* महिला दिवस पर ब्रह्माकुमारी संस्था पन्ना में आध्यात्मिक कार्यक्रम संपन्न
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की ओर से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर “महिलायें-नये भारत की ध्वज वाहक’’ विषय पर एक आध्यात्मिक कार्यक्रम पन्ना में आयोजित किया गया। जिसमें ब्रह्माकुमारीज़ भोपाल जोन की निर्देशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी अवधेश बहन जी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुईं। राजयोग प्रशिक्षण केन्द्र पन्ना में बहन जी ने नारी शक्ति को सम्बोधित करते हुए कहा कि, नारी ही परमात्मा शिव की शक्ति है जिसका आव्हान् स्वयं परमात्मा शिव कलयुग के इस अंतिम समय में कर इस कलयुगी दुनिया को स्वर्णिम सतयुग बनाने का श्रेष्ठ कार्य कर रहे हैं।
अवधेश बहन जी ने कहा कि, नारी परमात्मा की श्रेष्ठतम रचना है। नारी अपने घर-परिवार, अपने देश और इस सम्पूर्ण विश्व को परिवर्तन करने वाली शक्ति है। कहा भी गया है – “यत्र नार्यसु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता” हमारी भारतीय संस्कृति हमें उत्तम रहन-सहन, पहनावा सिखाती परन्तु नारी अपनी इन दैवी संस्कृति को न पहचान पाश्चात्य के फैशन और रहन-सहन का अंधानुकरण कर रहीं हैं।
नारी अपने दैवी स्वरूप को पहचाने
आपने बताया, आज आवश्यकता है कि नारी अपने दैवी स्वरूप को पहचाने और परमात्मा के स्वर्णिम संसार निर्माण के श्रेष्ठ कार्य में अपना योगदान दें। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय नारी सशक्तिकरण की सबसे बड़ी मिशाल है। यह संस्था पिछले 86 वर्षों से सम्पूर्ण रूप से नारी शक्ति द्वारा संचालित सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है। परमात्मा शिव ने स्वयं स्वर्णिम संसार निर्माण का कलश माताओं, बहनों को दिया है।
छोटी-छोटी बातों को बड़ा न बनाएं
सभी को समझाते हुए राजयोगिनी अवधेश बहनजी ने कहा कि घरों में छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हमारे घर और मन दोनों के वातावरण को खराब करते हैं। अतः आज के दिवस पर सभी संकल्प करें कि ’’पास्ट इज पास्ट’’ यानी जो बीत गया सो बीत गया। छोटी-छोटी बातों को बड़ा ना कर, हम अपने आपसी मतभेदों को समाप्त कर बीती को बिन्दी लगाएंगेे।
सुख-शांति के लिए आध्यात्मिक विकास जरुरी
इसके पूर्व पन्ना उपसेवा केन्द्र प्रभारी बीके सीता बहन जी ने सभी का आत्मीयता से स्वागत किया एवं कार्यक्रम का सफल संचालन करते स्वागत भाषण में संस्था का परिचय एवं उद्देश्य को विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि, आज हमने चहुंमुखी विकास किया है परन्तु आध्यात्मिक विकास न होने के कारण परिवार में गृह कलेश का वातावरण निर्मित हो रहा है। अतः अपनी दिनचर्या में मेडीटेशन के लिये कुछ समय अवश्य निश्चित करें एवं अपने अधिकारों के लिए लड़ने के साथ-साथ अपने कर्त्तव्यों को करने के लिए भी अडिग रहें।
इस अवसर पर समीक्षा सिंह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सुश्री मेघा पुरोहित न्यायाधीश, शारदा पाठक, शशि सिंह परमार, एवं अन्य गणमान्य महिलाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए साथ ही कार्यक्रम की सराहना की। अंत में दीप प्रज्जवल के पश्चात् सभी को ब्रह्माभोजन कराया गया।