झूठे चुनावी वादों तक सिमटा मड़ैय्यन के पहुँच मार्ग का निर्माण, सड़क के आभाव ने रोकी गाँव के विकास की रफ़्तार

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* बारिश के मौसम में आवागमन में होती है सर्वाधिक असुविधा

* उबड़-खाबड़ रास्ते के कारण गांव के सब्जी उत्पादक किसान हो रहे परेशान

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in)  विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आज भी ऐसे कई गांव मौजूद हैं जहाँ बुनियादी सुविधाओं का आभाव है। जिला मुख्यालय पन्ना से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत इटवांकला का मड़ैय्यन गाँव ऐसे ही ग्रामों की फेहरिस्त में शामिल है। जहाँ, बुनियादी सुविधाओं में से एक बारहमासी सुगम आवागमन वाले पहुँच मार्ग के निर्माण की आज तक किसी ने सुध नहीं ली। देश की आजादी के सात दशक बाद भी इस गांव के लोगों को एक अदद पहुँच मार्ग नसीब नहीं हो सका। जिसका खामियाजा यहां के सब्जी, दूध उत्पादक प्रगतिशील किसानों-पशु पालकों और दूसरे लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अत्यंत ही जर्जर उड़ब-खाबड़ कच्ची सड़क होने के कारण इस गांव के लोग अपनी सब्जी और दूध को बिक्री के लिए आसपास की मण्डी में नहीं पहुंचा पाते। इससे साफ़ जाहिर है कि प्रभावित किसानों-पशु पालकों को उनके उत्पादन तथा श्रम का वाजिब मूल्य नहीं मिलने से उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना-अमानगंज मार्ग में रमपुरा नाका के आगे गुंदलहा नाला के बाजू से मड़ैय्यन गाँव के लिए कच्ची सड़क जाती है। करीब 5 किलोमीटर का यह रास्ता जंगल के बीचों-बीच से निकला है। इस उबड़-खाबड़ मार्ग से होकर आवागमन करने में जहां परेशानी होती वहीं समय भी अधिक लगता है। बारिश के मौसम में जंगल की तरफ से आने वाला पानी कई स्थानों पर मार्ग को ही जलमग्न कर बाधित कर देता है। बारिश के तीन-चार माह कीचड़ भरी दलदली सड़क से होकर गुजरना किसी सजा की तरह लगता है। इस दौरान गांव में किसी के बीमार पड़ने अथवा गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
बारिश के मौसम में ग्रामीण कष्ट दायक यात्रा से बचने के लिए आमतौर पर बेहद जरुरी काम होने की सूरत में ही गांव से बाहर जाते हैं। इस बात से समस्या की जटिलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। करीब 3000 से अधिक की आबादी वाले इस गांव में कक्षा 8वीं तक सरकारी स्कूल है। बारिश के मौसम में हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं को खेतों की मेड़ों के सहारे 4 किलोमीटर दूर पंचायत मुख्यालय इटवांकला और 12वीं के लिए 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत बराछ जाना पड़ता है। पहुँच मार्ग की बदहाली विद्यार्थियों के शिक्षा के मार्ग में बाधा बनीं हुई है।
मड़ैय्यन के ग्रामीण बताते हैं जब भी विधानसभा या लोकसभा के चुनाव आते हैं तो उनके गांव में आने वाले विभिन्न दलों के नेता सड़क निर्माण के बड़े-बड़े वादे करते हैं। मगर, चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सब भूल जाते हैं। नेताओं के झूठे वादों पर भरोसा कर स्वयं को कई दशकों से ठगा हुआ महसूस रहे इस गांव के लोगों की नजर में सभी पार्टियां और उनके नेता एक जैसे हैं। जिन्हें सिर्फ चुनाव के समय जनता की याद आती है। सड़क निर्माण की आस छोड़ चुके मड़ैय्यन के वाशिंदे कहते हैं जर्जर सड़क पर चलना शायद हमारी नियति में है।