* वाहन जप्त न कर प्रकरण को रफा-दफा करने रेंजर बना रहे थे दबाव ?
* उपसंचालक पीटीआर के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार करनी पड़ी कार्रवाई
* घटनास्थल पर नहीं पहुंचे रेंजर, 12 घण्टे बाद कराया मृत वन्यजीव का पोस्टमार्टम
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) पन्ना जिले में वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाले मार्गों पर वाहन चालकों के द्वारा निर्धारित गति सीमा के नियम का पालन न कर तेज़ रफ़्तार से लापरवाही पूर्वक वाहन दौड़ाना सड़क हादसों का सबब बन रहा है। इस तरह के हादसों में बेजुबान वन्यजीव आए दिन असमय काल-कवलित रहे हैं तो वहीं कुछेक मामलों में वाहन चालक और उसमें सवार लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ रही है। अंधी रफ़्तार का सबसे ज्यादा कहर वन्यजीवों पर टूट रहा है।
गुरुवार 21 मई को पन्ना टाइगर रिजर्व के अमानगंज वन परिक्षेत्र अंतर्गत ऐसी ही एक घटना सामने आई है, जहां सुबह करीब 6 बजे पन्ना से अमानगंज की ओर जा रहे एक तेज रफ़्तार वाहन के चालक ने अत्यंत ही लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए जंगली सुअर को ठोकर मारते हुए उसके पैरों को कुचल दिया। ठोकर इतनी जबरदस्त थी कि गंभीर रूप से घायल जंगली सूअर की मौके पर ही मौत हो गई। अमानगंज वन परिक्षेत्र के सर्किल अकोला की बीट बाँधी दक्षिण के वन कक्ष क्रमांक-409 में हुई इस सड़क दुर्घटना पर मैदानी अमले ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए आरोपी चालाक मुशर्रफ आलम पिता बदरुद्दीन निवासी मालेगांव जिला नासिक महाराष्ट्र को हिरासत में लेते हुए उसके वाहन क्रमांक एम. एच.-43-व्ही-8169 को अपने कब्जे में ले लिया।



विभाग के अंदरखाने चर्चा है कि रेंजर की मंशा को भांपते हुए इस घटनाक्रम की जानकारी पन्ना टाइगर रिजर्व उप संचालक को दी गई, तब कहीं जाकर उनके हस्तक्षेप के बाद बमुश्किल यह वन अपराध दर्ज हो सका। उधर इससे नाराज रेंजर साहब कथित तौर पर फील्ड स्टॉफ को देख लेने की धमकी देते रहे। आश्चर्यजनक रूप से इसके बाद भी उनके द्वारा प्रकरण की कार्रवाई में हर सम्भव रोढ़े अटकाए गए। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, रेंजर श्री तिवारी स्वयं घटनास्थल पर नहीं पहुंचे और गुरुवार की सुबह 6 बजे मृत जंगली सुअर को पोस्टमार्टम के लिए शाम करीब 6 बजे पन्ना ले जाया गया। आग उगलती इस प्रचण्ड गर्मी में मृत जंगली सूअर का पोस्टमार्टम करीब 12 घण्टे बाद देर शाम होने की चर्चायें हैं। अगले दिन आरोपी वाहन चालक को न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है।
उल्लेखनीय है कि अपने कारनामों से अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाले डिप्टी रेंजर लालबाबू तिवारी पन्ना टाइगर रिजर्व के बड़े साहब के चहेते हैं। इसलिए सीधी भर्ती के रेंजर और इनसे काफी सीनियर डिप्टी रेन्जर लूप लाइन में पड़े हैं। जबकि लालबाबू के पास पन्ना कोर और अमानगंज समेत दो वन परिक्षेत्र का प्रभार है। करीब छः माह पूर्व वन परिक्षेत्र पन्ना कोर की बीट रमपुरा में वनरक्षक नाका के नजदीक एक बाघ की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई थी। लेकिन समय रहते पार्क प्रबंधन को इसकी जानकारी नहीं मिली। मृत बाघ का शव सड़ने के बाद जब कंकाल में तब्दील हो गया तब कई दिनों बाद इस घटना का खुलासा हुआ था। बाघ की मौत के इस गंभीर मामले में मैदानी अमले पर तो कार्रवाई की गई लेकिन प्रभारी रेंजर लालबाबू तिवारी का बाल भी बांका नहीं हुआ। बड़े अफसरों की कथित मेहरबानी से इस मामले में लालबाबू को ग्रीन सिग्नल मिलने से वे बेदाग़ बच निकले।

