लिए चर्चित प्रभारी कार्यपालन यंत्री से घूसखोरी के इस मामले में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए रडार न्यूज़ ने मोबाइल पर कई बार कॉल किया लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। व्हाट्सएप पर कुछ सवाल भी भेजे गए लेकिन उनका भी कोई जवाब नहीं आया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सुशासन का यह एक उदाहरण मात्र है। पन्ना जिले में सत्ता के संरक्षण में निरंकुश हो चुके अफसर खुद को जवाबदेही से मुक्त मानते हैं। जल संसाधन विभाग के राज्यमंत्री रामकिशोर कांवरे के प्रभार वाले और खनिज एवं श्रम विभाग के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के गृह जिले पन्ना के अफसरों का यह रवैया शासन-प्रशासन की मंशा और लोकतंत्र की भावना के पूर्णतः विपरीत है। पन्ना के हालात से प्रदेश के अन्य जिलों में बेलगाम हो चुकी अफसरशाही का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। जानकारों का मानना है, जनता के सेवक की बजाए खुद को शासक समझने वाले अफसरों का अहंकार और बेइंतहा भ्रष्टाचार आगामी विधानसभा चुनावों में प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ प्रभावी मुद्दा बनकर उभरेगा।
इनका कहना है –
“ठेकेदार के द्वारा की गई शिकायत पूर्णतः असत्य और निराधार है। शिकायत करने के पूर्व ही पवई से मेरा स्थानांतरण हो चुका है।”
– एके दोहरे, सहायक यंत्री, जल संसाधन मप्र।
“ठेकेदार के शिकायती आवेदन पत्र की जांच चल रही है। दिनांक 15 फरवरी को ठेकेदार के बयान दर्ज करने पेशी लगाई थी, ठेकेदार सुखपाल सिंह पेशी में उपस्थित हुए थे लेकिन में शासकीय कार्य के सिलसिले में बाहर था इस कारण उनके बयान दर्ज नहीं हो सके। हालांकि मुझे यह शिकायत फर्जी प्रतीत होती है।”
– धीरेन्द्र कुमार खरे, अधीक्षण यंत्री, जल संसाधन मण्डल छतरपुर।
“आपके द्वारा प्रेषित शिकायती आवेदन पत्र को मैनें देखा था, काफी गंभीर प्रकृति के आरोप है, संबंधित अधिकारियों से बात करता हूँ। आवेदन पत्र पर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
– मदन सिंह डाबर, प्रमुख अभियंता ,जल संसाधन विभाग भोपाल।
इस खबर को पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक को क्लिक करें-
MP : लोकायुक्त पुलिस ने 7 लाख रुपये की रिश्वत लेते PWD के सब इंजीनियर को पकड़ा