रेत ठेकेदार के सामने नतमस्तक हुआ प्रशासन ! चार गांवों में निजी और शासकीय भूमि पर धड़ल्ले से संचालित हैं अवैध रेत खदानें

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सीमावर्ती दूरस्थ गांव रामनई में संचालित रेत की अवैध खदान में रेत के टीलों को खोखला करती हुई जेसीबी मशीन।

* दो दर्जन से अधिक दैत्याकार मशीनों से रात-दिन जारी है रेत का खनन

* मानसून सीजन में रेत खनन पर प्रतिबंध बेअसर और मशीनों की धरपकड़ नहीं

* खेतों और शासकीय भूमि पर एक भी खदान स्वीकृत नहीं फिर भी निकाल रहे रेत

* पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड के सीमावर्ती गांवों में एक माह से जारी है रेत की लूट

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल अंतर्गत आने वाला अति पिछड़ा पन्ना जिला लम्बे समय से बहुमूल्य खनिज सम्पदा की लूट और भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। यहां सक्रिय माफिया, जनप्रतिनिधि-नेताओं और प्रशासनिक अफसरों का अघोषित गठबंधन एक सूत्रीय एजेण्डे के तहत पन्ना को खनन से खोखला कर नोट छापने में जुटा हैं। इनकी सांठगांठ के चलते बड़े पैमाने पर बेरोकटोक जारी खनिज सम्पदा का अनियंत्रित दोहन इस जिले के पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधनों, मानव जीवन और शांति के लिए खतरा साबित हो रहा। खनन के इस खेल में तमाम नियम कानून बेमानी बन चुके हैं और इसके विरोध में उठने वालीं आवाजें नक्कारख़ाने की तूती बनकर रह गईं हैं। इसका ताज़ा और सबसे बड़ा उदाहरण पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड अंतर्गत अंतर्राज्जीय सीमा से सटे चार गांवों जिगनी, चंदौरा, रामनई, बीरा में निजी एवं शासकीय भूमि पर पिछले एक माह से जारी रेत का अवैध उत्खनन है।
केन नदी किनारे स्थित जिगनी गांव में निजी भूमि पर संचालित रेत खदान में ताबड़तोड़ अंदाज में खनन करती हुई पोकलैण्ड मशीनें।
इन चार गांवों में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के द्वारा तमाम नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए पूर्णतः अवैध तरीके से निजी एवं शासकीय भूमि पर रेत की खदानें खुलेआम संचालित की जा रहीं हैं। केन नदी किनारे स्थित इन गांवों में दो दर्जन से अधिक दैत्याकार मशीनें रात-दिन ताबड़तोड़ तरीके खनन कर अब तक हजारों घनमीटर रेत निकाल चुकीं है। स्थानीय लोगों की मानें तो रोजाना 100-120 ट्रक रेत उत्तर प्रदेश से आने वाले वाहनों को बेंची जा रही है। इन सीमावर्ती गांवों में निजी या शासकीय भूमि पर एक भी खदान स्वीकृत न होने के बावजूद पन्ना का प्रशासन बहुमूल्य खनिज सम्पदा की लूट की महीने भर से अनदेखी कर ठेकेदार रसमीत के लिए रेती की खेती को लाभ का धंधा बनाने और इसमें अपने हित साधने का काम बखूबी कर रहा है।
जिगनी गांव में बड़े पैमाने पर जारी अवैध उत्खनन को बयां करती यह तस्वीर। केन नदी किनारे स्थित खेतों को यहां रेत के लिए इस तरह खदान में तब्दील किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले की 27 रेत खदानों के समूह का ठेका लेने वाले होशंगाबाद जिले के ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा ने अजयगढ़ विकासखण्ड की गिनती की पांच खदानों के लिए एक माह पूर्व अनुबंध निष्पादित किया था। रेत की खदानों के लिए उच्चतम बोली न लगाने के बावजूद रसमीत पिछली कमलनाथ सरकार सरकार की कृपा से ठेका हांसिल करने में सफल रहा। और शिवराज सरकार के पुनः सत्तासीन होते ही रसमीत मल्होत्रा को खनन की अनुमति के रूप में लूट की अघोषित छूट मिली हुई है। रेत खदानों के अनुबंध निष्पादन की आड़ में अवसर का अनुचित लाभ उठाते हुए जमकर मनमानी की जा रही है।
नवीन संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन के समीप अजयगढ़-छतरपुर बाइपास मार्ग किनारे स्थित खनिज विभाग पन्ना का नवीन कार्यालय।
बताते चलें कि ठेकेदार ने जिन खदानों में खनन का अनुबंध निष्पादन किया है उनमें जिगनी और रामनई खदान में पिछले कई माह से रेत ही नहीं है। पन्ना जिले के प्रशासनिक और खनिज अधिकारियों को इसकी जानकारी है। लेकिन इसके बाद भी इन खदानों के लिए अनुबंध हो गया। हद तो तब हो गई जब ठेकेदार ने रेत के लिए इन गांवों में केन नदी किनारे स्थित निजी और शासकीय भूमि (गोचर भूमि) पर अवैध तरीके से आधा दर्जन से अधिक खदानें खोद डालीं। केन नदी के कछार क्षेत्र में चम्बल के बीहड़नुमा संरचना वाले रेत के टीलों के अनियंत्रित खनन से अतिवृष्टि की स्थिति में जिगनी, चंदौरा, रामनई और बीरा गांव में नदी के पानी का भराव होने से बाढ़ और भू-कटाव जैसे मुश्किल हालत बन सकते हैं।
पन्ना जिले के खनिज अधिकारी आर. के. पाण्डेय।
रामनई निवासी शिवदास लोधी और जिगनी गांव के कल्लू यादव का कहना उनके गांवों में रेत खनन के नाम पर शासन-प्रशासन के संरक्षण में जारी विनाशलीला से बहुसंख्यक लोग दुखी और आक्रोशित हैं। लेकिन ग्रामीणों के संभावित विरोध को दबाने के लिए चालाक ठेकेदार ने इन गांवों के प्रभावशाली लोगों को अवैध खनन में शामिल कर लिया है। शिवदास और कल्लू यादव की मानें तो रेत ठकेदार के द्वारा इन गांवों को अंग्रेजों और ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तर्ज पर लूट जा रहा है। वे कहते हैं कि इस मामले में सबसे निराशाजनक भूमिका पन्ना जिला प्रशासन और खनिज विभाग की है। निजी और शासकीय गोचर भूमि में बगैर किसी लीज स्वीकृति के आधा दर्जन से अधिक रेत खदानें एक माह से खुलेआम संचालित हैं लेकिन इन अवैध खदानों को सख्ती से बंद कराकर प्रकरण पंजीबद्ध करने और खनन कार्य में लगीं दो दर्जन से अधिक मशीनों को जब्त करने का नैतिक साहस अजयगढ़ व पन्ना के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने अब तक नहीं दिखाया है। परिणामस्वरूप मानसून के सीजन में रेत का अवैध खनन क्षेत्र में नए रिकार्ड कायम कर रहा है।
जिगनी गांव में कई स्थानों पर निजी भूमि में रेत खदान धड़ल्ले से संचालित है, ऐसी ही एक अवैध खदान से रेत निकालती पोकलैण्ड मशीन।
बरौली निवासी जैनुद्दीन का कहना है उनके और रामनई गांव के लोगों ने रामनई में शासकीय गोचर भूमि से बड़े पैमाने पर ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के द्वारा रेत का अवैध खनन करने की लिखित शिकायत पन्ना कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से दिनांक 26 जून 2020 को की गई थी। लेकिन इस शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई यह हमें आज तक नहीं बताया गया। शिकायतों का संतुष्टिपूर्ण निराकरण करने का दावा कर अपनी पीठ थपथपाने वाले पन्ना जिला प्रशासन पर ग्रामीणों के यह आरोप वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली कार्यशैली के स्याह पक्ष को उजागर करते हैं। अवैध उत्खनन के इतने गंभीर मामले में शिकायतकर्ताओं को आवश्यक जानकारी न देने से प्रशासन की कार्रवाई की लेकर पारदर्शिता, निष्पक्षता और जांच करने वाले अफसरों की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, शिकायत के पूर्व तक जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर शासकीय गोचर भूमि में रेत खनन की लम्बे समय तक अनदेखी करते रहे हैं। उधर, शिकायत बाद रामनई में रेत का खनन अब निजी भूमि में भी शुरू हो चुका है।
चंदौरा गांव में निजी पर रेत की खदान संचालित करने के लिए ऊपरी मिट्टी हटाई गई ताकि रेत का खनन संभव हो सके।
जैनुद्दीन का आरोप है कि रामनई की शासकीय गोचर भूमि में स्थित रेत के टीलों का अंधाधुंध खनन होने से इलाके के दुधारू पशुओं को बारिश के बाद भोजन के गंभीर संकट से जूझना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रेत के टीलों के ऊपर जमा मिटटी निकाली जा चुकी है। इसके अलावा दूसरी बड़ी क्षति रामनई में प्रवाहित प्राकृतिक झरनों के स्रोत को क्षति पहुँचने के रूप में सामने आई है। गांव की बड़ी आबादी गर्मी के मौसम में इनके पानी का उपयोग पेयजल के रूप में करती है और साल भर लोग इसके पानी से निस्तार करते हैं। जैनुद्दीन बताते हैं कि मनमाने रेत खनन ने इस झरने को लगभग तबाह कर दिया है। केन नदी का कछार भी तहस-नहस हो चुका है। रेत के टीलों की खुदाई से केन नदी का जल स्तर बढ़ने पर नदी के बहाव में बदलाव होने और रामनई गांव में पानी भरने का खतरा पैदा हो गया है। मालूम हो कि रेत ठेके की अनुबंध शर्तों, मशीनों से खनन की अनुमति और रेत के अवैध उत्खनन के मामले में ठेकेदार के विरुद्ध अब तक की गई कार्रवाई के सम्बंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए जिला खनिज अधिकारी पन्ना आर. के. पाण्डेय से पिछले दिनों कई बार सम्पर्क किया गया लेकिन वे जानकारी देने से बचने के लिए लगातार बहानेबाजी कर रहे हैं। उधर, ग्रामीणों के आरोपों के संबंध में रेत ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।

इसलिए बने अंधेरगर्दी के हालात

सांकेतिक फोटो।
पन्ना के युवा समाजसेवी रामबिहारी गोस्वामी का आरोप है कि पन्ना जिले में खनिज सम्पदा की बेतहाशा लूट का मुख्य कारण इसमें दोनों प्रमुख दलों भारतीय जनता पार्टी और कोंग्रेस के नेताओं-जनप्रतिनिधियों या फिर उनके परिजनों की संलिप्तता होना है। दोनों ही पार्टियों में कई ऐसे नेता हैं जिनकी आय का स्रोत खनिज से जुड़ा व्यवसाय है। फिर चाहे वह पत्थर खदान की लीज हो या स्टोन क्रेसर, रेत भंडारण की अनुमति अथवा रेत के अवैध खनन-परिवहन का कारोबार हो। प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत से ही खनिज सम्पदा की लूट का पूरा खेल चलता है। इसलिए जिले के तथाकथित ओहदेदार नेता आमतौर पर खनिज विभाग की अनियमितताओं से जुड़े मुद्दों पर बोलने या फिर इस खनिज सम्पदा की लूट-खसोट का विरोध करने से बचते हैं। यह ख़ामोशी तब तक बरकरार रहती है जब तक कि उनके स्वार्थ पूरे होते रहते हैं। कभी अगर विरोध करना भी पड़े तो ये काफी सयंम बरतते हैं। वर्ष 2018 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पन्ना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके रामबिहारी गोस्वामी चुटकी लेते हुए कहते हैं कि पन्ना में रेत के धंधे ने पिछले 6-7 सालों में कोंग्रेस और भाजपा नेताओं के कारोबारी रिश्तों को फेविकोल के जोड़ की तरह मजबूत बना दिया है, ये लोग मोसेरे भाइयों की तरह आपस में मिल-बांटकर काम कर रहे हैं।
पन्ना का नवीन संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन। (फाइल फोटो)
रामबिहारी बताते हैं कि बीते कुछ सालों में कतिपय पत्रकार भी खनन के खेल में कूद पड़े हैं। अजयगढ़ से लेकर पन्ना तक कुछ पत्रकार रेत के धंधे में शामिल हैं या फिर पत्थर खदान चलाते हैं। इसके अलावा कुछ पत्रकार दरबारी-सरकारी और गोदी मीडिया की भूमिका में रहते हुए कृतज्ञता के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। कुल मिलाकर दूसरे जिलों की अपेक्षा पन्ना में विरोध की आवाजें काफी सीमित है और यहां के बहुसंख्य लोगों में जागरूकता का नितांत आभाव है। प्रशासनिक अधिकारी इस बात का पूरा फायदा उठाते हुए नेक्सस बनाकर जिले को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अलीबाबा चालीस चोर सरीके इस गिरोह में अफसर, नेता, पुलिस, माफिया और मीडिया सब शामिल हैं। इसलिए पन्ना में इतनी अंधेरगर्दी व्याप्त है। श्री गोस्वामी कहते हैं कि रेत के ठेकों के नाम पर सरकारों ने एक तरह से लूट के लाइसेंस बाँट रखे हैं। फलस्वरूप रेत के दाम आज आसमान छु रहे हैं। प्रदेश सरकार की गलत और जनविरोधी नीतियों के कारण आम आदमी के लिए अपना घर अब सपना बनकर रह गया है।