* पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण क्षेत्र अंतर्गत दरेरा ग्राम की घटना
* वन क्षेत्र से लगे खेत में करंट का तार बिछाकर किया था सांभर का शिकार
* पन्ना जिले के संरक्षित और सामान्य वन क्षेत्रों में नहीं थम रहीं शिकार की घटनाएं
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना में सांभर हिरण का शिकार कर खेत में पार्टी करना तीन लोगों को भारी पड़ गया। पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) की टीम ने छापामार कर तीनों शिकारियों को सांभर के अवशेषों के साथ धर दबोंचा। इनके विरुद्ध वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम में प्रकरण दर्ज किया गया है। पीटीआर (PTR) के अनुसार मुखबिर की सूचना पर गंगऊ अभ्यारण अंतर्गत आने वाले दरेरा ग्राम के राजस्व क्षेत्र से शिकारियों की धरपकड़ की गई है।
बुधवार 14 फरवरी की देर शाम मुखबिर ने सूचना दी थी कि कुछ लोगों ने जंगल से सटे अपने खेत में सांभर का शिकार किया है और वो लोग वहीं पर उसका मांस पकाकर पार्टी कर रहे हैं। घटना की गंभीरता को देखते वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रतीक अग्रवाल ने तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन एवं मार्गदशन में तत्परता से कार्रवाई करने के लिए टीम गठन किया और रात्रि करीब 10 बजे दल-बल के साथ दबिश देकर मौके से राजेन्द्र सिंह, रामस्वरूप आदिवासी व दीपक आदिवासी सभी निवासी ग्राम दरेरा को धर दबोंचा। छापामार कार्रवाई में पीटीआर की टीम ने खेत से सांभर की खाल, तीन पैर, लीवर आदि अवशेष जब्त किए हैं। हालांकि तीनों शिकारी सांभर का मांस पकाकर खा चुके थे। खेत में ईंटों से निर्मित अस्थाई चूल्हा भी मिला है जिस पर शिकार का मांस पकाया गया था।
गंगऊ अभ्यारण के वन परिक्षेत्राधिकारी (रेंजर) प्रतीक अग्रवाल ने बताया, आरोपियों ने पूंछतांछ में अपना जुर्म स्वीकार किया है। उनके द्वारा खेत में करंट का तार बिछाकर सांभर का शिकार किया गया था। तीनों आरोपियों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। सांभर के शिकारियों विगत दिवस न्यायालय में पेश किया गया जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल पन्ना भेजा गया है।
अन्य आरोपियों की भी हो सकती है धरपकड़
विदित हो कि, सांभर प्रजाति के हिरण आकार में काफी बड़े होते हैं। इसलिए उनमें मांस काफी मात्रा में निकलता है। सिर्फ तीन शिकारी सांभर के मांस को एकबार में ही पूरा चटकर जाएं व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं है। इसलिए, अंदेशा जताया जा रहा है कि शिकारियों के द्वारा मांस का बड़ा हिस्सा या तो गुपचुप तरीके से अपने करीबियों को वितरित किया गया या फिर उसे अन्य किसी तरीके से ठिकाने लगाया है। इस पहलु पर विशेष गौर करते हुए पीटीआर की टीम पकड़े गए शिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर अन्य कुछ लोगों की सरगर्मी से तलाश में जुटी है। इसलिए आने वाले दिनों सांभर के मांस की पार्टी मानाने वाले कुछ और लोगों की धरपकड़ की संभावना जताई जा रही है।
शिकार की घटनाओं पर नहीं लग पा रहा अंकुश
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के जंगलों में बेजुबान वन्यजीवों का कत्लेआम बड़ी तेज़ी से जारी है। जंगली जानवरों को मांस (बुशमीट) के लिए मारा जा रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व सहित जिले के उत्तर एवं दक्षिण वन मण्डल क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर शिकारी सक्रिय हैं। वन्य प्राणियों का अवैध शिकार शादी की दावत में आने वाले मेहमानों के खाने में मांस परोसने से लेकर मांस की बिक्री कर रुपए बनाने के लिए बेख़ौफ़ अंदाज में किया जा रहा है। चिंताजनक बात यह है कि, अधिकांश मामलों में शिकार होने के बाद ही वन विभाग को भनक लग पाती है। जबकि शिकार की कई घटनाओं का तो पता ही नहीं चल पाता है। दरअसल, मैदानी वन अमले में हमेशा ही इस बात का भय बना रहता है कि अवैध शिकार सहित अन्य वन अपराधों के सामने आने पर कार्यवाही की गाज उनके ही ऊपर गिरेगी। इन घटनाओं से विभाग की बदनामी होने पर उनको कर्तव्य में लापरवाही बरतने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसलिए मैदानी अमला कई बार जानबूझकर महत्वपूर्ण घटनाओं को जंगल के बियाबान में ही हमेशा-हमेशा के लिए दफन रहने देता है। इससे उसकी कारगुजारियों का भंडाफोड़ नहीं हो पाता है। उधर, लग्ज़री चैंबर में बैठकर बजट को ठिकाने लगाने में भिड़े रहने और यदा-कदा ही जंगल का भ्रमण करने वाले अफसरों को जमीनी हकीकत का पता ही नहीं चल पाता है।