* मासूम लबों से लेकर कांपते हांथों तक बस एक ही दुआ
* कोरोना संकट के चलते घरों में पढ़ी गई ईद की नमाज़
* फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन से गले लगाकर मुबारक़बाद देने का भूले एहसास
रमेश अग्रवाल, राजेन्द्र कुमार लोध- पन्ना।(www.radarnews.in) ईद का त्यौहार इस बार देश और दुनिया में कोरोना महामारी संकट के साए में मानाया गया। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में रविवार शाम को आसमान पर मुबारक़ चाँद नजर आने पर ईद का त्यौहार सोमवार को सादगी और सुरक्षात्मक उपाए अपनाते हुए मनाया गया। कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के जिले में प्रार्थना केन्द्रों में लोगों के एकत्र होने पर पाबंदी होने की वजह मुस्लिम भाईयों ने इस बार ईद की पवित्र नमाज़ ईदगाह की जगह अपने घरों पर ही अदा की। ऐसा शायद पहली बार हुआ जब ईद के दिन ईदगाह और मस्जिदें खाली रहीं और हर घर ईदगाह बन गया। इस मुबारक मौके पर मासूम बच्चों से लेकर सभी आयु वर्ग के मुस्लिम भाईयों-बहिनों ने कोरोना महामारी से देश और दुनिया में इंसानियत की हिफाजत के लिए दुआएं माँगी। इस संकट से दुनिया को जल्द से जल्द निजात दिलाने के लिए के अपनी इबादत का वास्ता देकर गिड़गिड़ाते हुए अल्लाह से इल्तिजा की।

कोरोना काल में इस खतरनाक संक्रमण की रोकथाम और जीवन सुरक्षा की दृष्टि से ईद मानने से जुड़ीं कई परम्पराओं में सकरात्मक बदलाव देखने को मिले। इस बार सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मुस्लिम भाईयों ने गले लगाकर और हाथ मिलाकर ईद की मुबारकबाद देने से परहेज कर सलाम की मुद्रा में ईद की मुबारकबाद दी गई। सोशल मीडिया के जरिए भी मुबारकबाद देने का सिलसिला दिन भर जारी रहा। कुल मिलाकर लॉकडाउन के दौरान माह-ए-रमजान की शुरुआत से लेकर ईद के अपने सबसे बड़े त्यौहार तक जिले में मुस्लिम समाज के लोगों ने जिस तरह का स्व अनुशासन, संयम परिस्थितयों के साथ बदलाव कर प्रगतिशील और जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दिया वह वाक़ई काबिले तारीफ़ है। हालांकि ईद के त्यौहार लोगों ने जिस तरह की समझदारी दिखाई उससे इस बात यकीन और पक्का हो गया कि कोरोना हर हाल में हारेगा और इंसानियत जीतेगी।
उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 53 लाख से ज्यादा हो गई है। इस वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 3 लाख के पार हो चुका है। इसके मद्देनजर ईद-उल-फ़ित्र का त्यौहार इस बार सादगी के साथ मनाया गया। पारंपरिक तौर पर इस दिन लोग ईदगाह में जाकर नमाज़ पढ़ते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और अपने दोस्तों-रिश्तेदारों-परचितों से मिलते हैं और उन्हें अपने घरों पर दावत देते हैं। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
जरूरतमंदों को दी मदद
ईद के पूर्व पन्ना जिले में लॉकडाउन तो समाप्त हो गया मगर कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम हेतु प्रार्थना केन्द्रों में लोगों के एकत्र होने पर रोक के चलते ईद के दिन ईदगाह और मस्जिदों में संन्नाटा पसरा रहा। पन्ना सहित आंचलिक क्षेत्रों में मुस्लिम भाईयों ने ईद की दो रकात विशेष नमाज़ अपने घर पर ही पढ़ी। इसलिए इस बार ईद की वैसी रोनक नज़र नहीं आई जिसके लिए पूरी दुनिया में यह त्यौहार जाना जाता है। इसके पूर्व कोरोना संकट के चलते पिछले दो माह तक लॉकडाउन रहने से परेशान रहे सभी वर्गों के दिहाड़ी मजदूरों, गरीब, यतीमों और अन्य जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आते हुए मुस्लिम समाज के लोगों के द्वारा फितरा-जकात की नकद राशि अथवा खाद्यान्न समाग्री देकर बिना किसी दिखावे के मदद की गई। जिले में ईद का त्यौहार पन्ना के साथ-साथ अजयगढ़, बरौली, अमरछी, तुलापुर, हरदी, निजामपुर, पहाड़ीखेरा, देवेन्द्रनगर, ककरहटी, गुनौर, सलेहा, भाटिया, महेवा, अमानगंज, पवई, सिमरिया, रैपुरा, शाहनगर, मुड़वारी, बोरी आदि जगह सादगी के साथ मनाया गया।
सबकी सलामती-ख़ुशहाली की माँगी दुआएं
सोमवार 25 मई को ईद-उल-फ़ित्र के मुबारक मौके पर घरों में विशेष नमाज सुबह 9 बजे से 11 बजे के मध्य पढ़ने के बाद मुस्लिम भाईयों के द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण से इंसानियत को महफूज करने और इससे दुनिया को निजात दिलाने की दुआ प्रमुखता से मांगी गई। मालुम हो कि रमजान माह के तीस दिनों तक मुस्लिम धर्मावलम्बी भूखे-प्यासे रहकर रोजे रखते, नमाज़ और तराबीह पढ़ते हैं। ऐसी मान्यता है कि महीने भर तक कठिन इबादत करने के बाद आने वाला ईद का त्यौहार अल्लाह की तरफ से अपने बंदों को दिया गया अनमोल तोहफा रुपी एक बेहद ख़ास अवसर होता है। इस दिन नामज के बाद सच्चे मन अगर कोई दुआ मांगता है तो माह-ए-रमजान मुबारक के सदके में उसकी जायज मुराद पूरी होती है।
