27 करोड़ की आर्थिक क्षति पर ईएनसी सख्त, उच्च स्तरीय जांच हेतु गठिति की समिति

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पन्ना जिले में पवई मध्यम सिंचाई परियोजना अंतर्गत निर्मित (तेन्दूघाट) बांध। फाइल फोटो

*    पन्ना जिले की 600 करोड़ की लागत वाली पवई मध्यम सिंचाई परियोजना का मामला

*     समयावधि में अपील न करने वाले जल संसाधन विभाग के अफसरों की भूमिका  होगी उजागर

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) जिले की पवई मध्यम सिंचाई परियोजना के ठेकेदार रहे मेसर्स जी.एस. रेड्डी का अनुबंध निर्धारित प्रक्रिया पालन किए बगैर निरस्त करने और फिर ठेकेदार के पक्ष में पारित अवार्ड के विरुद्ध समयावधि अपील न करके शासन को 27 करोड़ की आर्थिक क्षति पहुँचाने वाले अफसरों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए जल संसाधन विभाग ने आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी है। प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल ने इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच हेतु तीन सदस्यीय समिति गठित की है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख अभियंता ने जांच समिति को सम्पूर्ण जांच कर दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत यथोचित अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इस आदेश के जारी होने के बाद से प्रकरण से संबंधित अधिकारियों/कर्मचारियों में जबर्दस्त हड़कंप मचा है।

इस तरह आगे बढ़ा मामला

पन्ना जिले के जल संसाधन संभाग पवई अंतर्गत आने वाली 600 करोड़ की लागत वाली पवई मध्यम सिंचाई परियोजना टर्न-की पद्धति पर आधारित के निर्माण कार्य हेतु दिनांक 03 सितंबर 2012 को शासन द्वारा स्वीकृत निविदा के परिपेक्ष्य में जल संसाधन विभाग द्वारा मेसर्स जी.एस. रेड्डी एसोसिएट्स कंस्ट्रक्शन हैदराबाद के साथ दिनांक 29 सितंबर 2012 को अनुबंध किया गया था। परियोजना की कार्य प्रगति विभाग के द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम के अनुसार न होने के कारण कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग पन्ना द्वारा ठेकेदार की सुरक्षा निधि दिनांक 23 मई 2013 को राजसात कर दिनांक 28 मई 2013 को अनुबंध निरस्त कर दिया था। कथित तौर पर निर्धारित प्रकिया का पालन किए बगैर अनुबंध निरस्त करने के विरुद्ध द्वितीय आर्बिट्रेटर की नियुक्ति मुख्य अभियंता सागर के द्वारा दिनांक 25 जुलाई 2014 को की गई थी। प्रकरण में द्वितीय आर्बिट्रेटर द्वारा दोनों पक्षों की सुनवाई उपरांत दिनांक 18 मई 2015 को ठेकेदार के पक्ष में आवार्ड पारित किया गया।

इनको सौंपी जांच की जिम्मेदारी

उल्लेखनीय है कि आर्बिट्रेटर द्वारा पारित अवार्ड के विरुद्ध निर्धारित समयावधि के भीतर सक्षम न्यायालय में अपील की जानी थी। किन्तु निर्धारित समयावधि में जल संसाधन विभाग के द्वारा अपील न किए जाने के कारण सर्वोच्च न्यायालय तक प्रत्येक न्यायालयीन स्तर पर शासन के पक्ष को अमान्य किया गया। इस स्थिति में शासन हित में अन्य कोई विकल्प शेष न होने के कारण अंततः शासन को मेसर्स जी.एस. रेड्डी एसोसिएट्स कंस्ट्रक्शन हैदराबाद को राशि रुपए 26,87,92,930/- के भुगतान की स्वीकृति प्रदान करनी पड़ी है। पिछले 7-8 साल से कानूनी लड़ाई के चलते ठेकेदार के लंबित भुगतान की राशि वार्षिक 14 प्रतिशत ब्याज दर के हिसाब से बढ़ रही है। जाहिर इससे शासन को बड़ी आर्थिक क्षति उठानी हुई। जिसके मद्देनजर प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल ने विगत दिवस एक आदेश जारी कर इस प्रकरण की जांच हेतु तीन सदस्यीय दल गठित किया है। जिसमें मुख्य अभियंता अन्तर्राज्जीय परियोजना कार्यालय मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल को जांच दल का अध्यक्ष, अधीक्षण यंत्री (वृहद) भोपाल एवं अधीक्षण यंत्री (बजट) भोपाल को बतौर सदस्य शामिल किया है।

इनका कहना है-

“पवई मध्यम सिंचाई परियोजना के ठेकेदार रहे मेसर्स जी.एस. रेड्डी को करीब 27 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए शासन के द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है। अभी आवंटन प्राप्त होना शेष है, जिसकी कार्यवाही शीर्ष स्तर पर चल रही है। राशि प्राप्त होते ही कोर्ट के माध्यम से भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। चूंकि इस प्रकरण में शासन को बड़ी आर्थिक क्षति हुई है इसलिए संबंधितों की जवाबदेही तय कर उनके खिलाफ कार्यवाही तो की जाएगी।”

– धीरेन्द्र कुमार खरे, अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग, मण्डल छतरपुर।

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लापरवाही या साजिश : जल संसाधन विभाग के अफसरों ने सरकारी ख़जाने को लगाई 27 करोड़ की चपत !