श्री जी एक झलक पाने उमड़ पड़े हजारों श्रृद्धालू और नगरवासी
सवारी में दिखा भक्ति भाव व विविधता का अनूठा समागम
पन्ना। रडार न्यूज श्री पांच पद्मावतीपुरी धाम पन्ना में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव के धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला में सोमवार की शाम सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली श्री प्राणनाथ जी की दिव्य सवारी (शोभायात्रा) श्री खेजड़ा मंदिर से भक्ति भाव से परिपूर्ण होकर उत्साह व धूम धाम के साथ निकाली गई। इस ऐतिहासिक सवारी में श्री जी की मनमोहक सेवा शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण रही जिसकी एक झलक पाने के लिये हजारों श्रद्धालु बेताब दिखे। भक्ति रस में डूबा विविधता का अनोखा समागम जिसमें विभिन्न प्रांतों व भिन्न-भिन्न देशों से आए श्रद्धालु सुन्दरसाथ को एक धुन में मगन होकर नाचते झूमते देखा गया। नगर के प्रमुख मार्गों से सवारी के निकलने के दौरान ऐसा लग रहा था मानो समूचा पन्ना धाम ही भक्ति रस में सराबोर हो गया हो। प्रणामी सम्प्रदाय के आस्था का केन्द्र अति प्राचीन खेजड़ा मंदिर से मंगलवार शाम छः बजे से अखंड मुक्तिदाता, निष्कलंक बुद्ध अवतार महामति प्राणनाथ जी की सवारी जब निकली तो ऐसा लगा मानो सभी संत मनीषी विविध रूप धारण कर इस सवारी की शोभा बढ़ा रहे हो। दिव्य रथ पर सवार श्री जी तथा देश के कई भागों से आए सुन्दर साथ के अलावा धर्मगुरू इस भव्य सवारी की धर्म निष्ठता एवं भक्तिभाव के साथ 400 वर्षों से सतत आयोजित होने वाले इस ध्तिहासिक आयोजन के साक्षी बने। श्री जी की इस विशाल सवारी में नगर के निवासियों के अलावा देश विदेश के हजारों सुन्दरसाथ मौजूद थे जो अलग-अलग टुकड़ियों में नाचते गाते तथा अपनी-अपनी परम्पराओं के अनुरूप पन्ना नगर की पवित्र धरती पर प्राणनाथ जी के प्रेम का अहसास कराते नजर आए।
सद्गुरू के सम्मान का है प्रतीक
अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के दौरान पन्ना नगर में सैकड़ों वर्षों से लगातार श्री जी की सवारी भव्य स्वरूप के साथ निकाली जाती है। इस सवारी का आयोजन पहली बार बुन्देलखण्ड केशरी महाराजा छत्रसाल जी ने किया था। सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली इस तेरस की सवारी को लेकर मान्यता है कि जब बुन्देलखण्ड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति श्री प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल को अपनी चमत्कारी दिव्य तलवार देकर विजयश्री का आर्शीवाद दिया था और कहा था कि हे राजन जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक में इसी खेजड़ा मंदिर में ही रूकूंगा। तेरस को जब महाराजा छत्रसाल अपने दुश्मनों पर फतह हासिल कर लौटे तो अपने सद्गुरू महामति प्राणनाथ जी को पालकी में बिठाकर अपने कंघों का सहारा देकर श्री प्राणनाथ जी मंदिर में स्थित गुम्मट बंगला जिसे ब्रम्ह चबूतरा भी कहते हैं में लाए थे जिसके प्रतीक स्वरूप तभी से यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है। श्री खेजड़ा जी मंदिर से निकली श्री जी की सवारी को श्री प्राणनाथ जी मंदिर की कुल तीन किलोमीटर तक की यात्रा में सात से आठ घंटे का समय लग जाता है।
जगह-जगह हुई श्री जी की आरती
धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व की इस विशाल शोभायात्रा में पन्ना नगर वासियों ने भी पूरे उत्साह व भक्ति भाव के साथ बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई गई. रथ में सवार श्री जी की एक झलक निहारने के लिए लोग घंटों सड़क के किनारे खड़े रहे। सवारी के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह श्री जी की आरती उतारी गई एवं शोभा यात्रा में सम्मिलित सुन्दरसाथ को मिठाइयां बांटी गईं वहीं नगरवासियों द्वारा जगह-जगह शुद्ध पेयजल आदि की भी व्यवस्था की गई थी। तेरस की इस विशेष शोभा यात्रा में श्री 108 प्राणनाथ ट्रस्ट के पदाधिकारी एवं ट्रस्ट के बाहर के पदाधिकारियों ट्रस्ट के प्रबंधक एवं समस्त न्यासियों सहित स्थानीय एवं देश के कोने-कोने से आए धर्माचार्य व धर्मोपदेशकों की बड़ी संख्या में सहभागिता रही।