नई दिल्ली। रडार न्यूज एक रिसर्च में सामने आया है कि दिमाग का वह हिस्सा जो चीजों को याद रखने का काम करता है, जिसे डॉक्टरों की भाषा में हिपोकैंपस कहा जाता है, वह सिकुड़ता जा रहा है। यह समस्या यंग एज में ज्यादा पाई जा रही है। इससे भूलने जैसी बीमारियां भी हो रही हैं। इस बारे में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरॉल्जिस्ट डॉ विकास धिकव बताते हैं कि पिछले साल आरएमएल के न्यूरॉलजी विभाग ने एक रिसर्च की थी। इसमें 67 मरीजों को शामिल किया गया था। इसका मकसद यह देखना था कि कितने प्रतिशत लोग तनाव में हैं। यह दिमाग पर क्या असर करता है? डेढ़ साल तक चली इस रिसर्च के नतीजे बेहद चिंताजनक रहे। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि इन 67 मरीजों में से 30 प्रतिशत मरीज ऐसे पाए गए, जिन्हें तनाव है। इस तनाव की वजह से उनके दिमाग का हिपोकैंपस सिकुड़ता जा रहा है। डॉ धिकव ने बताया कि रिसर्च में सभी मरीजों के दिमाग का एमआरआई किया गया और एमआरआई करने के बाद उनके हिपोकैंपस को मापा गया। जिन लोगों में तनाव न के बराबर था, उनका हिपोकैंपस का साइज सामान्य था और जिन्हें तनाव था, उनका हिपोकैंपस सिकुड़ चुका था। इसकी वजह से ही यंग एज में भूलने की बीमारी हो रही है।
अकेलापन है बडा कारण
डॉ धिकव बताते हैं कि बहुत से लोग ऐसे हैं जो हर वक्त उदास रहते हैं। इस उदासी का कारण कुछ भी हो सकता है। इसके साथ जो लोग अकेले रहते हैं या परिवार में होते हुए भी केवल फोन पर आंखें टिकाए रहते हैं और किसी से बात नहीं करते, उनमें भी तनाव का स्तर काफी हाई देखा गया है। इसके साथ ही नकारात्मक विचार, चिड़चिड़ा होने से भी तनाव का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे सिकुड़ जाता है हिपोकैंपस
हम जब किसी चीज के बारे में ज्यादा सोचते हैं और उस चीज को लेकर तनाव में आ जाते हैं, तो हमारे दिमाग में सिरम कोटिसोल बढ़ जाता है। सिरम कोटिसोल तनाव का हॉर्मोन होता है, जिसके बढ़ने से तनाव भी बढ़ता है। यह हॉर्मोन लोगों को आत्महत्या करने तक मजबूर कर देता है, इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ऐसी किसी चीज के बारे में न सोचें जिससे तनाव बढ़े।
बीमारी की वजह और इलाज
तनाव को दूर करने के लिए सबसे बड़ी और अहम बात यह है कि दिल और दिमाग में यदि बात आती है, तो उसे लोगों के साथ शेयर किया जाए। यदि सब के साथ शेयर नहीं करना चाहते, तो कोई एक व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जिस पर आपको विश्वास हो और अपनी बातें शेयर कर सकें। इसके साथ ही योग, मेडिटेशन और एक्सर्साइज का भी सहारा लेना चाहिए।
विटमिन डी जरूरी
चॉकलेटरू चॉकलेट में पाए जाने वाले कुछ विशेष तत्व तनाव को दूर करने और मूड को अच्छा रखने में मददगार होते हैं। केले मे डोपामाइन नामक तत्व होता है, जो तनाव कम करता है। यह मैग्नेशियम और विटमिन बी-6 से भरपूर होने के कारण टेंशन दूर करता है। शकरकंद में मैग्नीशियम और विटमिन बी -6, विटमिन सी और एमिनो ऐसिड पाए जाते है। इनके कारण यह तनाव से मुक्ति पाने का अच्छा साधन बन जाता है। शकरकंद खाने से मूड अच्छा होता है, नींद अच्छी आती है और यह पाचन तंत्र को ठीक रखने में सहायक होता है। इसलिए जब भी टेंशन में हो, तो शकरकंद खाएं। बादाम से उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन, जिंक, विटामिन बी -2 और मैग्नीशियम मिलते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन ई भी पाया जाता है। इस वजह से बादाम खाने से तनाव से राहत भी मिलती है। इसके कारण होने वाले नुकसान से बचाव भी होता है। यह मानसिक तनाव को दूर करने की दवा की तरह काम करता है। अखरोट, सरसों का तेल, साबुत उड़द, पालक, फूल गोभी, आम, खरबूजा, लौंग, अलसी के बीज, अंडे की जर्दी आदि ओमेगा 3 फैटी एसिड के अच्छे स्रोत है। इनके उपयोग से मानसिक तनाव में राहत मिलती है। लहसुन तनाव के कारण होने वाले नुकसान से बचने के लिए लहसुन का उपयोग करना चाहिए। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट टेंशन से पैदा हुए हानिकारक तत्वों को नष्ट करते हैं। हल्दी में पाया जाने वाला तत्व करक्यूमिन तनाव को दूर करने में सहायक होता है। सर्दी के मौसम में कच्ची हल्दी की सब्जी का उपयोग जरूर करना चाहिए।