SDO फॉरेस्ट के बंगले के सामने अवैध तरीके से चल रही थी आरा मशीन, खबर छपने के 48 घण्टे बाद वन विभाग ने फर्नीचर दुकान में मारा छापा, इस बीच गायब हुई आरा मशीन और लकड़ी

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छापामार कार्यवाही के दौरान विश्कर्मा फर्नीचर मार्ट पवई में राखी लकड़ी की जांच करते कार्यवाही में शामिल वन कर्मचारी।

* पन्ना जिले के पवई क़स्बा स्थित रघुवीर फर्नीचर मार्ट का मामला

* कार्यवाही के नाम पर क्या सिर्फ दिखावा कर रहे हैं दक्षिण वन मण्डल के अफसर

* खबर छापने वाले पत्रकार का आरोप रात में शिफ्ट की गई आरा मशीन और लकड़ी

पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में वन विभाग के कतिपय अधिकारी और मैदानी कर्मचारी नोट छापने में जुटे है। जिसे जहां और जब भी मौका मिल रहा है वह डकैती डालने अथवा डलवाने से नहीं चूक रहा है। आर्थिक हितों को साधने की इस होड़ में वन विभाग में वर्षों से जमे कुछ कर्मचारी अघोषित तौर पर निर्माण सामग्री सप्लायर बन चुके तो वहीं कुछ ने सागौन तस्करों और पत्थर-हीरा खनन माफियाओं से हाथ मिला लिया है। परिणामस्वरूप रुपयों की इनकमिंग को जारी रखने के लिए अपने ईमान को बेंच चुके कुछ अफसरों पर अब खुलकर अवैध गतिविधियों की अनदेखी करने के बेहद गम्भीर आरोप लग रहे हैं। ताजा मामला दक्षिण वन मण्डल अंतर्गत आने वाले पवई कस्बा में फॉरेस्ट विभाग के एसडीओ के बंगले के सामने कथित तौर पर अवैध रूप से आरा मशीन संचालित होने का है। कई वर्षों से चल रही इस आरा मशीन के संबंध में दो दिन पूर्व एक दैनिक समाचार पत्र में पवई से सचित्र समाचार प्रकाशित किया गया। जिसमें स्पष्ट तौर यह आरोप लगाया गया है कि पवई के वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए विश्वकर्मा फर्नीचर मार्ट में आरा मशीन संचालित की जा रही है।
कथित तौर पर यह आरा मशीन विश्कर्मा फर्नीचर मार्ट पवई में छापे के पूर्व तक संचालित रही, जिसका फोटो धनंजय श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।
वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इसकी वैधानिकता की जांच कर आवश्यक कार्यवाही करने के बजाए जानबूझकर अनदेखी कर रहे है। यह खबर प्रकाशित होने के लगभग 48 घण्टे बाद वन विभाग की एक टीम द्वारा शुक्रवार 23 अगस्त को दोपहर के समय विश्वकर्मा फर्नीचर मार्ट में छापामार कार्यवाही की गई। खबर प्रकाशित करने वाले स्थानीय पत्रकार धनंजय श्रीवास्तव ने वन विभाग की कार्यवाही की सूचना और इससे जुड़े कुछ चित्र सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए यह दावा किया है कि छापा पड़ने के 16 घण्टे पूर्व ही आरा मशीन और एक ट्रक सतकठा की लकड़ी को रातों-रात गायब कर दूसरी जगह पर शिफ्ट करा दिया गया। फर्नीचर दुकान में छापा पड़ने के समय संचालक रघुवीर विश्वकर्मा भी फरार है। धनंजय के अनुसार कार्यवाही में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी शामिल नहीं है। इस मामले में वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। क्योंकि, उनकी नाक के नीचे यदि अवैध तरीके से आरा मशीन चल रही थी तो यह संभव ही नहीं है कि उन्हें इसकी जानकारी न हो।
उल्लेखनीय है कि, समाचार लिखे जाने तक वन विभाग की छापामार कार्यवाही जारी थी। इस दौरान दक्षिण वन मण्डल की डीएफओ मीना कुमारी मिश्रा और उप वन मण्डलाधिकारी पवई आर.के. अवधिया से उनके मोबाइल फोन पर कॉल कर जानकारी प्राप्त करने हेतु सम्पर्क किया गया लेकिन कई बार घण्टी बजने के बाद भी उनके मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुए। जिससे यह पता नहीं चल सका है कि विश्कर्मा फर्नीचर मार्ट में किसी तरह की अनियमितता पाई गई या नहीं। कार्यवाही करने गई वन विभाग की टीम को वहां आरा मशीन मिली या नहीं इसका भी फिलहाल आधिकारिक तौर पता नहीं चल सका। कथित तौर आरा मशीन और फर्नीचर दुकान के संचालन में गड़बड़ी के आरोप सही है गलत इसका पता तो जांच पूरी होने के बाद ही चलेगा। बहरहाल पवई के विश्कर्मा फर्नीचर मार्ट में छापा पड़ने की खबर आने के बाद से जिले भर के फर्नीचर निर्माताओं-विक्रेताओं में हड़कंप मचा है।
उधर, इस मामले के टूल पकड़ने के बाद वन विभाग से जुड़े कुछ लोग ऑफ रिकार्ड यह भी कह रहे हैं कि  अनुचित मांग पूरी न करने पर सनसनीखेज आरोप गढ़ते हुए कार्यवाही को लेकर दबाब बनाया गया है। इन आरोपों-प्रत्यारोपों में कितनी सच्चाई है यह तो दोनों पक्ष ही बेहतर जानते हैं, लेकिन दक्षिण वन मण्डल के अफसरों को चाहिए कि धनंजय से बात कर उस स्थान पर भी छापा मारा जाए जहां पर कथित तौर पर आरा मशीन और एक ट्रक सतकठा लकड़ी को छापे से पूर्व शिफ्ट किया गया है। ताकि इन बेहद गम्भीर प्रकृति के आरोपों की सच्चाई सामने आ सके।वहीं जब इस मामले में विश्कर्मा फर्नीचर मार्ट के संचालक रघुवीर विश्कर्मा से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनसे सम्पर्क नहींहो सका।