* मारपीट के मामले में न्यायालय द्वारा 2 साल की सजा सुनाने के बाद लिया निर्णय
शादिक खान, भोपाल/पन्ना(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को एक माह के अंदर दूसरा बड़ा झटका लगा है। झाबुआ के उपचुनाव में मिली करारी हार के गम से भाजपाई अभी उबर भी नहीं पाए थे कि आज पवई सीट से विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी की सदस्यता समाप्त हो गई। रेत के परिवहन को लेकर कुछ वर्ष पूर्व हुए विवाद में तहसीलदार के साथ मारपीट करने के मामले में न्यायलय ने पवई विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी को दोषी करार देते हुए दो वर्ष की सजा सुनाई है। विधानसभा सचिवालय ने न्यायालय के फैसले के आधार पर निर्णय लेते हुए पन्ना जिले की बहुचर्चित पवई सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। विधानसभा सचिवालय के फैसले की खबर आने के बाद से ही राजधानी भोपाल से लेकर पन्ना जिले में हड़कंप मचा है। इस फैसले से प्रदेश में भाजपा को जहां तगड़ा झटका लगा है वहीं पवई विधायक के समर्थकों में खलबली मची है। पन्ना जिले में सियासी हलचल तेज हो गई। पवई के रास्ते विधानसभा पहुँचने का ख्वाब देखने वाले भाजपा-कांग्रेस के स्थानीय नेता इस घटनाक्रम को अपने लिए सुनहरे अवसर के रूप में देख हैं। वर्ष 2018 में पन्ना जिले की पवई सीट से विधायक चुने गए प्रह्लाद सिंह लोधी को बेहद नाटकीय तरीके से अंतिम समय में भाजपा का टिकट मिला था। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता मुकेश नायक को बड़े अंतर् से हराया था।
अपील के लिए मिला एक माह का समय
उल्लेखनीय है कि वर्ष 28 अगस्त 2014 में रेत का अवैध परिवहन कर रहे एक ट्रेक्टर-ट्राली को जब्त करने के विरोध में प्रह्लाद लोधी और उनके साथियों का रैपुरा के तहसीलदार से विवाद हो गया था। जिसमें प्रह्लाद और उनके साथियों ने रैपुरा के तत्कालीन तहसीलदार के साथ मारपीट करते हुए शासकीय कार्य में बाधा पहुँचाई थी। विगत दिवस भोपाल के विशेष न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए पवई विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी व उनके साथियों को को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है। इस फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील के लिए प्रह्लाद को एक माह की मोहलत मिली है। विशेष न्यायालय का फैसला आने के बाद से ही प्रह्लाद सिंह लोधी की विधायकी खतरे में मानी जा रही थी। बताते चलें कि सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के अनुसार यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो वर्ष या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है। ऐसे जनप्रतिनिधि अगले छः साल तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ सकते।
पूर्ण बहुमत में आई कमलनाथ सरकार
विधानसभा सचिवालय द्वारा न्यायालय के फैसले के आधार पर पवई विधायक प्रह्लाद सिंह लोधी की सदस्यता ख़त्म करने के फैसले के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा विधायकों की संख्या घटकर अब 107 रह गई है। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 109 सीटों पर जीत हांसिल की थी। झाबुआ से विधायक रहे जीएस डामोर ने सांसद चुने जाने पर विधायकी से इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके पश्चात हाल ही में संपन्न हुए झाबुआ सीट के उपचुनाव में वहाँ कांग्रेस प्रत्याशी रहे कांतिलाल भूरिया ने अपनी शानदार जीत दर्ज कराई है। अब पवई विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता समाप्त होने से बीजेपी के विधायकों की संख्या 107 बची है। फलस्वरूप कमलनाथ की सरकार अब पूर्ण रूप से बहुमत में आ गई है। अब इस सरकार को कोई खतरा नहीं रहा। उधर, विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रदेश में कांग्रेस की अल्पमत की सरकार के गिरने पर भाजपा की सत्ता में वापसी की आस लगाए बैठे पार्टी नेताओं को झाबुआ के बाद पवई विधायक पर आए फैसले से तगड़ा झटका लगा है।