* 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 15 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं प्रदेश भर की आंगनवाड़ी वर्कर्स
* मांगों के निराकरण के प्रति सरकार की उपेक्षा, असंवेदनशीलता एवं भेदभावपूर्ण रवैये को लेकर आक्रोश
* आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार को आंगनवाड़ी वर्कर्स और उनके परिजन नहीं देंगे वोट : योगिता कावड़े
* एक ओर चुनाव से पहले “लाड़ली बहना” को प्यार दूसरी ओर आंगनवाड़ी बहनें अपने हक़ के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार के प्रति कर्मचारी संगठनों की नाराज़गी लगातार सामने आ रही है। कई वर्षों से लंबित अपनी मांगों का निराकरण न होने और सरकार की वादाखिलाफ़ी से नाराज विभिन्न छोटे-बड़े अधिकारी-कर्मचारी संगठन आंदोलन कर सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। इस साल कर्मचारी संगठनों के अब तक जितने भी धरना-प्रदर्शन-आंदोलन हुए उनमें सबसे वृहद और व्यापक असर आंगनवाड़ी वर्कर्स की वर्तमान में जारी हड़ताल का देखा जा रहा है। प्रदेश की करीब 2 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 15 मार्च 2023 से अनिश्चित कालीन कामबंद हड़ताल पर हैं। बुलंद आवाज़ नारी शक्ति संगठन के बैनर तले प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में पिछले 15 दिनों से आंगनवाड़ी वर्कर्स का धरना-प्रदर्शन अनवरत जारी है। आंगनवाड़ी वर्कर्स के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर तथा परियोजना अधिकारी भी हड़ताल पर चले गए हैं। मैदानी अमले के सामूहिक रूप से अनिश्चित कालीन कामबंद हड़ताल पर जाने से प्रदेश भर में आंगनवाड़ी की सेवाएं तथा महिला एवं बाल विकास विभाग का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हैं। अपनी मांगों के निराकरण को लेकर आंगनवाड़ी बहनों के आर-पार वाले उग्र तेवर में आने से लंबी खिंचती दिख रही इस हड़ताल को लेकर प्रदेश सरकार न सिर्फ असहज है बल्कि अब काफी दवाब भी महसूस कर रही है।
कमजोर पड़ रही शिवराज की महिला हितैषी छवि
उल्लेखनीय है कि सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले 17-18 सालों से लगातार प्रदेश की सभी महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर अपनी बहन और खुद को उनका भाई बताते रहे हैं। शिवराज ऐसा करके आधी आबादी से पवित्र स्नेह भरा रिश्ता कायम करके स्वयं को सबसे बड़े हमेशा महिला हितैषी के रूप में पेश करते रहे हैं। पहले लाड़ली लक्ष्मी योजना और अब चुनाव से पहले लाड़ली बहना योजना के जरिये सीएम शिवराज अपनी इस इमेज को चमकाने में लगे हैं। लेकिन वर्तमान में प्रदेश के हर जिले में आंगनवाड़ी वर्कर्स ने हजारों की संख्या में सड़कों पर उतरकर उनकी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अपनी उपेक्षा से आहत आंगनवाड़ी वर्कर्स जमकर हल्ला बोलते हुए बहनों के साथ भेदभाव के मुद्दे को जिस तरह से उठा रहीं है उससे मुख्यमंत्री की “संवेदनशील भइया” वाली छवि को गहरा धक्का लग रहा है। मगर, सत्ताधारी दल भाजपा के रणनीतिकारों लिए असली चिंता की बात यह है कि आंगनवाड़ी वर्कर्स ने इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए उसे वोट न देने का ऐलान कर दिया है। अपनी न्यायोचित मांगों के प्रति प्रदेश सरकार का उपेक्षा पूर्ण रवैया बरकरार रहने से दुखी और नाराज़ होकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका संघ ने यह कठोर निर्णय लिया है। इसकी जानकारी संघ प्रदेश सचिव योगिता कावड़े ने विगत दिवस बालाघाट में पत्रकारों से चर्चा में दी। आंगनवाड़ी वर्कर्स के इस ऐलान से सूबे की सियासत में हलचल तेज़ हो गई है। कुछ जानकार इसे प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी की राह बेहद मुश्किल होने के तौर पर देख रहे हैं।
नवरात्र में व्रत और रोजा रखकर कर रहीं हड़ताल
शक्ति की उपासना के महापर्व नवरात्रि में पन्ना सहित समूचे मध्यप्रदेश में हजारों की संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका अपने अधिकारों की रक्षा के लिए पिछले 15 दिनों से प्रतिकूल मौसम की मार सहन करते हुए हड़ताल करने को मजबूर हैं। बीते दिनों बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि और अब तेज धूप में नवरात्रि के व्रत और रमजान महीने के रोजा रखकर पूरा दिन भूखे-प्यासे रहते हुए अपनी आवाज़ बुलंद कर रहीं नारी शक्ति की सुध लेने की फुर्सत सरकार में बैठे जिम्मेदारों को अब तक नहीं मिल पाई है। जबकि शिवराज सरकार और भाजपा नारी शक्ति के सम्मान को लेकर बड़े-बड़े दावे करतीं है। हैरानी की बात है कि प्रदेश सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका संघ के आंदोलन के प्रति कुछ इस तरह का प्रदर्शन कर रही जैसे वह गूंगी-बहरी और अंधी है। यह विडंबना पूर्ण स्थिति तब है जब सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की सभी महिलाओं को अपनी बहन बताते हुए नहीं थकते हैं। उन्हें मंचीय कार्यक्रमों में अक्सर ही यह कहते हुए सुना जाता है, “जब तक भइया मुख्यमंत्री है मेरी बहनों-भांजियों को चिंता करने की की कोई जरुरत नहीं।” वे महिलाओं की सुरक्षा, सशक्तिकरण, आत्म सम्मान, आत्मनिर्भर बनाने तथा उनके हितों से जुड़ीं मांगों को पूरा करने के लिए सरकार का खजाना उदारता पूर्वक हर समय खुला रखने जैसे बड़े-बड़े दावे करते रहते हैं।
सरकार के मुखिया की इस तरह की घोषणा और मंशा के बावजूद यह बात समझ से परे है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं के द्वारा पूर्व में अनेकों बार ज्ञापन सौंपने एवं वर्तमान में मजबूर होकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने के बावजूद उनकी जायज़ मांगें आखिर पूरी क्यों नहीं हो पा रहीं है। कमरतोड़ महंगाई के इस दौर में बेहद अल्प मानदेय पर गुजारा करने को विवश आंगनवाड़ी वर्कर्स को क्या सम्मान पूर्वक जीवन यापन और अपने भविष्य की सुरक्षा का अधिकार नहीं है। सरकार इनकी मांगों पर लंबे समय से खामोश क्यों है। जबकि अधिकांश मांगें तो वे हैं जिनकी घोषणा पूर्व में सरकार बहादुर के द्वारा की गई थी। घोषणा के बाद भी मांगें पूरी न होने के पीछे वजह चाहे जो भी मगर, आंगनवाड़ी बहनों की उपेक्षा से शिवराज सरकार की महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति सदैव संवेदनशील रहने की कथनी और करनी में अंतर साफ़-साफ़ नजर आ रहा है।
लाड़ली बहना को प्यार, हम बहनों को दुत्कार क्यों ?
मध्यप्रदेश की 2 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर 15 मार्च से अनिश्चितकालीन काम बंद हड़ताल पर हैं। महिलाओं के सम्मान और उनके हितों की रक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली सूबे की शिवराज सरकार पर आंगनवाड़ी बहनें अपनी उपेक्षा का आरोप लगा रहीं है। pic.twitter.com/8edg1wSlEi
— Radar News (@RadarNews4) March 30, 2023