आदिवासियों एवं वंचित-शोषित तबकों को इंसाफ़ दिलाने आख़िरी सांस तक संघर्ष जारी रखूंगा : राजा पटैरिया

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पन्ना जिले की पवई विधानसभा अंतर्गत सिहारन ग्राम में विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री राजा पटैरिया।

*      पन्ना जिले के सिहारन में विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित हुआ वृहद कार्यक्रम

*      मणिपुर में जारी हिंसा के मृतकों को मौन धारण की दी गई श्रद्धांजलि

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में पन्ना जिले की रैपुरा तहसील क्षेत्र के सिहारन ग्राम में विश्व आदिवासी दिवस पर वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आदिवासी वनवासी, दलित, अल्पसंख्यक महासंघ मध्यप्रदेश द्वारा तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरनुसार आदिवासी समुदाय के आराध्य बड़ा देव पूजन से हुआ। तदुपरांत महापुरषों का पुण्य स्मरण करते हुए महात्मा गांधी, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, बिरसा मुंडा, तात्या टोपे, रघुनाथ शाह, शंकर शाह, टंट्या मामा और रानी दुर्गावती को नमन कर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर प्रेम सिंह द्वारा बड़ा देव की सुमरनीय का गायन की भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के अगले चरण में आदिवासियों की स्थानीय समस्याओं और उनके निराकरण हेतु गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन, जेल भरो, आंदोलन का रास्ता अपनाएं जाने पर जोर दिया। समागम में तीन से चार हजार जनमानस ने जोश-खरोश से हिस्सा लिया। संगठन पूरे बुंदेलखंड में और विशेषकर पवई विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री राजा पटेरिया पंद्रह वर्षों से इस तरह वनवासियों को जागृत करने के लिए धरना-प्रदर्शन, सभाओं के माध्यम से सतत संघर्ष करते चले आ रहे हैं। आदिवासी भी उनके समर्पण भाव के कारण उनके प्रति समर्पित दिखे।

आदिवासियों के योगदान पर प्रकाश डाला

कार्यक्रम के दौरान संविधान सभा में आदिवासियों के लिए संघर्ष करने वाले जयपाल मुंडा बिहार, रामप्रसाद पोटाई मध्यप्रदेश जो प्रख्यात गांधीवादी थे, संविधान निर्माण में उनके विशेष योगदान पर प्रकाश डाला गया। समागम में प्रमुख रूप से राजा पटैरिया, श्रीमती बकुल राजे पटैरिया, आनंद मोहन संयोजक, जगदेव सिंह, अनीस खान, लखन लोधी, मनीषा मरावी, सरदार सिंह, अर्जुन दादा, प्रेम सिंह, साहब सिंह मरावी, नित्यपाल सिंह बरकड़े, रामचरण सिंह मरावी, धन सिंह मरावी,ध्यान सिंह गुड्डा भैया, श्रीमती जीरा बाई पटेल, महेश अग्रवाल, मुकेश चौरसिया, दीपेश (मोनू) ने अपने-अपने अपने अपने विचार रखे। इस दौरान आदिवासी बाहुल्य वन क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया गया। क्षेत्र में विगत 10 माह से ट्रांसफार्मर जले पड़े रहते हैं, राशन कभी-कभार बांटा जाता है, हैण्डपम्प बरसों से बंद हैं, शासकीय सुविधा नाम मात्र की ही मिलती है, जंगल विभाग और पुलिस विभाग व प्रशासन के शोषण की बातें चर्चा के केंद्र में रहीं। क्षेत्र में दो-दो मंत्री रहे, पर वनवासियों के शोषण में तब और आज भी कोई कसर नहीं रही। मुख्य बात वनवासियों ने बताई कि प्रशासन किसी का भी रहा हो, हमारी दशा जस की तस है।

अन्याय के खिलाफ संघर्ष में जेल जाने का डर नहीं – पटैरिया

सिहारन ग्राम विश्व आदिवासी दिवस को गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व मंत्री राजा पटैरिया शामिल हुए। इस अवसर पर गांधीवादी-समाजवादी-आंबेडकरवादी नेता एवं प्रखर वक्ता राजा पटैरिया ने वर्तमान में मध्यप्रदेश, मणिपुर सहित देश के दूसरे राज्यों में आदिवासी समाज के लोगों के खिलाफ बढ़ती हिंसा, उत्पीड़न और शोषण की हैरान करने वाली घटनाओं के सामने पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने आदिवासियों समेत अन्य कमजोर तबकों के खिलाफ फैलाई जा नफरत और हिंसा की प्रभावी रोकथाम को लेकर राज्य एवं केन्द्र सरकार की नाकामी करार दिया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि, सत्ताधारी दल की विभाजनकारी राजनीति के कारण आज देश के कई हिस्से जल रहे है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजा पटैरिया ने जोर देते उपस्थित जनसमुदाय को भरोसा दिलाया कि शोषित वर्गों विशेष कर आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हो रहे अन्याय के खिलाफ उनका संघर्ष गांधीवादी तरीके से आखिरी साँस तक जारी रहेगा। इसके लिए मुझे चाहे जितनी बार जेल जाना पड़े, मैं संघर्ष पथ पर आगे बढ़ता रहूँगा। पटैरिया की इस वैचारिक प्रतिबद्धता को सुनकर उपस्थित जनसमुदाय ने भारी हर्ष ध्वनि से स्वागत करते हुए इस संघर्ष में हर क़दम पर उनका साथ देने के नारे लगाए।

कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति

सिहारन ग्राम में विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी बाहुल्य कोठी पठार के सैंकड़ों लोग शामिल हुए।
कार्यक्रम का आभार साजन सिंह (दमुईया) के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से गुमान सिंह यादव, रोशन लोधी, श्रीमती वेदांत आदिवासी पत्नी स्वर्गीय विश्राम सिंह, नित्य पाल सिंह बड़करे सरपंच, तेजीलाल लाल वंशकार, सरदार सिंह बुंदेला, रजनीश सेन, भूरा सिंह, सुखेश कुमार जैन, रज्जू महाराज पिपरिया, डॉक्टर खान पिपरिया, नबी मोहम्मद, वंशगोपाल राजपूत, केसरी अहिरवार, शिवलाल सेन, सुरेंद्र सेन, सुंदर सिंह, राजा जी बुंदेला, रतन सिंह, गोरेलाल मुर्ता, मोहन सिंह धुर्वे, प्रेम सिंह धुर्वे, दशरथ सिंह, ज्ञानी सिंह, मोहन सिंह धुर्वे, अजय धुर्वे, अम्मू सिंह, डीलन सिंह, संतोष सिंह, हुकुम सिंह, कोमल सिंह, गोपी सेन, महेंद्र सिंह बुंदेला, राम जी गोटिया, रामचरण मरावी, मोहन धुर्वे, धन सिंह जनपद सदस्य, रम्मू सिंह, गोपाल सिंह, प्रेम सिंह, देवराज सिंह मरावी, नरपत सिंह, मनोहर सिंह, हरि सिंह मरावी, मानक लाल सिंह, संतोष सिंह, चिंटू सिंह, अनंतराम सिंह, साहब सिंह, बरार सिंह, धन सिंह पूर्व सरपंच, अर्जुन सिंह, लखन सिंह, सुरेश बंसल, श्रीमती सुषमा रानी, मक्की पाल, श्रीमती केसररानी सरायखेड़ा, श्रीमती जनकरानी, तिलक रानी खोखलिया, श्रीमती लक्ष्मी रानी,गुलाब रानी, श्रीमती हुकुमरानी, श्रीमती अनीतारानी, श्रीमती हल्की, श्रीमती कल्लूबाई, श्रीमती खिलौनाबाई, खुशबू आदिवासी, श्रीमति हीरा आदिवासी, श्रीमती तुलसा, श्रीमती बाई, श्रीमती सुनील बाई सहित सैंकड़ों की संख्या में क्षेत्र के लोग उपस्थित रहे।