* मनकी पंचायत के झलाई ग्राम के पहुँच मार्ग निर्माण का मामला
* साँठगाँठ के चलते शासन को पहुँचाई जा रही खनिज राजस्व की क्षति
* कलेक्टर से लिखित शिकायत कर अवैध उत्खनन की जाँच कराने की माँग
पन्ना। (www.radarnews.in) बहुमूल्य खनिज सम्पदा के अनियंत्रित दोहन के लिए बदनाम पन्ना जिले में बड़े पैमाने पर मुरूम का अवैध उत्खनन होने का मामला प्रकाश में आया है। जिला मुख्यालय के समीपी ग्राम झलाई में निर्माण कम्पनी डीएलएच इन्फ्रा प्रोजेक्ट भोपाल के द्वारा कथिततौर बिना किसी वैधानिक अनुमति के सैकड़ों ट्रक मुरूम का अवैध उत्खनन कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। मैदानी अमले की साँठगाँठ से चल रहे मुरुम के अवैध उत्खनन से शासन को लाखों रूपए के खनिज राजस्व का नुकसान होने का अंदेशा है। संबंधित पंचायत सचिव, हल्का पटवारी सहित तहसील कार्यालय पन्ना के राजस्व अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी मुरुम के अवैध उत्खनन के खिलाफ इनके द्वारा अब तक कोई एक्शन न लेकर जानबूझकर इसकी अनदेखी की जा रही है। पन्ना जिले की खनिज सम्पदा के लिए नासूर बन चुके अवैध उत्खनन को प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर प्रशासनिक संरक्षण के प्राप्त होने का ही यह दुष्परिणाम है कि यहाँ खनन माफिया लगातार हावी हो रहे हैं। इनके द्वारा पर्यावरण के विनाश की इबारत लिखते हुए नदियों, पहाड़ों, वन और राजस्व भूमि को खोखला कर खुलेआम खनिज सम्पदा को लूटा जा रहा है।
पड़ताल से पकड़ा गया झूठ
पन्ना शहर से लगभग 5 किलोमीटर पन्ना-अमानगंज मार्ग से लेकर झलाई ग्राम तक मुख्यमंत्री सड़क योजना अंतर्गत जीएसबी सड़क का निर्माण कार्य ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग (आरईएस) पन्ना द्वारा ठेके पर कराया जा रहा है। इस पहुंच मार्ग का ठेका भोपाल की निर्माण कम्पनी डीएलएच इन्फ्रा प्रोजेक्ट का है। पिछले एक माह से चल रहे सड़क निर्माण हेतु ठेका कम्पनी द्वारा झलाई ग्राम के बाहरी इलाके में वन सीमा के नजदीक रिक्त पड़ी शासकीय भूमि पर दैत्याकार मशीनों से खुदाई कर मुरूम निकाली जा रही है। तकरीबन 7 किलोमीटर लम्बाई और 6 मीटर चौड़ाई वाली इस सड़क में अब तक एक फिट ऊंची मुरूम की परत बिछाई जा चुकी है। इससे अवैध उत्खनन कर निकाली गई मुरूम की मात्रा का अंदाजा लगाया जा सकता है। बिना किसी वैधानिक अनुमति के मुरूम का उत्खनन कार्य मौके पर अभी भी जारी है। निर्माण कम्पनी के डायरेक्टर मनदीप सिंह से बात करने पर उन्होंने बताया कि मुरूम के खनन की अनुमति तहसील कार्यालय पन्ना से प्रदान की गई है। जबकि खनिज सम्पदा के उत्खनन की अनुमति नियमानुसार खनिज विभाग द्वारा दी जाती है। ठेका कम्पनी डायरेक्टर के दावे पर संदेह के चलते पड़ताल करने पर जिला खनिज अधिकारी कार्यालय से पता चला कि उनके विभाग के द्वारा ग्राम झलाई में किसी तरह के खनन की किसी को भी अस्थाई अनुमति या लीज प्रदान नहीं की गई है।
गोलमोल जबाब दे रहे राजस्व अधिकारी
पन्ना तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी से बात करने पर उन्होंने पहले तो बताया कि उनके कार्यालय से किसी को भी झलाई ग्राम में मुरूम के खनन की अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि बाद में उन्होंने संबंधित लिपिक से चर्चा करने के पश्चात मोबाइल पर पुख्ता तौर पर जानकारी देने की बात कही है। तहसीलदार से जब इसकी अधिकारिक पुष्टि हेतु उनके मोबाइल फोन पर अलग-अलग समय पर कॉल कर उनसे सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो कई बार घंटी बजने के बाद भी उनका मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ। उधर, संबंधित हलका पटवारी राजेश सोनी से जब बात की गई तो उन्हें सिर्फ इतना ही पता था कि झलाई पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन, उसमें जो मुरूम डाली जा रही है वह कहां से लाई जा रही है इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। पटवारी से जब यह पूंछा गया कि झलाई में क्या मुरूम खदान की लीज स्वीकृत है या फिर किसी व्यक्ति अथवा विभाग को मुरूम खनन की अस्थाई अनुमति दी गई है तो वे सीधे तौर पर सच्चाई स्वीकार करने के बजाए जानकारी न होने की बात कहकर जबाब देने से बचते रहे। हद तो तब हो गई जब बुधवार 17 जुलाई को झलाई कोठी पहुंचकर स्थल का निरीक्षण करने के बाद भी पटवारी राजेश सोनी मुरूम के खनन की अनुमति तहसील कार्यालय से जारी होने अथवा न होने के के सम्बंध कोई जबाब नहीं दे सके।
अनुमति मिलने की प्रत्याशा में खोद डाली खदान
लाखों रूपये मूल्य की मुरूम के अवैध उत्खनन को लेकर राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारी और अधिकारियों की रहस्मय चुप्पी हैरान करने वाली है। इससे पूरे मामले में इनकी संलिप्तता को लेकर संदेह पैदा होना स्वाभाविक है। बुधवार को इस सम्बंध में कलेक्टर को एक आवेदन पत्र देकर मुरूम के उत्खनन की जांच कराने तथा अवैध उत्खनन पाए जाने पर जबाबदेही तय कर कार्यवाही करने की मांग की गई है। आवेदन पत्र की कॉपी आवश्यक कार्यवाही हेतु उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ, एसडीएम पन्ना और जिला खनिज अधिकारी को भेजी गई है। मुरुम के उत्खनन की कलेक्टर से शिकायत होने की भनक लगने के बाद सड़क ठेका कम्पनी के डॉयरेक्टर की भाषा बदल गई है, अब वह मुरुम खनन की अनुमति हेतु फाइल तहसील कार्यालय लंबित होने की बात कह रहे हैं। जबकि पूर्व में यह बताया जा रहा था कि मुरुम के खनन हेतु तहसीलदार दवारा जारी अनुमति उनके पास उपलब्ध है।
यहाँ महत्वपूर्ण सवाल यह कि खनन की अनुमति का आवेदन पत्र विचाराधीन होने की स्थिति में मुरुम का उत्खनन कर सड़क निर्माण करना क्या वैधानिक रूप से उचित है। पूरे मामले की गहराई से पड़ताल करने पर यह प्रतीत होता है कि ठकेदार को किसी न किसी का खुला संरक्षण अथवा आश्वासन प्राप्त है, तभी तो उसने खनन की अनुमति मिलने तक इंतजार न कर बड़े पैमाने पर मुरुम का अवैध उत्खनन कर उसे सड़क में बिछा दिया। सड़क ठेकेदार की इस मनमानी से शासन को लाखों रुपये के खनिज राजस्व की क्षति पहुँची है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में क्या कार्यवाही होती है।
इनका कहना है-
“झलाई ग्राम में खनिज विभाग की ओर से किसी भी व्यक्ति अथवा विभाग को मुरूम के उत्खनन की अनुमति प्रदान नहीं की गई और न ही वहां पर मुरूम खदान की लीज स्वीकृत है।”