* शिकार से जुड़े वीडियो वायरल होने के बाद गायब हुए शव
* उत्तर वन मण्डल पन्ना की धरमपुर रेंज के कुड़रा जंगल का मामला
* डीएफओ बोले- सर्च कराने पर नहीं मिले शव, वीडियो अन्य स्थान के हो सकते हैं
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में सक्रिय सागौन तस्करों की घेराबंदी को लेकर बीते दिवस स्थानीय मीडिया में उत्तर वन मण्डल के मैदानी अमले की सजगता और जांबाजी के चर्चे जब जोरशोर से हो रहे थे उसी समय जंगल के रखवालों की कथित घोर लापरवाही की पोल खोलने वाले कुछ वीडियो वायरल थे। कथित तौर पर जंगल में करंट का तार बिछाकर बेजुबान वन्य जीवों के शिकार की घटना को अज्ञात अपराधियों द्वारा अंजाम देने के सप्ताह भर बाद भी वन अमले को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। अत्यंत ही हैरान करने वाली इस घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब कुछ लोग अपनी गुमी हुई भैंस को खोजने जंगल की ख़ाक छान रहे थे। सड़ांध मार रहे नीलगाय के शव एवं एक अन्य वन्य प्राणी के कंकाल के वीडियो, फोटोग्राफ्स उत्तर वन मण्डल के अफसरों को भेजकर घटना की जानकारी दी गई। इसके चंद घण्टे बाद मामले में आए ट्विस्ट ने हर किसी को चकित कर दिया है। अपनी तस्दीक के आधार वन विभाग के अफसर ऐसी किसी भी घटना को सिरे से ख़ारिज कर रहे हैं। मगर कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब फिलहाल उनके पास नहीं है।
कई दिनों से सड़ रहे थे बेजुबानों के शव
उत्तर वन मण्डल पन्ना की धरमपुर रेन्ज अंतर्गत आने वाली कुड़रा बीट का जंगल वन अपराध की दृष्टि से अत्यंत ही संवेदनशील है। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे इस इलाके में पूर्व में सागौन की अवैध कटाई, तेंदुए के शिकार सहित अन्य कई गंभीर मामले सामने आए हैं। बुधवार 12 मार्च 2025 को यहां वन्य प्राणियों के शिकार की एक ओर बड़ी घटना का खुलासा होने से हड़कंप मच गया। दरअसल धरमपुर निवासी एक व्यक्ति अपनी गुमशुदा भैंस की खोज में नजदीकी कुड़रा जंगल पहुंचा तो वहां का नजारा देख दंग रह गया। पहुंच मार्ग से करीब 200 मीटर दूर जंगल के अंदर से उठ रही भीषण दुर्गन्ध का सबब जानने उक्त व्यक्ति और उसके साथी मौके पर पहुंचें तो वहां कथित तौर पर नीलगाय का शव और एक अन्य वन्य जीव का क्षत-विक्षत कंकाल पड़ा था। समीप ही जमीन में कुछ दूर तक खूंटिया गड़ी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक घटनास्थल को देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अज्ञात शिकारियों द्वारा खूटियों के सहारे करंट का तार बिछाकर बेजुबान वन्य जीवों का शिकार किया गया है। शवों से उठती भीषण सड़ांध और उनमें बिलबिलाते कीड़ों के मद्देनजर वन्य जीवों की मौत सप्ताह भर पूर्व होने का अनुमान है। प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा अपने मोबाइल फोन से घटनास्थल एवं शवों के वीडियो, फोटोग्राफ्स बनाकर मीडियाकर्मियों को भेजे गए। जिसमें मृत नीलगाय और नजदीक ही पड़ा एक अन्य वन्य प्राणी का क्षत-विक्षत कंकाल साफ़ नजर आ रहा है। एक अन्य वीडियो में जमीन पर गड़ी खूटियां भी दिख रही हैं।
5 घण्टे बाद गायब हो गए शव!

मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत उक्त वीडियो, फोटोग्राफ्स और उन्हें भेजने वाले का मोबाइल नंबर उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ गर्वित गंगवार, एसडीओ दिनेश गौर सहित धरमपुर रेंजर वैभव सिंह चंदेल को सेंड किए गए। जिस पर वन अधिकारियों द्वारा स्टॉफ को मौके पर भेजकर घटना की तस्दीक करवाने के बाद ही आधिकारिक तौर पर टिप्पणी करने की बात कही गई। घटना की तस्दीक करने पर शिकार के कथित मामले में आए ट्विस्ट ने सबको चकित कर दिया है! संबंधित व्यक्ति को लेकर मैदानी वन अमला करीब 5 घण्टे बाद जब मौके पर पहुंचा तो वहां मृत वन्य जीव का शव और कंकाल नहीं मिला।
प्रत्यक्षदर्शी और अफसरों के अलग-अलग दावे
बता दें कि, मृत वन्यजीवों के वीडियो और प्रत्यक्षदर्शी का मोबाइल नम्बर डीएफओ व एसडीओ को दोपहर में करीब सवा ग्यारह बजे भेजकर मामले को इनके संज्ञान में लाया गया था। लेकिन पन्ना कोर्ट में पेशी के चलते धरमपुर रेंजर, संबंधित बीटगार्ड और एसडीओ शाम 4 बजे तक मौके पर नहीं पहुंचे। इस बीच प्रत्यक्षदर्शी और डिप्टी रेंजर के बीच घटनास्थल पर चलने को लेकर बात अवश्य हुई। लेकिन इस बातचीत को लेकर उक्त व्यक्ति तथा वन विभाग के अफसरों के दावे आपस में मेल नहीं खाते हैं। प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार डिप्टी रेंजर ने जब उसे कॉल करके साथ में जंगल चलकर घटनास्थल दिखाने को कहा गया तो उसके द्वारा अपनी सहमति दी गई। साथ ही यह कहा गया मैं अपने घर पर हूं आप यहीं आ जाएं, यहां से साथ चलेंगे। जबकि वन विभाग के अफसरों का कहना है कि, उक्त व्यक्ति ने शुरू में जब फोन नहीं उठाया तो उनका मैदानी अमला मौके पर पहुंचकर जंगल के चप्पे-चप्पे को सर्च करता रहा। कई घंटे तक स्टॉफ को जंगल की सघन छानबीन करने के बाद भी वहां कुछ नहीं मिला।
खबर को दबाने सक्रिय रहे बीटगार्ड
बुधवार शाम करीब 4 बजे एसडीओ फॉरेस्ट से जब मीडियाकर्मियों ने शिकार की घटना के संबंध में पूंछा तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। उक्त घटना को गंभीरता से न लेने के सवालों से घिरने पर उनके द्वारा प्रत्यक्षदर्शी के साथ तुरंत स्टॉफ को मौके पर भेजने और स्वयं भी घटनास्थल पर पहुंचने की बात कही गई। इस तरह सूचना देने के लगभग 5 घंटे बाद शाम 4.30 बजे डिप्टी रेंजर जब संबंधित व्यक्ति को लेकर जंगल पहुंचे तो वहां शव और कंकाल नहीं मिला। यह बात जैसे ही एसडीओ साहब को पता चली वे तो वह सुस्ती छोड़ अचानक हरकत में आ गए। एसडीओ ने तुरंत मोबाइल पर सम्बंधित व्यक्ति से बात की और उसे हड़काते हुए झूठी सूचना देने का उलाहना दिया। उक्त व्यक्ति ने भी फोन पर एसडीओ को रगड़ते हुए वन अमले पर निकम्मेपन को छुपाने के लिए वन्य प्राणियों के शवों को गायब करवाने का आरोप लगाया है।
गौर करने वाली बात यह है कि कथित तौर मैदानी वन अमला दोपहर में जब अपने स्तर पर अकेले ही जंगल सर्चिंग कर रहा था तब कुड़रा के बीटगार्ड उक्त घटना को दबाने के लिए पन्ना में मीडियाकर्मियों से संपर्क साध रहे थे। यहां सवाल उठता है कि वन अमले को पहले जब अपनी पड़ताल में और बाद में संबंधित व्यक्ति के साथ मौके पर पहुंचने पर किसी तरह की घटना के कोई साक्ष्य ही नहीं मिले तो बीटगार्ड फिर इतना परेशान क्यों थे? उनके द्वारा यह भी कहा गया कि वरिष्ठ अधिकारियों ने आप लोगों से सम्पर्क कर मीडिया मैनेजमेंट फंडा लागू करने को कहा है। फिर वही सवाल जब कुछ हुआ ही नहीं था तो वन महकमे में इतनी बैचेनी क्यों थी?
सच के खुलासे में नहीं दिलचस्पी
